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ग्वालियर में विद्रोह से निपटने के लिए कांग्रेस की डैमेज कंट्रोल टीम, रूठो को मनाने के लिए कवायद शुरू

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Pratibha Rana
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ग्वालियर में विद्रोह से निपटने के लिए कांग्रेस की डैमेज कंट्रोल टीम, रूठो को मनाने के लिए कवायद शुरू

जितेंद्र सिंह, GWALIOR. कर्नाटक चुनाव में जीत के बाद कांग्रेस का जोश हाई है। बीजेपी में कार्यकर्ताओं की नाराजगी का फायदा भी कांग्रेस को मिलेगा। लेकिन कांग्रेस को विधानसभा चुनाव में खतरा उन नेताओं से है जो सिर्फ टिकट की आस में सिंधिया समर्थक होने के बावजूद बीजेपी में नहीं गए। ऐसे नेता टिकट ना मिलने पर बागी बन सकते हैं। इस खतरे से निपटने के लिए कांग्रेस ने अभी से रणनीति बनाना शुरु कर दी है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता, ग्वालियर और दतिया के प्रभारी अजय सिंह ने साफ कर दिया है कि हर गलती से कुछ ना कुछ सीखते हैं। हमें इस बात का पूरा अंदाजा है, इसलिए डैमेज कंट्रोल टीम बनाकर अभी से काम पर लगा दिया है। बता दें, कांग्रेस नेता अजय सिंह तीन दिन से ग्वालियर में घूम-घूम कर दावेदार और जनता की नब्ज टटोल रहे हैं।  





कांग्रेस को बागी नेताओं से सबसे ज्यादा खतरा





ग्वालियर की ही बात करें तो कांग्रेस में कई नेता टिकट की दावेदारी कर रहे हैं। सिंधिया के खास माने जाने वाले कांग्रेसी बीजेपी में सिर्फ टिकट की आस में नहीं गए। उनको उम्मीद है कि कांग्रेस में उनकी दाल गल जाएगी। ऐसे नेता कांग्रेस के लिए खतरा साबित हो सकते हैं। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस किसी प्रकार का मौका बीजेपी को देना नहीं चाहती है, इसलिए वरिष्ठ नेतृत्व ने अभी से डैमेज कंट्रोल टीम को काम पर लगा दिया है। एक सवाल के जवाब में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अजय सिंह ने कहा कि एक-एक विधानसभा में कई-कई दावेदार हैं। टिकट ना मिलने से नाराज होने वालों को मनाने के लिए डैमेज कंट्रोल टीम बनाई गई है। टीम ने अभी से काम भी करना शुरु कर दिया है। 





एक-एक विधानसभा में कई-कई दावेदार

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कांग्रेस को सबसे ज्यादा चिंता ग्वालियर ग्रामीण सीट पर है। बीजेपी से दो बार के विधायक और वर्तमान में राज्यमंत्री भारत सिंह कुशवाह का क्षेत्र में विरोध है। स्थिति पिछले विधानसभा में भी अच्छी नहीं थी। लेकिन टिकट ना मिलने पर नाराज नेताओं के विद्रोह के चलते कांग्रेस को सीट गवानी पड़ी। कांग्रेस के साहब सिंह गुर्जर ने टिकट ना मिलने पर बहुजन समाज पार्टी से चुनाव लड़ा था, जिसका फायदा बीजेपी को मिला। इस बार भी परिस्थितियां समान हैं। ग्रामीण से अशोक सिंह, साहब सिंह गुर्जर और केदार कंसाना कांग्रेस से टिकट के दावेदार हैं। अशोक सिंह पार्टी का विरोध नहीं करेंगे। लेकिन साहब सिंह या केदार कंसाना में से जिसे भी टिकट नहीं मिला वो विद्रोह जरूर करेगा।   





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दक्षिण विधानसभा में भी विरोध की लहर





बीजेपी का गढ़ मानी जाने वाली ग्वालियर दक्षिण विधानसभा बहुत कम अंतर से कांग्रेस ने जीतकर सबको आश्चर्य में डाल दिया था। लेकिन प्रवीण पाठक के भी पार्टी में शुभचिंतक कम नहीं है। दक्षिण विधानसभा से पूर्व कांग्रेस प्रत्याशी रश्मि पवार शर्मा भी टिकट की दावेदारी कर रही हैं। वहीं, कांग्रेस के जिलाध्यक्ष देवेंद्र शर्मा की भी चुनाव लड़ने की मंशा है। ऐसे में अंतर खाने दक्षिण सीट पर कांग्रेस को विरोध झेलना पड़ सकता है। 

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ग्वालियर सीट पर पैराशूट से आएगा उम्मीदवार





बीजेपी के सर्वे में पार्टी अंचल की 34 में से 30 सीट हार रही है। ग्वालियर विधानसभा की सीट पर 50-50 का सर्वे आया है। कमलनाथ का उन सभी सीट पर नजर है जो सिंधिया के साथ गए थे। ऐसी सीटों पर कमलनाथ कोई दवाब या समझौता नहीं करेंगे। यह सभी जानते हैं कि बीजेपी के मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर को टक्कर देने के लिए कांग्रेस को मजबूत उम्मीदवार उतारना होगा। कांग्रेस के सर्वे के अनुसार ग्वालियर विधानसभा सीट पर कांग्रेस के पूर्व प्रत्याशी सुशील शर्मा सीट बचाने में सफल नहीं होंगे। ऐसे में कांग्रेस बाहर से कोई मजबूर पैराशूट उम्मीदवार को मैदान में उतार सकती है। कयास तो यहां तक लगाए जा रहे हैं कि कांग्रेस सतीश सिकरवार या उनके छोटे भाई नीटू सिकरवार को ग्वालियर विधानसभा सीट से चुनाव लड़वा सकती है। वहीं बीजेपी से टिकट नहीं मिला तो बीजेपी नेता अनूप मिश्रा को कांग्रेस से ग्वालियर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने की चर्चा भी गर्म है।



 



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