मप्र के विदिशा के प्राचीन मंदिर जैसी नई संसद की डिजाइन, जानें इस मंदिर के बारे में और नए संसद भवन का इंटीरियर

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Pratibha Rana
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मप्र के विदिशा के प्राचीन मंदिर जैसी नई संसद की डिजाइन, जानें इस मंदिर के बारे में और नए संसद भवन का इंटीरियर

BHOPAL. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 28 मई को नए सांसद भवन का उद्घाटन करेंगे। नए संसद भवन का निर्माण अब पूरा हो गया है। नया भवन आत्मनिर्भर भारत की भावना का प्रतीक है। नई टेक्नोलॉजी और कई खास सुविधाओं के साथ ही संसद की नई बिल्डिंग बनाई गई है। संसद भवन को बनने में लगभग 971 करोड़ रूपए खर्च हुए है। करोड़ों रुपए के इस प्रोजेक्ट में वास्तु के अलावा हर चीज का ध्यान रखा गया है। दावा किया जा रहा है कि जिस मंदिर की तर्ज पर नई संसद बनी है, वो मंदिर मध्य प्रदेश के विदिशा में स्थित है। नए संसद भवन का डिजाइन भी मध्य प्रदेश के ही विजय मंदिर से मिलता-जुलता है।



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चालुक्यवंशी राजा ने करवाया मंदिर का निर्माण



विजय मंदिर देश के विशालतम मंदिरों में गिना जाता है। इस मंदिर का निर्माण चालुक्यवंशी राजा ने विदिशा विजय को चिरस्थाई बनाने के लिए यहां पर भेल्लिस्वामिन (सूर्य) का मंदिर बनवाया था। चालुक्यवंशी खुद को सूर्यवंशी मानते थे इसलिए उन्होंने इस मंदिर का निर्माण करवाया था। 10वीं व 11वीं शताब्दी में परमार काल में परमार राजाओं ने इसका पुनर्निर्माण करवाया था।



नई संसद की तरह हूबहू दिखता है ये मंदिर 



नई संसद में मध्य प्रदेश के एक मंदिर की झलक देखने को मिल रही है। दावा किया जा रहा है प्रोजेक्ट की डिजाइन इसी मंदिर को देखकर बनाई गई है। विदिशा के विजय मंदिर जैसी नई संसद की डिजाइन बनाई गई है। भारत के नए संसद भवन और विजय मंदिर की फोटो सोशल मीडिया में वायरल भी हो रही हैं। 



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नए संसद को इन्होंने किया डिजाइन



संसद भवन की नई इमारत बनाने के लिए मोदी सरकार ने गुजरात के डॉ बिमल पटेल को चुना था। बिमल को 35 साल का अनुभव है। इसमें कई सरकारी इमारतें शामिल हैं। बता दें, बिमल अहमदाबाद में सीईपीटी विश्वविद्यालय के अध्यक्ष हैं। उनकी कंपनी एचसीपी डिजाइन, प्लानिंग एंड मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड ने गुजरात सरकार और केंद्र सरकार के कई बड़े प्रोजेक्ट पर काम किया है।



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संसद में भूकंप का असर नहीं



नए संसद भवन में तीन मुख्य गेट होंगे। इनका नाम ज्ञान गेट, शक्ति गेट और कर्म गेट होगा। इस भवन में सांसदों, VIPs के अलग से एंट्री होगी। वहीं अन्य विजिटर अलग गेट से प्रवेश करेंगे। नया भवन पुराने भवन से 17 हजार वर्ग मीटर बड़ा है। इस पर भूकंप का असर नहीं होगा। इसका डिजाइन HCP डिजाइन, प्लानिंग एंड मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड ने तैयार किया है। 



हर सीट पर लगी ये खास टेक्नोलॉजी



नए संसद भवन में सासंदों के बैठने के लिए बेहतर व्यवस्था की गई है। सदन में हर सांसद की सीट के आगे मल्टीमीडिया डिस्प्ले भी लगा होगा। इसके अलावा वोटिंग के लिए नई तकनीत का यूज किया गया है। इसकी फ्लोर का प्लान राष्ट्रीय पक्षी मोर की थीम पर रखा गया है।



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पिछले जनवरी शुरू हुआ था निर्माण



नए संसद भवन का काम पिछले साल 15 जनवरी को शुरू हुआ था। इस बिल्डिंग को नवंबर 2022 में पूरा हो जाना था। पीएम नरेंद्र मोदी ने 10 दिसंबर 2020 को नए संसद भवन की आधारशिला रखी थी। तब उन्होंने कहा था कि संसद की नई बिल्डिंग से ज्यादा सुंदर कुछ नहीं हो सकता, जब भारत अपनी आजादी के 75 साल मनाएगा।



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नई बिल्डिंग बनाने के पीछे की वजह



मौजूदा संसद भवन को 96 साल पहले यानी 1927 में बनाया गया था। मार्च 2020 में सरकार ने संसद को बताया था कि पुरानी बिल्डिंग ओवर यूटिलाइज्ड हो चुकी है और खराब हो रही है। इसके साथ ही लोकसभा सीटों के नए सिरे से परिसीमन के बाद जो सीटें बढ़ेंगीं, उनके सांसदों के बैठने के लिए पुरानी बिल्डिंग में ज्यादा जगह नहीं है। इसी वजह से नई बिल्डिंग बनाई जा रही है।



पिछले साल राजपथ को मिला था कर्तव्य पथ नाम



सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट तक 3 किलोमीटर लंबे सड़क का रिडेवलपमेंट किया गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल 8 सितंबर को इसका उद्घाटन किया था। उन्होंने उसी दिन इसका नाम राजपथ से बदलकर कर्तव्य पथ करने का ऐलान किया था।



PM आवास भी इस प्रोजेक्ट का हिस्सा



कर्तव्य पथ, संसद भवन के अलावा प्रधानमंत्री का ऑफिस-घर, सेंट्रल सेक्रेटेरियट की बिल्डिंग और वाइस प्रेसिडेंट एन्क्लेव भी सेंट्रल विस्टा पावर कॉरिडोर का हिस्सा हैं। इन्हें केंद्र सरकार की एजेंसी CPWD बना रही है।

 


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