पवन सिलावट, RAISEN. एक ओर जहां मध्यप्रदेश सरकार प्रदेश में शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए करोड़ों खर्च कर रही है लेकिन ऐसा लग रहा है कि सालों बाद भी ये प्रयास नाकाफी है। सरकारी स्कूल आज भी बेहतर शिक्षा के साथ जगह के लिए तरस रहे हैं। इससे आप मध्यप्रदेश में शिक्षा के स्तर का अंदाजा लगा सकते हैं। ये पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी का बीलखेड़ी गांव है।
कड़ाके की ठंड में खुले आसमान के नीचे पढ़ रहे मासूम
रायसेन जिले की भोजपुर विधानसभा के अंतर्गत आने वाले बीलखेड़ी के प्राइमरी स्कूल में भवन जर्जर हो गया है। पहली से पांचवीं कक्षा के बच्चे कड़ाके की ठंड में खुले आसमान के नीचे पढ़ने को मजबूर हैं। जर्जर हुए स्कूल भवन के गिरने का खतरा हर वक्त बना रहता है।
सालों से 2 कमरों का स्कूल भी नहीं बना पाई सरकार
विधायक सुरेन्द्र पटवा से ग्रामीण कई बार गुहार लगा चुके हैं लेकिन सरकार सालों से 2 कमरों का स्कूल भी नहीं बना पाई है। छोटे-छोटे बच्चे सर्दी हो या गर्मी खुले आसमान के नीचे बैठकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं। स्कूल में पहली से पांचवीं तक 27 बच्चे पढ़ रहे हैं। इन्हें टाट पट्टी और बोरों पर बैठना पड़ता है। स्कूल में बेंच भी नहीं हैं। स्कूल में एक शिक्षक और शिक्षिका तैनात हैं।
स्कूल दिया लेकिन सुविधाएं नहीं
सरकार ने स्कूल तो दे दिया लेकिन सुविधा के नाम पर कुछ नहीं दिया। अनुविभागीय अधिकारी का रटा-रटाया जवाब रहता है। जानकारी प्राप्त हुई है जांच करके रिपोर्ट वरिष्ठ अधिकारियों को भेजी जाएगी। वहीं स्थानीय लोग और स्कूली शिक्षकों ने अपनी समस्याएं वरिष्ठ अधिकारियों सहित मीडिया को बताईं लेकिन ढाक के तीन पात वाला हाल ही रहा।
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शिक्षक बोले- भवन जर्जर, इसलिए बाहर पढ़ा रहे हैं
बीलखेड़ी प्राइमरी स्कूल के टीचरों का कहना है कि भवन की हालत जर्जर है। भवन कई जगहों से टूट-फूट रहा है इसलिए बच्चों को बाहर पढ़ाना पढ़ रहा है। बच्चों का कहना है कि वे बाहर पढ़ते हैं तो उन्हें ठंड लगती है लेकिन भवन के गिरने का खतरा बना हुआ है। इसलिए बाहर बैठकर पढ़ना मजबूरी ही बन गई है।