मध्यप्रदेश में प्रदेश प्रभारी की मीटिंग में ही बीजेपी के विधायक और जिला प्रभारियों ने जताई नाराजगी, कैसे होंगे 200 पार?

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Harish Divekar
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मध्यप्रदेश में प्रदेश प्रभारी की मीटिंग में ही बीजेपी के विधायक और जिला प्रभारियों ने जताई नाराजगी, कैसे होंगे 200 पार?

BHOPAL. मध्यप्रदेश में 19 साल से राज कर रही बीजेपी इस बार अपनी जीत को लेकर डरी हुई है। हालात ये हैं कि अपने ही मंत्रियों और प्रभारियों को जीत की नई-नई एबीसीडी पढ़ा रही है। चुनावी साल शुरू हो चुका है। मंत्री अपनी पुरानी खोल से बाहर निकलने के लिए तैयार नजर नहीं आते और जिले के प्रभारियों की नाराजगी के आगे प्रदेश अध्यक्ष भी बेबस नजर आते हैं।



मिशन 2023 में बीजेपी ने रखा 200 सीटें जीतने का टारगेट



मिशन 2023 में जीत के लिए बीजेपी ने एक बार फिर 200 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है। गुजरात में जीत के बाद वहां का फॉर्मूला भी मध्यप्रदेश में आजमाए जाने की तैयारी है। इस जीत की खातिर बीजेपी में मंथन पर मंथन हो रहा है। कभी मंत्रियों के साथ बैठकें होती हैं तो कभी प्रभारियों से सवाल जवाब होते हैं। इन मैराथन कवायदों के बावजूद जीत के लिए इत्मीनान रख पाना बीजेपी के लिए आसान नहीं है।



सीएम शिवराज के कराए हर सर्वे ने चौंकाया



सीएम शिवराज सिंह चौहान ने 3-3 सर्वे करवाएं हैं ताकि हर विधानसभा सीट का सही हाल जान सकें। हर सर्वे उनके लिए चौंकाने वाला है। पिछले चुनाव में सबसे ज्यादा सीट देने वाले विंध्य में भी बीजेपी की रिपोर्ट अच्छी नहीं है। उस पर जिला प्रभारियों से मिल रहा फीडबैक और भी ज्यादा चौंकाने वाला है। हालात ये हैं कि जीत के लिए प्रदेश के आला नेता एक-एक मंत्री को बच्चों की तरह जीत के लिए नए-नए पाठ पढ़ा रहे हैं।



खत्म नहीं हो रही नेताओं की उदासीनता



चुनावी मैदान में जीत के लिए बीजेपी चाहे जितने दावे कर ले। जमीनी हकीकत कुछ और ही है। हालात ये हैं कि बीजेपी सरकार के मंत्री और जिला स्तर के नेताओं की उदासीनता खत्म होने का नाम नहीं ले रही जिसके चलते अब प्रदेश के बड़े नेताओं को ही हर बार एक नई सीख देनी पड़ रही है। प्रदेश में बीजेपी का हाल क्या है ये जानने के लिए सीएम शिवराज सिंह चौहान हर सीट का 3-3 बार सर्वे करवा चुके हैं जिससे संभवतः ये साफ हो चुका है कि महाकौशल और विंध्य में पार्टी के हालात बुरे हैं। सर्वे रिपोर्ट के बाद सीएम ने हर मंत्री से वन टू वन चर्चा की और उन्हें जीत की ओर पार्टी को ले जाने के लिए ढेर सारे टिप्स भी दिए।



मंत्रियों को सीएम शिवराज ने दिए टिप्स




  • 1 से 15 फरवरी तक निकलने वाली विकास यात्रा को मेगा इवेंट बनाएं


  • विकास यात्रा के बहाने ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी पकड़ मजबूत करें

  • केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं की ब्राडिंग करें

  • निकाय चुनाव के दौरान कार्यकर्ताओं में नजर आई नाराजगी दूर करें

  • रूठे कार्यकर्ताओं की पूछ परख बढ़ाएं और मान मनोव्वल करें

  • पेंडिंग योजना को जल्द से जल्द पूरा करने की दिशा में कदम उठाएं



  • सबक याद करने के मूड में नहीं माननीय



    3 सर्वे रिपोर्ट देखने के बाद सीएम ने ये टिप्स मंत्रियों के सामने रखे हैं। कोशिश है कि इसके बाद होने वाले सर्वे में पार्टी की स्थिति बदलती नजर आए लेकिन मंत्री विधायकों में इसको लेकर कितनी गंभीरता है। इसका अंदाजा महाकौशल के एक विधायक के जवाब से लगाया जा सकता है। सूत्रों की मानें तो जिस बैठक में सीएम ये टिप्स दे रहे थे उस बैठक में  महाकौशल के एक विधायक ने कहा कि ऐसे सर्वे तो होते रहते हैं। इस जवाब से ये तो साफ है कि इस बार मंत्री या विधायक चुपचाप पार्टी के दिए सबक याद करने के मूड में नहीं हैं।



    जमीनी स्तर पर तेजी नहीं, 200 पार का टारगेट मुश्किल



    सिर्फ सीएम ही नहीं प्रदेश प्रभारी से लेकर प्रदेशाध्यक्ष तक मंत्री, विधायकों और जिला प्रभारियों को नए नए सबक दे रहे हैं। इसके बावजूद जमीनी स्तर पर तेजी नजर नहीं आ रही। बीजेपी के माथे पर बल पड़ना लाजिमी है। क्योंकि इस बार मंत्री विधायकों के इतर पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं में ही खूब नाराजगी है जिसे वो सबके सामने जाहिर करने से भी नहीं चूक रहे। सूत्रों की मानें तो एक बैठक में जिला प्रभारी का गुस्सा प्रदेश अध्यक्ष के सामने ही फूट पड़ा। प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने उसे अपनी बात वापस लेने के लिए भी ताकीद किया पर जिला अध्यक्ष ने बात नहीं मानी। मेरा बूथ सबसे मजबूत का झंडा बुलंद करने वाले कार्यकर्ताओं का जब ये हाल है तो समझा जा सकता है कि अबकी बार 200 के पार लगना कितना मुश्किल होगा।



    बीजेपी में हो रही बैठकों में इत्मीनान गायब



    चुनावी सीजन का मतलब ही है बैठकें, और बैठकें और उन बैठकों के नतीजों पर चर्चा के लिए और बैठकें लेकिन इस बार बीजेपी में हो रही बैठकों में इत्मीनान गायब है। जीत का जज्बा जगाने की बातें गायब हैं। पहली फिक्र तो इस बात की है कि किसी तरह मंत्री और विधायकों में समन्वय बिठाया जा सके। ये फिक्र खत्म हो तो दूसरी फिक्र कार्यकर्ता की नाराजगी दूर करने की है पर अफसोस की बैठकों पर बैठकों के बावजूद हालात अभी बड़े नेताओं के काबू से बाहर ही नजर आते हैं। पिछले दिनों जिला प्रभारियों, प्रभारियों की बैठक में प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव, प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा समेत तमाम नेता शामिल नजर आए। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की तरह मुरलीधर राव ने भी जिला प्रभारियों को ढेरों टिप्स दिए और कुछ सवाल भी पूछे।



    बीजेपी प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव के सवाल




    • मंत्री अपने प्रभार वाले जिलों में कब से नहीं गए ?


  • सोशल मीडिया संबंधी टारगेट कितने पूरे हुए ?

  • चुनाव जीतने को लेकर मंत्रियों का अपना क्या आंकलन है ?



