जय महाकाल: 17 महीने बाद भस्मारती में शामिल हुए श्रद्धालु, पहले दिन 696 को प्रवेश

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जय महाकाल: 17 महीने बाद भस्मारती में शामिल हुए श्रद्धालु, पहले दिन 696 को प्रवेश

देश के प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर में 17 महीने बाद शनिवार (11 सितम्बर) को सुबह भस्मारती में भक्तों को प्रवेश मिला। पहले दिन 696 भक्तों को प्रवेश मिला। लेकिन किसी भी भक्त को नंदी हॉल और गर्भ गृह में घुसने नहीं दिया गया। गणेश मंडपम और कार्तिकेय मंडपम् में भस्मारती में शामिल हुए। गणेश चतुर्थी के पहले दिन दिल्ली, राजस्थान, बिहार, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों में भक्तों और पंडितों ने सुख-समृद्धि के साथ कोरोना के खत्म होने की कामना की। लंबे समय से कोविड-19 गाइडलाइन के कारण भक्तों को मंदिर में प्रवेश नहीं दिया जा रहा था।

कोविड नियमों का पालन नहीं हुआ

सुबह 4 बजे मंदिर परिसर में आम श्रद्धालुओं को 4 नंबर गेट से घुसने की अनुमति दी गई और 5 नंबर गेट से प्रोटोकॉल वाले श्रद्धालुओं को घुसने दिया गया। मंदि में कोविड प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया गया। न तो सोशल डिस्टेंसिंग के नियम का पालन हुआ न ही भीड़ को मंदिर में धीरे-धीरे जाने दिया गया। भक्त एक साथ गणेश मंडपम और कार्तिकेय मंडपम तक पहुंचे। 17 महीने बाद भस्म आरती के लिए श्रद्धालुओं में गजब का जोश और उत्साह देखने को मिला। 50 % क्षमता के साथ भक्तों को घुसने नहीं दिया गया। शनिवार, 11 सितंबर को हुई भस्म आरती के लिए कुल 696 परमिशन दी गयी थी। किसी भी भक्तों को गर्भ गृह में जाने की परमिशन नहीं है।

ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीकों से होगी बुकिंग

बाबा महाकाल का सभी पंडे-पुजारियों ने नियमानुसार जल व दूध से अभिषेक किया। घी, शहद, शक्कर व दही से पंचामृत अभिषेक किया। अभिषेक के बाद श्रृंगार कर भस्म आरती की गई। करीब 1 घंटे चली भस्मारती के बाद बाबा का चंदन, फल, व वस्त्र से विशेष श्रृंगार किया गया। बुकिंग 7 सितंबर से शुरू हुई। महाकाल ऐप या महाकाल मंदिर की ऑफिशियल वेबसाइट पर पहले आओ पहले पाओ की तर्ज पर अनुमति दी गई। 50 श्रद्धालु ऑनलाइन बुकिंग करा सकेंगे, जबकि 150 श्रद्धालु ऑफलाइन बुकिंग करा सकेंगे। ऑनलाइन बुकिंग कराने की स्थिति में श्रद्धालुओं को 200 रुपए चुकाने होंगे। ऑनलाइन विंडो पर भस्म आरती में शामिल होने की बुकिंग फ्री होगी।

द सूत्र the sootr 17 महीनों के बाद महाकाल के मंदिर में भक्तों को मिला प्रवेश