Indore: जो कल तक मांग रहे भीख, आज सीख रहे अ..आ..इ..ई,  दानपात्र पाठशाला की मुहिम

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Vivek Sharma
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Indore: जो कल तक मांग रहे भीख, आज सीख रहे अ..आ..इ..ई,  दानपात्र पाठशाला की मुहिम

Indore: इंदौर में एक बेहद ही खास पाठशाला का संचालन हो रहा है। इस पाठशाला में वे बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं जिन्होंने पढ़ने की उम्मीद छोड़ शहर में भीख मांगने और कचरा बीनने का काम करना शुरू कर दिया था। यह पाठशाला इसलिए भी खास है क्योंकि यहां के शिक्षक पढ़ाने के बदल कोई फीस नहीं ली जाती है। शहर की संस्था दानपात्र पाठशाला के माध्यम से गरीब बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा देने का काम कर रही है।



यह संस्था बच्चों और महिलाओं को शिक्षा देने के साथ ही कपड़े, राशन, किताबें एवं अन्य सामान देकर इनकी मदद भी कर रही है। संस्था यह काम इसलिए कर रही है क्योंकि इन बच्चे को सड़कों पर भीख न मांगना पढ़े और वह पढ़ लिखकर आगे बढ़ सकें। यह पाठशाला शहर के अलग-अलग क्षेत्रों में लगाई जा रही है। दानपात्र में काम करने वाले वालेंटियर ने बताया कि निःशुल्क पाठशाला से कल तक जो बच्चे भीख मांगते थे, कचरा बीनने थे आज वह अ..आ..इ..ई सीख रहे हैं।



 6 शहरों में काम कर रही संस्था 



इंदौर की यह संस्था इंदौर, भोपाल, उज्जैन, जबलपुर, मथुरा, बिहार और सूरत शहरों में सेवा का काम कर रही है। संस्था ही जल्द ही पूरे भारत के साथ साथ अन्य देशों में भी सेवा का कार्य शुरू करने की योजना पर काम कर रही है। बता दें कि संस्था का नाम वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड के साथ ही 2 बार इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज हो चुका है।



500 से ज्यादा बच्चे ले रहे शिक्षा



दानपात्र की इस नि:शुल्क पाठशाला में 500 से ज्यादा बच्चे और महिलाएं पढ़ाई कर रहे हैं। कुछ ही दिनों में जिन्हें कभी अनार-आम भी नहीं आते थे। वे बच्चे और महिलाएं अब अपना नाम लिखना सीख गए हैं। साथ ही संस्था के साथ अब कुछ स्कूल के स्टूडेंट्स वॉलंटियर के रूप में जुड़ रहे हैं। स्कूलों द्वारा पढ़ाने के लिए जगह देकर इस नेक काम में सहयोग दिया जा रहा है। पाठशाला में बच्चों को सिर्फ पढ़ाया ही नहीं जाता है बल्कि विभिन्न तरह की रोचक गतिविधियां भी सिखाई जाती है। यहां पढ़ने वाले बच्चे और महिला स्किल डेवलप हो सके इसके लिए उन्हें कबाड़ से जुगाड़, गुड टच, बैड टच, जूडो-कराटे, संविधान की बेसिक जानकारी, म्यूजिक, पेंटिंग, डांस जैसी कई चीजें सिखाई जाती हैं। पाठशाला में सोमवार से गुरुवार तक पढ़ाई कराई जाती है। शुक्रवार और शनिवार को अन्य गतिविधियां कराई जाती हैं। दानपात्र से मिली जानकारी के अनुसार पाठशाला में वह बच्चों और महिलाओं को पढ़ाया जा रहा है जो मजदूरी करना, कूड़ा बीनना और भीख मांगने जैसे काम करते थे या फिर पढ़ाई कराने के लिए उनके माता पिता के पास पैसे नहीं है।



शादी में बचे हुए खाने से शुरू हुई संस्था



दानपात्र संस्था की शुरूआत 2018 में इंदौर से हुई थी। इसके फाउंडर यश गुप्ता हैं जो एक परिचित की शादी में गए थे यहां पर उन्होंने देखा की खाना शादी में बहुत वेस्ट हो रहा है। इससे उन्हें आइडिया आया कि क्यों ना बचा हुआ खाना फेंकने के बजाए जरूरतमंद लोगों तक पहुंचाना शुरू करें। जिसके बाद यश ने संस्था बनाकर लोगों की मदद करना शुरू किया।



1.5 लाख लोग जुड़े



संस्था ने फरवरी 2021 से पैसे दान में लेना शुरू किए है। इससे पहले संस्था किसी से भी पैसे दान में नहीं लेती थी। संस्था घरों में उपयोग में न आ रहे सामान को इकट्ठा कर उपयोग लायक बना जरूरतमंद परिवारों तक पहुंचाती है। संस्था पिछले 4 साल में लगभग 15 लाख जरूरतमंद परिवारों तक मदद पहुंचाई चुकी है। संस्था से इंदौर के 1.5 लाख लोग जुड़े हुए हैं।


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