Damoh. जबलपुर के बाद दमोह के मजदूरों को भी महाराष्ट्र के कोल्हापुर में बंधक बनाकर रखने का मामला सामने आया है। दमोह से महाराष्ट्र गए मजदूरों को बंधक बनाकर रखा गया था उन्होंने दमोह जिला प्रशासन से मदद की गुहार लगाई। जिसके बाद 17 मजदूरों को जिला प्रशासन की मदद से आज सकुशल दमोह पहुंचाया गया है। दमोह जिला प्रशासन द्वारा इन मजदूरों की रिहाई के प्रयास किए गए थे।
महाराष्ट्र में जमकर हो रहा मौलिक अधिकारों का हनन
दमोह पहुंचे मजदूरों में अरविंद अहिरवाल ने बताया कि वह 10 नवंबर को महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिले के सांगली तहसील के गढ़वाली गांव गए थे। यहां पर ठेकेदार द्वारा सभी मजदूरों से काम लिया गया, लेकिन यहां पर किसी भी प्रकार की रुकने या खाने-पीने की कोई व्यवस्था नहीं की गई और मजदूरी भी कम दी जा रही थी। इसके अलावा ठेकेदार से मजदूरी मांगने पर उसने मारपीट की और धमकी भी दी गई। जिस कारण से सभी मजदूर घबरा गए थे। इस बात की जानकारी इन मजदूरों द्वारा अपने परिजनों को दी और परिजनों ने दमोह जिला प्रशासन को अवगत कराया। कलेक्टर एस कृष्ण चौतन्य ने वहां के जिला प्रशासन से संपर्क किया और संबंधित थाना प्रभारी से मजदूरों को वहां से बंधक मुक्त कराने के लिए कहा।
घर लौटने की बात पर होती थी मारपीट
सूचना मिलने पर संबंधित थाना प्रभारी द्वारा इन सभी मजदूरों को वहां से बंधन मुक्त कराया और वहां से दमोह के लिए रवाना कराया। इन मजदूरों ने बताया कि बंधन मुक्त होने के बाद वह ट्रेन के माध्यम से दमोह के लिए रवाना हुए थे जो कि सकुशल आज दमोह आ गए। इन मजदूरों ने यह भी बताया कि उन्हें पहचान के गोलू ठाकुर एवं विक्रम दोनों गन्ने की कटाई के लिए साथ लेकर गए थे और वहां पर अधिक पैसे मिलने के अलावा खाने-पीने एवं रुकने की भी सुविधा बताई गई थी। जिस कारण से यह सभी मजदूर मजदूरी के लिए सांगली पहुंच गए थे, लेकिन वहां पर पहुंचने के बाद उन्हें किसी भी प्रकार की सुविधा प्रदान नही की गई और ना ही मजदूरी पूरी दी गई। जिस कारण से यह काफी परेशान थे और किसी बात पर शिकायत या काम छोड़कर आने पर ठेकेदार द्वारा मारपीट कर धमकी दी जाती थी। दमोह पहुंचे मजदूरों में प्रमुख रूप से राजा, दीपक,मंजू ,अरविंद, रवि, रीना आदि प्रमुख हैं। दमोह स्टेशन पहुंचने पर प्रशासन के द्वारा सभी को उनके घर तक पहुंचाया।