Damoh. दमोह जिले के तेंदूखेड़ा के तत्कालीन एसडीओपी रहे और वर्तमान में रिटायर्ड जीपी शर्मा को 5 हजार रुपए की रिश्वत लेने के मामले में विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम दमोह के द्वारा भ्रष्टाचार के मामले में तीन साल की सजा सुनाई है। इस मामले में तत्कालीन एएसआई वाहन चालक विजय कुमार चढ़ार 54 वर्ष को भी आरोपित बनाया गया था जिसे बरी कर दिया गया है और जीपी शर्मा को धारा 7 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 में तीन वर्ष का कारावास एवं 20,000 जुर्माना से दंडित किया। अभियोजन की ओर से पैरवी विशेष लोक अभियोजक हेमंत कुमार पाण्डेय एवं अनंत सिंह ठाकुर द्वारा की गई।
घटना के अनुसार दिनांक 27 सितंबर 2015 को आवेदक बृजपाल पिता बाबूलाल पटेल 58 वर्ष निवासी फुटेरा वार्ड नंबर 4 हटा जिला दमोह ने जीपी शर्मा एसडीओपी तेंदूखेड़ा जिला दमोह के विरुद्ध पुलिस अधीक्षक लोकायुक्त सागर के समक्ष आवेदन पत्र प्रस्तुत किया था। आवेदक के पुत्र अजय पटेल पर थाना जबेरा में लड़की को भगाकर ले जाने एससीएसटी एक्ट के अंतर्गत मामला दर्ज हुआ था। जिसकी विवेचना जीपी शर्मा एसडीओपी तेंदूखेड़ा कर रहा था। पीड़ित ने उक्त अपराध में अपने पुत्र की अग्रिम जमानत दमोह न्यायालय से मंजूर कराई थी, जिसका आदेश लेकर दिनांक 22 सितंबर 2015 को आवेदक एवं उसका पुत्र अजय पटेल अपने अधिवक्ता के साथ एसडीओपी के कार्यालय गया था।
आरोपी एसडीओपी जीपी शर्मा ने जमानत तस्दीक के लिये 10 हजार रुपये रिश्वत की मांग की, लेकिन पीड़ित रिश्वत देना नहीं चाहता था। बल्कि उसे रिश्वत लेते हुये रंगे हाथो पकड़वाना चाहता था। उक्त शिकायत का सत्यापन लोकायुक्त पुलिस सागर द्वारा किया गया और दिनांक 28 सितंबर 2015 को रिश्वत मांग वार्ता रिकॉर्ड की थी। जिसमें 29 सितंबर को आरोपी और आवेदक के मध्य रिश्वत का लेनदेन होना तय हुआ था। जिस पर लोकायुक्त पुलिस द्वारा ट्रैप दल का गठन किया गया और आरोपी एसडीओपी तेंदूखेड़ा के शासकीय आवास में पीड़ित से 5000 रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा गया और समस्त कार्रवाई एवं विवेचना के बाद अभियोग पत्र न्यायालय विशेष न्यायाधीश (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988) दमोह के समक्ष प्रस्तुत किया गया।
न्यायालय द्वारा प्रकरण के विचारण के बाद अभियोजन द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजी साक्ष्य एवं मौखिक साक्ष्य व प्रस्तुत न्याय दृष्टांत एवं अभियोजन के तर्कों से सहमत होते हुए 24 नवंबर 2022 को पारित निर्णय में आरोपी जीपी शर्मा तत्कालीन एसडीओपी तेंदूखेडा को दोष सिद्ध पाते हुए धारा 7 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 में 3 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 20 हजार अर्थदंड से दंडित किया गया। न्यायालय द्वारा दूसरे अभियुक्त विजय कुमार चढ़ार के संदर्भ में अभियोजन मामला प्रमाणित नहीं पाया इसलिए उसे दोषमुक्त किया ।