अरुण तिवारी, BHOPAL. चुनावी साल में प्रदेश में एक नई राजनीतिक संस्कृति ने जन्म ले लिया है। सरकार के विरोध प्रदर्शनों को रोकने का काम करने वाली पुलिस ही जब विरोध करने लगे तो ये समझा जा सकता है कि सब कुछ ठीक नहीं है। आमतौर पर अनुशासित रहकर अपना फर्ज निभाने वाले पुलिसकर्मियों का ये नया रुप चौंकाने वाला है। राजधानी के नेहरु नगर पुलिस लाइन में मप्र पुलिस में हाल ही में चयनित हुए 6 हजार आरक्षकों को सीएम शिवराज सिंह चौहान नियुक्ति पत्र देने पहुंचे। लेकिन बात जब वेतन की आई तो मंच के सामने मौजूद नव आरक्षकों ने नारेबाजी कर दी। सीएम के भाषण के दौरान ये नारेबाजी शुरु हो गई जिससे सीएम के चेहरे का रंग उड़ गया और वे असहज हो गए। अपना मोटीवेशनल भाषण खत्म कर सीएम वहां से चले गए।
नवआरक्षक यह याद रखें कि यह वर्दी देश की रक्षा और समाज की सुरक्षा व अपराधियों पर कहर बनकर टूट पड़ने के लिए है।
भोपाल में नवनियुक्त आरक्षकों को नियुक्ति प्रमाण पत्र वितरण एवं उन्मुखीकरण कार्यक्रम में नियुक्ति प्रमाण पत्र भेंटकर शुभकामनाएं दी। https://t.co/LyUX0X0tS0 https://t.co/MUtVtge2zG pic.twitter.com/kPsByVEDik
— Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) January 27, 2023
सीएम और गृह मंत्री के सामने पुलिस की नारेबाजी
ये नारेबाजी अकेले सीएम के सामने ही नहीं बल्कि गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा के भाषण के दौरान भी हुई। मिश्रा ने जैसे ही भाषण के लिए माइक संभाला और नारेबाजी शुरु हो गई। मिश्रा ने इशारा कर नारेबाजी बंद करने को कहा। नए आरक्षकों का ये विरोध वेतन के उस फॉर्मूले पर था जिसमें पहले साल मूल वेतन का 80 फीसदी,दूसरे साल 90 फीसदी और तीसरे साल पूरा सौ फीसदी वेतन दिए जाने की बात है। आरक्षकों ने नारेबाजी और हंगामा कर पूरा सौ फीसदी वेतन देने की मांग की।
पुलिस का राजनीतिकरण
रिटायर्ड आईपीएस विजय वाते का कहना है कि सामान्य तौर पर पुलिस जैसी सेवा में नियुक्ति पत्र देने का काम बहुत सामन्य और रुटीन प्रक्रिया है जिसे एक बाबू ही पूरा कर देता है। विजय वाते कहते हैं कि इस कार्यक्रम में आखिर सीएम क्यों पहुंचे। ये तो सस्ती लोकप्रियता हासिल करने का तरीका है। सरकार तो पुलिस का राजनीतिकरण कर रही है। जानकारों का कहना है कि सवाल इसलिए गंभीर है क्योंकि ये चुनावी साल है और इसमें पुलिस की अहम भूमिका रहने वाली है। सीएम ने कहा कि कर्तव्य के पथ पर चलते हुए अगर कोई कठिनाई आए तो चिंता मत करना पूरी सरकार आपके साथ खड़ी है। उन्होंने ये भी विश्वास दिलाया कि पूरी पारदर्शिता के साथ उनका चयन किया गया है।
सिंहस्थ में संवेदनशीलता की घटना को सुनाया
इससे पहले सीएम ने भावनात्मक और प्रेरक भाषण देकर नए पुलिसकर्मियों को उनकी अहमियत बताई। क्या इसे पुलिस को प्रभावित करने की कोशिश नहीं कही जा सकती। सीएम ने कहा- 2016 में सिंहस्थ के दौरान एक बुढ़ी अम्मा सीढियां नहीं चढ़ पा रहीं थी तो हमारे पुलिस के जवान ने दोनों हाथों से गोद में उठाया और सीढ़ियां चढ़ाकर ले गया। कोविड में मप्र पुलिस सबका सहारा बनी थी। मप्र की साढ़े आठ करोड जनता अपनी जान जोखिम में डालकर आपके ऊपर भरोसा करती है। लॉकडाउन में पीपीई किट पहनकर जनता की सुरक्षा करने के लिए सड़कों पर मप्र पुलिस का जवान खड़ा था। अपने आप को कुर्बान कर दिया हमने उन परिवारों का साथ नहीं छोड़ा। भर्ती परीक्षा पूरी तरह से पारदर्शी हो इसमें कोई कसर नहीं छोड़ी। अब आपको टीम के साथ काम करना पडे़गा। यहां तक आप अकेले आ गए लेकिन अब आगे टीम वर्क मत भूलना।