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दिलीप मिश्रा, DEWAS. देवास की एक महिला पांच साल पहले डॉक्टर की लापरवाही का दंश आज भी झेल रही है। डिलेवरी के लिए अस्पताल में भर्ती हुई थी, गलत इंजेक्शन लगाए जाने से उसके कमर के नीचे के पूरे हिस्से ने काम करना बंद कर दिया। पांच साल से विकलांगता का दंश झेल रही महिला हमेशा जनसुनवाई में देखी जाती है।
महिला हर जनसुनवाई में इलाज के लिए गुहार लगाती है
महिला हमेशा अपने इलाज के लिए जनसुनवाई में गुहार लगाती नजर आती है। उसे हर बार देवास के जिला अस्पताल में भर्ती कर दिया जाता है, किंतु यहां इसका इलाज संभव नहीं है। दो-चार दिन अस्पताल में रखकर छुट्टी कर दी जाती है। पीड़िता और उसका परिवार हमेशा परेशान रहता है। परिवार में पीड़िता का पति और उसके दो मासूम बच्चे हैं। आज एक बार फिर पीड़िता अपने परिवार के साथ एमजी अस्पताल चौराहे पर पहुंची और सड़क पर लेट गई। महिला और उसके परिवार के सदस्य सड़क पर लेटे तो सड़क पर दोनों ओर लंबा जाम लग गया। करीब आधे घंटे तक हंगामा चलता रहा।
पीड़िता को हमेशा आश्वासन के सिवा कुछ नहीं मिला
उसके बाद महिला पुलिस की मदद से उसे कोतवाली थाने ले जाया गया। पीड़िता को हमेशा आश्वासन के सिवा कुछ नहीं मिल पाया। आज पीड़िता का कहना था जैसे अपने पैरो पर चलकर वह अस्पताल पहुंची थी वैसे ही वह अपने घर जाना चाहती है। वह अपना इलाज कराने की गुहार करती रही। पीड़िता का नाम गिरजा कुमावत है।
गिरजा कुमावत की दर्द भरी है कहानी
पांच साल पहले तक सबकुछ अच्छा था, उसी दौरान डिलेवरी के लिए उसे जिला अस्पताल लाया गया। गिरजा कुमावत का आरोप है कि उस दौरान उसे गलत इंजेक्शन लगा दिए गए, जिससे उसके कमर के नीचे का हिस्सा सुन्न हो गया और धीरे-धीरे वह पूरी तरह से विकलांग हो गई। इलाज के लिए उसे इंदौर के एमवाय अस्पताल भी भेजा गया किंतु कोई नतीजा नहीं निकला। गिरजा बताती है कि उसे इतनी पीड़ा होती है कि वह रात-रातभर सो नहीं पाती। उसे फीजियोथेरेपी बताई गई है किंतु फीजियोथेरेपी का खर्च वहन करने की उसकी ताकत नहीं है। उसके पति ने नौकरी छोड़ दी क्योंकि घर में पत्नी और बच्चों का ख्याल रखने वाला घर पर कोई नहीं है आर्थिक स्थति भी खराब है।
अधिकारी कहते हैं महिला शिकायत करने की आदतन है
अधिकांश वह जनसुनवाई में भी जाती है बार-बार न्याय मांगने वह जनसुनवाई में जाती है तो उस पर इस बात की छाप लगा दी गई वह तो शिकायत करने की आदतन है। यही वजह है कि उसकी बात पर अब कोई अधिकारी ध्यान नहीं देते। लेकिन वास्तविकता तो यह है कि उसे अगर उसे थोड़ी बहुत सरकारी मदद मिल भी गई तो उसने जो खोया है क्या उसकी भरपाई हो सकती है।
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पीड़ित है परेशान
इसीलिए तो बार-बार न्याय की गुहार लगाने पहुंचती है। ऐसा नहीं है कि उसकी मदद नहीं हुई लेकिन जो मदद मिली भी उसे पर्याप्त नहीं कहा जा सकता है। आज जब महिला अपने परिवार के साथ सड़क पर लेटी हो करणी सेना की महिला इकाई की पदाधिकारी उसके समर्थन में आई और पीड़िता की मांग पर सरकारी नुमाइंदों से ध्यान देने का आग्रह किया है।