Balaghat, Sunil Kore. बालाघाट में घने जंगलों के बीच सड़ी गली हालत में एक तेंदुए का शव बरामद हुआ है। वनों से घिरे में वन्यप्राणियों की बाहुलता ही उनकी जान की दुश्मन बन गई है। संरक्षित वन्यप्राणियों के शिकार के मामले अक्सर सामने आते रहे है। वन विभाग को शिकार के कुछ मामलों में शिकारियों को पकड़ने में कामयाबी तो मिली है लेकिन लगातार संरक्षित वन्यजीवो के शिकार ने उनकी सुरक्षा पर सवाल भी खड़े कर दिये है।
डिकंपोज्ड हालत के कारण नहीं हो पाया डिटेल पोस्टमार्टम
ताजा मामला उत्तर सामान्य के उकवा वन परिक्षेत्र अंतर्गत खमरिया के पास का है, जानकारी के बाद जहां से वनविभाग की टीम ने सड़ी-गली हालत में मृत तेंदुये का शव बरामद किया है। हालांकि मृत मिले तेंदुये के बिरसा, आर्गन और अंदरूनी अंग पूरी तरह से गल चुके थे, जिसके चलते उसका डिटेल पोस्टमार्टम नहीं हो सका।
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आशंका जताई जा रही है कि तेंदुये की मौत या फिर शिकार, दो हफ्ते पहले हो हुई होगी, चूंकि जिस तरह से मृतक तेंदुये के पूरे अंग गल गये है, जिससे अंदाजा नहीं लगाया जा पा रहा है कि आखिर उसकी मौत कब और कैसे हुई होगी। फिलहाल घटना की जानकारी के बाद विभागीय अमले की मौजूदगी में पशु चिकित्सक विजय मानेश्वर, ज्योति मरावी और राहुल मेरावी द्वारा उसका पीएम के दौरान तेंदुये की मौत की जानकारी के लिए उसका सैंपल लिया गया है। जिसे जांच के लिए भेजा जायेगा।
नक्सली मूवमेंट की वजह से भी गश्त से कतराता है विभाग
बालाघाट में पिछले काफी लंबे समय से नक्सली मूवमेंट की सुगबुगाहट देखी जा रही है। वन विभाग द्वारा सीमित गश्त के पीछे एक बड़ी वजह यह भी है। जिसके चलते शिकारी वन्य प्राणियों का शिकार बेधड़क होकर करते हैं। बालाघाट में वन विभाग की लालफीताशाही पर विद्या बालन की फिल्म शेरनी भी बन चुकी है। जिसमें यह दिखाया गया है कि वनविभाग कैसे अफसरशाही का गुलाम बना हुआ है। जिसका खामियाजा हमेशा वन्यप्राणियों को ही उठाना पड़ता है।