  • मुरलीधर राव को दोहराना पड़े टिप्स



    इन सवालों के अलावा राव ने कुछ सुझाव भी दिए। वैसे ये सुझाव पहले भी कई बार दिए जाते रहे हैं लेकिन एक बार फिर बैठक में प्रदेश प्रभारी को उन टिप्स को दोहराना पड़ा।



    प्रभारियों को मुरलीधर राव की राय




    • 3 मंत्री हर सप्ताह पार्टी मुख्यालय में बैठेंगे।


  • सभी मंत्री अपने अपने क्षेत्र के SC-ST छात्रावासों का दौरा करें।

  • लोगों तक भू-आवास योजना और सीएम जनसेवा की जानकारी पहुंचाएं।

  • विकास यात्रा में बढ़-चढ़कर हिस्सा लें।

  • स्थानीय अफसरों से तालमेल बढ़ाएं। 

  • बूथ सशक्तिकरण पर जोर दें।



  • सीख देने का मकसद सत्ता में वापसी



    इतनी सीख देने का मकसद केवल इतना है कि किसी तरह मंत्री, विधायक और कार्यकर्ताओं में तालमेल बैठ सके और बीजेपी एक बार फिर सत्ता में वापसी कर सके लेकिन नाराजगी का आलम सिर्फ इन बैठकों से खत्म होता नजर नहीं आता। दिग्गज नेता जिस तेजी से सीख पर सीख दे रहे हैं। उनके सामने कार्यकर्ताओं की नाराजगी उसी तेजी से नजर आ रही है। मंत्रियों को आड़े हाथों लेने और जमीनी हकीकत को खुलकर बताने में कार्यकर्ता जरा भी पीछे नजर नहीं आ रहे।



    किस कदर नाराज बीजेपी कार्यकर्ता ?




    • बैठक में प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा ने बूथ समितियों का जिक्र किया। जिला प्रभारी ने बूथ समिति को सिर्फ कागजी बताया। प्रदेशाध्यक्ष की नाराजगी का भी जिला प्रभारी पर कोई असर नहीं दिखा।


  • प्रभारी मंत्रियों से कार्यकर्ता की नाराजगी। मंत्री आते हैं और चले जाते हैं। उनके सारे कार्यक्रम मिनट टू मिनट जिला प्रशासन तय करता है। जिले के नेताओं के पास कुछ करने के लिए नहीं बचता।

  • सीएम के सर्वे पर महाकौशल के विधायक का तंज, सर्वे रिपोर्ट आना कोई नई बात नहीं है।



  • संगठन में कसावट लाने के लिए जद्दोजहद



    बैठक के इन हालातों से साफ है कि बड़े नेताओं को सत्ता और संगठन में कसावट लाने के लिए अभी और जद्दोजहद करनी होगी। सर्वे की जो रिपोर्ट आई हैं वो वाकई चिंताजनक हैं। हालांकि इन रिपोर्ट्स का पूरी तरह खुलासा नहीं किया गया लेकिन अंदरूनी सूत्रों की खबर ये है कि कई सीटें रेड जोन में हैं, जिनकी लिस्ट बड़े नेताओं की चिंता बढ़ा रही है।



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    बीजेपी को 200 पार के लिए करनी होगी मशक्कत



    2018 से पहले तक बीजेपी हर अंचल में बेहद स्ट्रॉन्ग थी लेकिन 2018 में तस्वीर एकदम उलट थी। अपने मजबूत गढ़ मालवा समेत चंबल, बुंदेलखंड तक में बीजेपी को जनता ने जोर का झटका दिया। अब बीजेपी अपनी कमजोर कड़ियों को तलाश कर उन्हें मजबूत करने में जुटी है लेकिन इस काम में उसका अपना कार्यकर्ता ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखा रहा। विधायकों में भी असंतोष पनप ही रहा है और कार्यकर्ता की नाराजगी नगरीय निकाय चुनाव में अपना असर दिखा चुकी है। अब 1 से 15 फरवरी के बीच विकास यात्रा होनी है। इस यात्रा में शामिल होने वाले मंत्रियों और विधायकों की एनर्जी ही ये बताएगी कि आला नेताओं की सीख वाकई सबक बनकर असर दिखा रही है या 200 पार के लिए अभी और मशक्कत करनी है।


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