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BHOPAL. डिंडोरी जिले के ग्राम जल्दा मुड़िया की ग्राम सभा ने नए साल के मौके पर गांव में पूर्ण रूप से शराबबंदी लागू करने का प्रस्ताव पारित किया है। प्रदेश के इस आदिवासी बहुल जिले में पेसा कानून लागू होने के बाद किसी ग्राम सभा द्वारा गांव में पूर्ण रूप से शराब के उत्पादन, बिक्री और उपयोग पर प्रतिबंध लगाने का यह पहला मामला है। यह फैसला गांव में महुआ से बनने वाली देशी शऱाब पर भी लागू होगा।
नया वर्ष, नया संकल्प
"पेसा नियम" के दिख रहे असर।
जनजातीय समाज को पेसा नियम के तहत प्रदान किए गए अपने ग्राम से संबंधित अधिकारों के बेहतर परिणाम दिख रहे हैं।डिंडौरी जिले के ग्राम जल्दा मुड़िया में ग्राम सभा ने गांव में पूर्ण रूप से शराब निषेध प्रस्ताव पारित कर अहम पहल शुरू की है। pic.twitter.com/rS7kdIahZV
— Collector Dindori (@dindoridm) January 2, 2023
मुख्यमंत्री ने ग्राम सभा की महिला सदस्यों को दी बधाई
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ग्राम सभा की इस पहल की सराहना करते हुए जल्दा मुड़िया ग्राम सभा की महिला सदस्यों को बधाई दी है। मुख्यमंत्री ने इस बारे में सोमवार, 2 जनवरी को ट्वीट कर कहा कि प्रदेश में पेसा एक्ट लागू होने के सकारात्मक परिणाम सामने आने लगे हैं। यह देख खुशी हो रही है। प्रदेश सरकार ने जिस उद्देश्य के साथ आदिवासियों के सामाजिक-आर्थिक हितों के लिए पेसा कानून लागू किया था वो अब साकार हो रहा है।
महुआ से शराब बनाने पर भी लगाई पाबंदी
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह अत्यंत खुशी और आनंद का विषय है कि नशा मुक्ति के इस संकल्प से गांव में सुख-शांति, समृद्धि और खुशहाली के नए रास्ते खुलेंगे। ग्रामसभा की यह पहल अभिनंदन और प्रेरित करने वाली है। हम सब के प्रयासों से ही मध्य प्रदेश नशा मुक्त राज्य बनेगा। बता दें कि रविवार. 01 जनवरी को नए साल के मौके पर डिंडोरी जिले के ग्राम जल्दा मुड़िया में ग्राम सभा ने गांव को पूर्ण रूप से शराबबंदी का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित कर शराबबंदी की दिशा में एक अहम पहल की शुरुआत की है। गांव की महिला सदस्यों के नेतृत्व में बनी इस समिति के सभी सदस्यों और ग्रामीणों ने एक स्वर में गांव में पूर्ण शराबबंदी शराब पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने के फैसले का समर्थन किया। इसमें महुआ से बनने वाली देसी शराब भी शामिल है।
PESA एक्ट की जरूरत क्यों पड़ी ?
देश के संविधान में 73वें संशोधन के माध्यम से त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था लागू की गई थी। लेकिन ये महसूस किया गया कि इसके प्रावधानों में अनुसूचित क्षेत्रों विशेषकर आदिवासी क्षेत्रों की जरूरतों का ध्यान नहीं रखा गया है। इसी कमी को पूरा करने के लिए संविधान के भाग-9 के अंतर्गत अनुसूचित क्षेत्रों में विशिष्ट पंचायत व्यवस्था लागू करने के लिए पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों पर विस्तार) अधिनियम 1996 बनाया गया।
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PESA कानून का उद्देश्य
बता दें कि पेसा (पंचायत-अनुसूचित क्षेत्रों में विस्तार-अधिनियम 1996) कानून का उद्देश्य अनूसूचित क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए ग्राम सभाओं के माध्यम से स्वशासन सुनिश्चित करना है। ये कानून देश में 24 दिसंबर 1996 को लागू किया गया था। ये कानून मध्यप्रदेश के ही आदिवासी नेता और पूर्व सांसद दिलीप सिंह भूरिया की अध्यक्षता में बनाई गई समिति की सिफारिश पर एक्ट तैयार हुआ था। इस अधिनियम को 24 दिसम्बर 1996 को राष्ट्रपति के अनुमोदन से लागू किया गया था। लेकिन आदिवासियों को अधिकार संपन्न बनाने के लिए इस केंद्रीय कानून के वजूद में आने के 26 साल बाद भी एक्ट में किए गए प्रावधान पूरी तरह मध्यप्रदेश में लागू नहीं हुए थे। प्रदेश में लंबे समय से ये एक्ट सभी प्रावधानों के साथ पूरी तरह लागू करने की मांग की जा रही थी।
PESA कानून में ग्राम सभा का महत्व और अधिकार
पेसा एक्ट ग्राम सभाओं को विकास योजनाओं की मंजूरी देने और सभी सामाजिक क्षेत्रों को नियंत्रित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने का अधिकार देता है। इसके तहत ग्राम सभा को इन क्षेत्रों के अधिकार दिए जाने का प्रावधान है।
- प्राकृतिक संसाधनों पर नियंत्रण: जल, जंगल, जमीन से जुड़े संसाधन, लघु वनोपज, इन क्षेत्रों में मानव संसाधन से जुड़ीं प्रक्रियाएं, स्थानीय बाजारों का प्रबंधन, जमीन का कटाव रोकना।
PESA कानून में ग्राम सभा के कार्य
ग्राम सभा एक ऐसी संस्था है जिसमें वे सभी लोग शामिल होते हैं जिनके नाम ग्राम स्तर पर पंचायत की मतदाता सूची में दर्ज होते हैं। मतदाता सूची में दर्ज 18 वर्ष से अधिक उम्र के व्यक्ति ग्राम सभा के सदस्य हो सकते हैं। पंचायती राज अधिनियम के अनुसार ग्राम सभा की बैठकें साल में कम से कम दो बार जरूर होनी चाहिए। ग्राम पंचायत को अपनी सुविधानुसार ग्राम सभा की बैठक आयोजित करने का अधिकार है।