अपनी जमीं से सबसे अधिक धन देने वाले शहर की जिंदगी में अंधेरा ही अंधेरा, जहां लोग कोयला खाते हैं, कोयला पीते और कोयला में जीते हैं

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BP Shrivastava
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अपनी जमीं से सबसे अधिक धन देने वाले शहर की जिंदगी में अंधेरा ही अंधेरा, जहां लोग कोयला खाते हैं, कोयला पीते और कोयला में जीते हैं

SINGRAULI. मध्यप्रदेश में अपनी जमीं से सबसे ज्यादा राजस्व देने वाले सिंगरौली की जिंदगी काली और धुंधली होती जा रही है। लोगों को कंपकपा देने वाली आवाजों के बीच यहां की हवा और पानी भी प्रदूषित हो गया है। यूं कहें, तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी कि यहां के रहवासियों का जीना दूभर हो गया है। दिन में राहत न रात में। यहां बीमारियां मुंह खोले खड़ी रहती हैं। जिसका दुष्परिणाम है कि हर साल  करीब 50 लोग टीवी का शिकार होकर मौत को गले लगाते हैं। सिंगरौली के लोगों का कहना है कि वे कोयला खाते हैं, कोयला पीते हैं और कोयले में जीते हैं। विकास के इस चकाचौंध में हमारी जिंदगी में आज भी अंधेरा ही अंधेरा है। यहां बता दें कि ऊर्जाधानी सिंगरौली के नाम से प्रसिद्ध ये शहर देश में सबसे अधिक बिजली और कोयले का उत्पादन करता है। काले हीरे के साथ यहां की जमीं सोना भी उगलती है यान सिंगरौली में सोने का उत्पादन भी किया जा रहा है।



शहर में हर शख्स परेशान सा क्यों है?



सिंगरौली ऋषि श्रृंगी मुनि की तपोभूमि है जहां देश में सबसे अधिक मात्रा में बिजली व कोयले का उत्पादन किया जाता है। प्रदेश को सबसे अधिक राजस्व भी इसी जिले से मिलता है। साल 1978 में आई फिल्म 'गमन' का ये गाना- सीने में जलन, आंखों में तूफान सा क्यों है, इस शहर में हर शख्स परेशान सा क्यों है? इस शहर की हालत केा बखूबी बयां करता है,जहां हवा में जहर घुला  है। हर सांस सिंगरौली वालों पर भारी है। काचन नदी के पानी में बर्फ जैसा सफेद, लेकिन जहरीला फोम भरा हुआ है। एक तरफ बारूद की ढेर पर शहर बसा है, जिससे लोगों में आज भी खौफ है। 



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हर जहन में समाई है 5 जुलाई 2009 की वो काली रात



5 जुलाई 2009 की वो काली रात हर किसी के जहन में समाई हुई है, इस दिन बारूद कंपनी में एक तेज धमाके के साथ विस्फोटक हुआ था, जिसमें 30 लोगों की मौत और 100 लोग घायल हो गए थे तो वहीं दूसरी ओर यहां के लोग कोयला खाते हैं, पीते हैं और इसी में जीते हैं। जिस वजह से यहां के लोग कई गंभीर बीमारियों की चपेट में हैं। मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया, स्वाइन फ्लू जैसी बीमारियां से जिंदगी की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं, लेकिन दमघोंटू हवा इस शहर के लोगों के लिए सबसे बड़ी मुसीबत बन गई है।



हवा के हर कंण घुला है कोयला



सिंगरौली का नाम बिजली व कोयले उत्पादन के लिए देश विदेश में जाना जाता है, लेकिन प्रदूषण के मामले में भी सिंगरौली जिला का नाम देश के टॉप टेन सूची में शामिल है। यहां की सड़कों पर कोयले की काली धूल दिखाई देती है। लोगों के घरों में कोयले की परत जम जाती है। सड़कों पर कोयले से लोड वाहन दौड़ते हैं। कोयले की काली धूल का गुबार भी हवा में घुल कर प्राणवायु को जहरीला बना दिया। यहां के लोग जब सांस लेते हैं तो उनके नाक से भी कोयले के कण दिखाई देते हैं यानी सांसों में भी कोयले के कण हवा के साथ मिल गए हैं। इस इलाके के लोग प्रदूषण का दंश झेलने को मजबूर हैं।



दुनिया के 10 सबसे प्रदूषित शहरों में शामिल



 विश्व भर के प्रदूषित क्षेत्रों का डाटा तैयार करने वाली अमेरिका की संस्था ब्लैक स्मिथ ने सिंगरौली को दुनिया के 10 सर्वाधिक प्रदूषित क्षेत्रों में शुमार किया वहीं केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण एजेंसी ने भी इसे देश के 22 अत्यधिक प्रदूषित क्षेत्रों की सूची में रखा है। धरती के 6 सर्वाधिक प्रदूषण चिंताओं में शुमार पारा यहां की हवाओं में घुल गया है और घुल रहा ह। इसके लिए भी उड़न राख को जिम्मेदार बताया गया है।



हैवी ब्लास्टिंग की आवाजें गुंजती है शहर में



 हैवी ब्लास्टिंग की तेज आवाज पूरे शहर में गूंजती है। बताया जाता है कि कोल माइंस कंपनियां मानकों को दरकिनार कर अनियंत्रित हैवी ब्लास्टिंग करती हैं, जिससे विस्थापित व आसपास के रहवासी आहत हैं। ब्लास्टिंग अमलोरी, मुहेर के साथ ही अन्य खदानों में की जाती है जिसकी धमक कई किलोमीटर दूर तक होती है। इससे प्रभावित लोगों में आक्रोश है। प्रभावित लोगों अक्सर प्रशासन से शिकायत करते रहते हैं। खदान में किए जा रहे हैवी ब्लास्टिंग से समूचा क्षेत्र कांप उठता है। ब्लास्टिंग इतने व्यापक स्तर पर होती है कि पूरा इलाका धधक उठता है। तेज धमाके की गूंज से इलाके के घरों में भारी दरारें आ गईं हैं। इससे पहले भी कई मकान गिर चुके हैं। 



टीबी से हर साल करीब 40-50 लोगों की मौत



बैढ़न ब्लॉक के विंध्यनगर, नवजीवन विहार, देवसर ब्लॉक के कुर्सा और सरौंधा गांव और चितरंगी ब्लॉक के कोरसर, बर्दी व तमई गांव में टीबी के मरीज सबसे अधिक हैं। करीब 10 हजार की आबादी पर यहां हर साल 40 से 50 लोगों की मौत हो रही है। देश में 2020 में हर एक लाख लोगों पर 32 मौतें हुई हैं। सीएमएचओ  एनके जैन के मुताबिक सिंगरौली में प्रदूषण जनित बीमारियों जैसे सर्दी-खांसी, फेफड़ों और सांस से संबंधी, ब्लड की सप्लाई बाधित होना, दमा आदि के ज्यादा मरीज हैं. 2020 में 805, 2021 में 976 और 2022 में औसतन 1128 टीबी के मरीज सामने आए हैं। देश में यह आंकड़ा प्रति लाख लोगों पर 188 है, प्रदेश में हर 10 लाख पर औसतन 857 टीबी के मरीज सामने आए हैं। टीबी की मॉनिटरिंग सरकार करती है, इसलिए इसके आंकड़े उपलब्ध भी हैं वरना खांसी, अपंगता और कई बीमारियों को लेकर आज तक सरकार ने कोई सर्वे ही नहीं किया।


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