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Jabalpur. जबलपुर में धानखरीदी का पंजीयन कराने के बावजूद सैकड़ों किसान अपनी धान की फसल बेचने के लिए महीना भर से दर-दर भटक रहे हैं। बताया यह जा रहा है कि पंजीयन डाटा में उक्त किसानों की भूमि संबंधी जानकारी उपलब्ध नहीं हैं, जबकि किसानों का दावा है कि उन्होंने पंजीयन के दौरान सारी जानकारी दर्ज कराई थी, जिसके बाद ही पंजीयन की प्रक्रिया पूरी हुई थी। अब अधिकारियों को भोपाल से दिशानिर्देश मिलने का इंतजार है। उधर किसान अपनी फसल बेचने के लिए इंतजार कर रहे हैं।
पनागर क्षेत्र के ग्राम कोहना में रहने वाले कालूराम पटेल का कहना है कि उन्होंने धान उपार्जन प्रक्रिया के तहत उपज बेचने के लिए पंजीयन कराया था। उनका पंजीयन भी हो गया था। उनकी 13 एकड़ से ज्यादा जमीन है जिसमें उन्होंने धान की फसल ली थी। धान की गहाई हो चुकी है लेकिन वह न बिक पाने के कारण घर में पड़ी हुई है। दरअसल कालूराम जब धान बेचने के लिए स्लॉट बुक कराने पहुंचे तो उनका स्लॉट बुक ही नहीं हुआ। जब कारण जानना चाहा तो पता चला कि पंजीयन से खसरा, रकबा समेत अन्य जरूरी जानकारी डिलीट हो चुकी है।
कालूराम अकेले ऐसे किसान नहीं हैं उनके अलावा सैकड़ों ऐसे किसान और भी हैं जो इसी समस्या से जूझ रहे हैं। ये सभी नवंबर माह के आखिरी सप्ताह से कलेक्टर, एसडीएम, तहसीलदार और अन्य विभागों के दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन उनकी समस्या का निराकरण नहीं हो पा रहा।
जानकारी के बावजूद नहीं हुई कार्रवाई
दरअसल खाद्य विभाग को 14 दिसंबर को ही पता चल गया था कि किसानों के पंजीयन का डाटा डिलीट किया गया है। इसके बाद वे चाहते तो एनआईसी के माध्यम से आईपी एड्रेस और उसकी लोकशन पता लगा सकते थे, जहां से डाटा डिलीट किया गया है। किसी के खाते से इस तरह की छेड़छाड़ होना आईटी एक्ट के तहत अपराध है, इसलिए यह सवाल भी खड़ा होता है कि जिम्मेदार किसको बचाने का प्रयास कर रहे हैं।
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जिला आपूर्ति नियंत्रक कमलेश टांडेकर ने इस मसले पर बताया कि पीड़ित किसानों का पंजीयन रीस्टोर कराया जाना है। इसके लिए भोपाल पत्र लिखा जा रहा है। कलेक्टर के हस्ताक्षर के बाद वो पत्र भोपाल भेजा जाएगा। वहां से जो भी मार्गदर्शन प्राप्त होगा उस आधार पर आगे कार्रवाई की जाएगी।