मप्र के 5 लाख पेंशनर्स की महंगाई राहत फिर अटकी, वित्त मंत्री देवड़ा ने कहा- छत्तीसगढ़ से जवाब आते की बढ़ा दी जाएगी

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BP Shrivastava
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मप्र के 5 लाख पेंशनर्स की महंगाई राहत फिर अटकी, वित्त मंत्री देवड़ा ने कहा- छत्तीसगढ़ से जवाब आते की बढ़ा दी जाएगी

BHOPAL. मध्यप्रदेश के 5 लाख पेंशनर्स की 5 फीसदी महंगाई राहत (डीआर) का मामला फिलहाल एक बार फिर अटक गया है। मप्र के पेंशनर्स को डीआर छत्तीसगढ़ के साथ दिया जाता है। मामले में वित्त मंत्री जगदीया देवड़ा का कहना है कि छत्तीसगढ़ से जवाब आते  ही तत्काल पेंसनर्स की महंगाई राहत बढ़ा दी जाएगी। बताते हैं महंगाई राहत नहीं बढ़ने से पेंशनर्स को हर माह 400 से 4000 र रुपए तक का नुकसान हो रहा है। इससे दोनों राज्यों के करीब 6 लाख पेंसनर्स प्रभावित होते हैं।



महंगाई राहत हर 6 माह में एक साथ मिलती है



मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में दोनों राज्यों की सहमति के बाद ही महंगाई राहत दी जाती है। यही वजह है कि दोनों राज्यों में पेंशनर्स को महंगाई राहत हर 6 माह में एक साथ मिलती है। दोनों राज्यों में इससे 6 लाख पेंशनर्स प्रभावित होते हैं। राज्य पुनर्गठन की धारा 49 के तहत पेंशनर्स की महंगाई राहत पर खर्च होने वाली राशि का 76 प्रतिशत हिस्सा मप्र और 24 प्रतिशत का भुगतान छत्तीसगढ़ करता है। यानी 5 फीसदी महंगाई राहत पर हर महीने आने वाले 80 करोड़ के खर्च में से 66 करोड़ का भुगतान मप्र और 14 करोड़ रुपए छत्तीसगढ़ को देने होंगे।



इस तरह अटके मामले




  • वर्ष 2000 के पेंशनर्स का 32 महीने के एरियर का भुगतान अटका हुआ है। हाईकोर्ट भी भुगतान के आदेश दे चुका है, लेकिन अब तक भुगतान नहीं हुआ। प्रत्येक पेंशनर को 1.50 से 2 लाख रुपए का भुगतान किया जाना है। 


  • सातवें वेतनमान का 27 माह का एरियर दिया जाना है। इस मामले में भी अभी तक कोई फैसला नहीं हो सका है। यह राशि प्रत्येक पेंशनर के खाते में 3 से 4 लाख रुपए के बीच आनी है।

  • कर्मचारियों को यह दोनों भुगतान किए जा चुके हैं, जबकि पेंशनर्स के मामले में दोनों राज्यों में सहमति न बनने से इनका निराकरण नहीं हो सका।



  • पेंशनर्स के मामले भी दोनों राज्यों की औपचारिकताएं खत्म हों



    मप्र को हाल ही में 140 करोड़ रुपए का भुगतान कर्मचारी भविष्य निधि (जीपीएफ) का भुगतान राज्य सरकार को करना पड़ा। हाईकोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता और मप्र-छत्तीसगढ़ पेंशनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष बीके बख्शी का कहना है कि 20 साल में राज्य सरकार अनुपयोगी हो चुके कानूनों की समीक्षा कर रही है। इस मामले में भी कदम उठाएं, क्योंकि दोनों राज्यों के बीच अधिकांश मामलों का निराकरण हो चुका है। पेंशनर्स से संबंधित विलीनीकरण की धारा 49 महज औपचारिकता है। इसके हटने से दोनों राज्य अपने-अपने स्तर पर पेंशनर्स के मामलों का निराकरण कर सकेंगे।


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