157 साल से शान के साथ खड़ा है दमोह का कोर्ट, खजुराहो मंदिरों की तरह हुआ था निर्माण, अब पुरातत्व विभाग को सौंपने की तैयारी

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Rajeev Upadhyay
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157 साल से शान के साथ खड़ा है दमोह का कोर्ट, खजुराहो मंदिरों की तरह हुआ था निर्माण, अब पुरातत्व विभाग को सौंपने की तैयारी

Damoh. दमोह  जिले में वैसे तो अनेक प्राचीन भव्य इमारतें हैं, लेकिन जिला न्यायालय की इमारत अपनी विशेष बनावट के लिए जानी जाती है। गजेटियर के अनुसार इस भवन का निर्माण अंग्रेजों द्वारा सन 1866 में कराया गया था। इसकी खास विशेषता यह है कि इसका निर्माण बलुआ पत्थरों से किया गया है। यही कारण है कि निर्माण के 157 साल बीतने के बावजूद भी यह भवन आज भी शान के साथ जस का तस खड़ा है। पहली बार इस भवन को देखने वाले लोग इसकी बनावट देखकर दंग रह जाते हैं क्योंकि पूरी इमारत पत्थरों से बनी है। 



पुरातत्व विभाग को सौंपा जाएगा



जिला न्यायालय की इस इमारत को आगामी समय में पुरातत्व विभाग के संरक्षण में सौंपने की प्रक्रिया चल रही है। इस भवन के बाजू से नया न्यायालय भवन तैयार हो गया है। जिससे कुछ माह बाद जिला न्यायालय का काम-काज नई भवन में संचालित होने लगेगा। उसके बाद इस भवन का रखरखाव पुरातत्व विभाग के जिम्मे छोड़ने की कवायद चल रही है। वैसे तो पुरातत्व विभाग प्राचीन और अतिप्राचीन ईमारतों के रखरखाव की जिम्मेदारी वहन करता है लेकिन दमोह जिला अदालत भवन 157 साल पुराना है, ऐसे में इसे खंडहर बनने के लिए यूं ही नहीं छोड़ा जा सकता। 



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इतिहासकार विनोद श्रीवास्तव ने बताया कि जिला न्यायालय के भवन निर्माण में बेल, गोंद एवं चूने को पीसकर मसाला तैयार किया जाता था। इसी प्रकार का मसाला खजुराहो के मंदिरों में भी उपयोग किया गया है। गर्मी के दिनों में इस भवन के अंदर इतनी ठंडक रहती है की कूलर भी चलाने की जरूरत नहीं पड़ती। 



सीमेंट से कई गुना ज्यादा मजबूती




आम तौर पर आधुनिक निर्माण हद से हद 100 साल तक ही रहने योग्य माने जाते हैं, वहीं प्राचीन निर्माण आज भी जस के तस खड़े हुए हैं। चूने, बेल, गोंद के मिश्रण से तैयार मसाले के जरिए हुए निर्माण इसकी मजबूती का उदाहरण हैं। पुरातत्व विभाग भी अपने अंडर आने वाली प्राचीन धरोहरों की मरम्मत विशेष मसाला तैयार कराकर करवाता है, ताकि उनकी मजबूती और सुंदरता में कोई पैबंद न लगे। 


Damoh News दमोह न्यूज़ Damoh's District Court 157 years old heritage will be handed over to the Archaeological Department दमोह का जिला न्यायालय 157 साल पुरानी धरोहर होगी पुरातत्व विभाग के हवाले