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देव श्रीमाली, GWALIOR. ग्वालियर-चम्बल समेत पूरे देश में इस समय भीषण सर्दी का कहर बरपा रही है। लोग अपने शरीर में गर्माहट लाने के तमाम उपाय कर रहे हैं और खानपान भी बदल रहे हैं। ठंड के चलते कड़कनाथ मुर्गों की डिमांड बढ़ गई है। ग्वालियर के केंद्र में यूपी, राजस्थान सहित देश के कई राज्यों से डिमांड आ रही है लेकिन इन्हें सप्लाई नहीं हो पा रही और लंबी वेटिंग है।
ग्वालियर में होती है कड़कनाथ की फार्मिंग
आदिवासी इलाके झाबुआ और आलीराजपुर में कड़कनाथ मुर्गा पाया जाता है। काले रंग के इस अलग तरह के मुर्गे को दुनियाभर में पहचान मिली हुई है। इसका गोश्त काफी गर्माहट देने वाला माना जाता है। मध्यप्रदेश सरकार ने इसकी ब्रांडिंग की और फिर इसे कृत्रिम तौर पर फार्मिंग के जरिए उत्पादित करने के लिए ग्वालियर के कृषि विवि के कृषि विज्ञान केंद्र में एक खास फार्म तैयार किया गया जहां अंडों के जरिए इनके चूजों को हेचरिंग के जरिए तैयार किया जाता है और देशभर में इनकी सप्लाई की जाती है।
मध्यप्रदेश में बढ़ती ठंड के कारण बढ़ी कड़कनाथ की डिमांड
उत्तर भारत में इस समय काफी सर्दी है और इसका सबसे बड़ा कारण ये माना जाता है कि कड़कनाथ मुर्गे का मांस सर्दियों में काफी गर्म होता है। सर्दियों में इसका मांस खाना शरीर के लिए बेहद फायदेमंद है। यही कारण है कि सर्दियों में कड़कनाथ मुर्गे की भारी डिमांड आ रही है और ये डिमांड मध्यप्रदेश से ही नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश राजस्थान और दिल्ली से है। राजमाता विजयराजे कृषि विश्वविद्यालय के अंतर्गत कृषि विज्ञान केंद्र में अभी 1 महीने में लगभग 2 हजार चूजे तैयार हो रहे हैं जबकि यहां अभी करीब 10 हजार चूजों की डिमांड दिल्ली, राजस्थान, यूपी के साथ-साथ मध्यप्रदेश के अन्य जिलों से आ रही है लेकिन अभी इनके इतने चूजे तैयार ही नहीं हो पा रहे और लंबी वेटिंग लगी हुई है।
देशभर में यहां से जाते हैं कड़कनाथ
मध्यप्रदेश के ग्वालियर में स्थित राजमाता विजयराजे विश्वविद्यालय के अंतर्गत आने वाला कृषि विज्ञान केंद्र मध्यप्रदेश का तीसरा कड़कनाथ का हैचरी सेंटर है। यहां पर कड़कनाथ के अंडे से हेचरी के जरिए चूजे तैयार किए जाते हैं और प्रदेश के साथ-साथ अलग-अलग राज्यों में सप्लाई किए जाते हैं। यही कारण है कि जब ठंड की शुरुआत होती है तो इनकी डिमांड काफी बढ़ जाती है। यहां से मध्यप्रदेश के साथ-साथ उत्तर प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र और हैदराबाद के भी लोग कड़कनाथ के चूजे और मुर्गा-मुर्गी लेने पहुंचते हैं। कड़कनाथ मुर्गा का ये हेचरी सेंटर ग्वालियर के अलावा मध्यप्रदेश में दो अन्य जगह और स्थित है। जहां ग्वालियर में ये कृषि विज्ञान केंद्र हर साल लगभग 50 हजार कड़कनाथ मुर्गों के चूजे तैयार करता है और पूरे देशभर में सप्लाई करता है।
लगातार बढ़ता जा रहा है कड़कनाथ का उत्पादन
कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ साइंटिस्ट डॉ. राज सिंह कुशवाह ने बातचीत में 'द सूत्र' से कहा कि ग्वालियर का कृषि विज्ञान केंद्र 2016 से कड़कनाथ का उत्पादन कर रहा है। यहां पर झाबुआ से लाकर 200 चूजों की हेचरी बनाई गई थी इसके बाद लगातार इसकी उत्पादन क्षमता बढ़ाई जा रही है।
ग्रामीणों को दी जा रही है ट्रेनिंग
कड़कनाथ मुर्गे का उत्पादन बढ़ाने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में मुर्गी पालन करने वाले ग्रामीणों को ट्रेनिंग देकर इसका उत्पादन बढ़ाया जा रहा है। इसके साथ ही सर्दियों के सीजन में कड़कनाथ मुर्गे की डिमांड इतनी बढ़ जाती है कि इनकी पूर्ति भी नहीं कर पा रहे हैं लेकिन ज्यादातर प्रयास रहता है कि सभी लोगों की डिमांड पूरी की जाए।
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कड़कनाथ की सर्दियों में इसलिए हो जाती है भारी डिमांड
अब तक खानपान लैब में हुए अनेकों रिसर्च के अनुसार कड़कनाथ प्रजाति के मुर्गों की सामान्य प्रजाति की मुर्गों से अच्छी मेडिकेशन वैल्यू होती है। इसके साथ ही कड़कनाथ में प्रोटीन तत्व 25 फीसदी, फैट 0.73 से 1.03 प्रतिशत तक रहता है। इसके साथ ही लिनोलेनिक एसिड 24 फीसदी और कोलेस्ट्रॉल 184 मिलीग्राम होता है। कड़कनाथ के मांस में प्रोटीन मुर्गे की अन्य प्रजातियों से ज्यादा होता है जबकि फैट और कोलेस्ट्रॉल ना के बराबर होता है। अच्छी मेडिसिनल वैल्यू की वजह से इसमें बीमारियां भी नहीं होती है और कड़कनाथ मुर्गे की प्रजाति का खून काले रंग का होता है। इसके अलावा मांस और हड्डियां भी काली होती हैं। कड़कनाथ गर्म तासीर का होता है। इसी वजह से सर्दियों में इसके मांस का सेवन काफी लाभदायक और शरीर के लिए काफी हेल्दी माना जाता है।