राहुल शर्मा, अंकुश मौर्य । भोपाल. यदि आपको अपनी कॉलोनी या शहर में अच्छी सड़कें (Good Roads) चाहिए तो आपको वीआईपी (VIP) होना बेहद जरूरी है। यह हम नहीं कह रहे बल्कि प्रदेश में ऐसा ही हो रहा है। इस कड़वी हकीकत को साबित करने वाली एक चर्चित खबर सोमवार, 11 अक्टूबर को अखबारों की सुर्खियां बनी। यह खबर गुना की थी जिसमें बताया गया कि कैसे जिले प्रभारी मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर (Pradhuman Singh Tomar) को गड्ढों से भरी सड़कों पर झटके लगे तो उनके एक फोन पर गुना (Guna) में एबी रोड पर आनन-फानन में पेचवर्क शुरू कर दिया गया। इतना ही नहीं पीडब्ल्यूडी (PWD) के जिम्मेदार अफसरों ने नाराज मंत्री जी को भरोसा दिलाया कि गुना बायपास के खराब हिस्से को अगले ही दिन दुरुस्त करवा दिया जाएगा। आपको बता दें कि सिस्टम के वीआईपी सिंड्रोम (VIP Syndrome) से पीड़ित होने का यह कोई दुर्लभ उदाहरण नहीं है बल्कि यह हर जगह हो रहा है। राजधानी भोपाल (Bhopal) भी इससे अछूती नहीं है। सड़कों के मेंटेनेंस में भी आम और खास के फर्क को बेनकाब करती द सूत्र की ग्राउंड रिपोर्ट को देखकर आप भी चौंक जाएंगे।
राजधानी में सड़क के गड्ढे भरने में भी भेदभाव
जी हां, राजधानी में सड़कों के गड्ढे भरने में भी आम और खास के बीच भेदभाव किया जा रहा है। सरकार को हर सेवा और सुविधा के लिए अपनी जेब से टैक्स अदा करने वाली आम जनता की सड़कों के गड्ढे वेस्ट मटेरियल यानि कचरे से भरे जा रहे हैं। जबकि जनता के टैक्स के पैसों से बड़ी सैलरी और मुफ्त सुविधाएं लेने वाले बड़े नेता-अफसरों की सड़कों की सरफेस उखड़ने पर भी उन्हें करोड़ों रुपए खर्च कर नए सिरे से बनाकर चमकाया जा रहा है। राजधानी भोपाल में 6 अक्टूबर से शुरू हुए सड़क के गड्ढों को भरने के काम में खुलेआम ऐसा ही भेदभाव किया जा रहा है।
मलबे से भरे जा रहे हैं जनता की सड़क के गड्ढे
पहले आपको बताते हैं कि जिस सड़क से पब्लिक होकर गुजरती है वहां सड़क की रिपेयरिंग में हो रहा है वेस्ट मटेरियल का इस्तेमाल। द सूत्र ने रोड कंस्ट्रक्शन के एक्सपर्ट इंजीनियर सुभाष गुप्ता को साथ लेकर शहर में सड़क रिपेयरिंग के काम की ग्राउंड रिएलिटी चेक की तो हैरान करने वाली हकीकत सामने आई। द सूत्र की टीम पहुंची शाहपुरा (Shahpura) में शैतान सिंह मार्केट चौराहा, जहां सड़क के गड्ढों की रिपेयरिंग का काम किया जा रहा था। ये सड़क राजधानी परियोजना प्रशासन (CPA) बना रहा है। द सूत्र की टीम ने एक्सपर्ट को यहां सड़कों के गड्ढे भरने और सड़क रिपेयरिंग के काम का जायजा लेकर अपनी राय बताने को कहा। उन्होंने गड्ढे भरने में उपयोग किए जा रहे मटेरियल और प्रोसेस का मुआयना कर इसे निहायती घटिया करार दिया।
एक्सपर्ट- गड्ढों पर डाला जा रहा केमिकल डामर नहीं
रोड कंस्ट्रक्शन के जानकार इंजीनियर सुभाष गुप्ता ने बताया कि गड्ढों में अच्छी क्वालिटी की निर्धारित गिट्टी न भरके उसकी जगह खुदी हई सड़क मलबा (वेस्ट मटेरियल) भरा जा रहा है। मलबे के ऊपर गर्म करके केमिकल जो घोल डाला जा रहा है वो डामर तो कतई नहीं है क्योंकि इस केमिकल में पानी भी मिलाया जा रहा था। उन्होंने स्पष्ट किया कि डामर में पानी मिलाया ही नहीं जा सकता। डामर और पानी एक-दूसरे के दुश्मन समान हैं। ऐसा घटिया पेचवर्क एक बारिश भी नहीं झेल पाएगा और उखड़ जाएगा।
नियमानुसार डामर से बनी सड़क के गड्ढे भरने के लिए पहले मशीन के जरिए हवा के तेज प्रेशर से धूल हटाई जानी चाहिए लेकिन ठेकेदार खर्च बचाने के लिए धूल साफ कराने के लिए मशीन नहीं बल्कि झाड़ू से सफाई कराते हैं। इसके बाद गड्ढे में गिट्टी और डामर भरकर ऊपर से बारीक गिट्टी की लेयर चढ़ाई जाती है। यदि इसमें सही क्वालिटी का डामर नहीं मिलाया जाएगा तो गिट्टी टिकेगी ही नहीं।