भोपाल में रिहायशी कॉलोनी के पार्क को लेकर एनजीओ और रहवासी संघ आमने-सामने, सुनवाई नहीं होने पर हाईकोर्ट से लगाएंगे गुहार

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The Sootr
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भोपाल में रिहायशी कॉलोनी के पार्क को लेकर एनजीओ और रहवासी संघ आमने-सामने, सुनवाई नहीं होने पर हाईकोर्ट से लगाएंगे गुहार

BHOPAL. राजधानी भोपाल के पॉश इलाके शाहपुरा में एक पार्क को लेकर सामाजिक संस्था और रहवासी संघ के सदस्यों के बीच विवाद शुरु हो गया है। राजमाता शिक्षा एवं समाज सेवा समिति नाम के एनजीओ ने पार्क की जमीन पर दावा ठोंक दिया है। एनजीओ के सचिव शरद जायसवाल ने बाउंड्रीवॉल का निर्माण शुरु किया तो रहवासी संघ ने आपत्ति दर्ज कराते हुए काम बंद करा दिया। अब दोनों ही पक्ष नगर निगम और बीडीए के अधिकारियों से गुहार लगा रहे हैं। वहीं इस पार्क में नगर निगम ने लाखों रुपए के विकास कार्य कराए है। जो मिट्टी में मिलते नजर आ रहे हैं। 



ये है पूरा मामला



1985 में भोपाल डेवलमेंट एसोसिएशन ने शाहपुरा में कॉलोनी डेवलप की थी, कॉलोनी में पार्क के लिए ओपन स्पेस छोड़े गए थे। इन्हीं ओपन स्पेस में से एक पार्क को अचानक दो हिस्सों में बांट दिया गया है। पार्क के बीचों-बीच से दीवार खड़ी कर दी गई है। निर्माण करने वाले एनजीओ के सचिव शरद जायसवाल का कहना हैं कि ये जमीन उसे बीडीए ने 2008 में आवंटित की थी। 1985 में टाउन एंड कंट्री प्लानिंग के नक्शे के मुताबिक ही बीडीए ने जमीन आवंटित की है। लिहाजा इस जमीन पर प्रायमरी स्कूल बनाया जा रहा है। वहीं रहवासी संघ की अध्यक्ष विमला जाजू का कहना हैं कि बीडीए ने ओपन स्पेस दिखाकर प्लॉट बेचे थे। ऐसे में वो पार्क की जमीन को किसी एनजीओ के नाम पर एलॉट कैसे कर सकता है। 



बर्बाद हो जाएगा लाखों का विकास कार्य



नगर निगम ने इस पार्क के सौंदर्यीकरण में लाखों रुपए खर्च किए गए हैं, स्कूल निर्माण हुआ तो विकासकार्य मिट्टी में मिल जाएंगे। पार्क में पाथ वे, बैंच, झूले और हाईमास्ट लाइटे लगाई गई है। शरद जायसवाल का कहना हैं कि जानबूझकर नगर निगम ने उनकी जमीन पर विकासकार्य कराए। जबकि अधिकारियों को पता था कि जमीन एनजीओ को आवंटित है। ऐसे में बड़ा सवाल यहीं हैं कि निगम ने टैक्स पेयर्स का पैसा ऐसे पार्क के विकास में क्यों खर्च किया जिसकी जमीन विवादित हैं।



दस्तावेज देखकर दी परमीशन- सिटी प्लानर



एनजीओ के पास बिल्डिंग परमीशन से लेकर तमाम दस्तावेज मौजूद है। लिहाजा द सूत्र ने सिटी प्लानर नीरज आनंद लिखार से इस मामले में बात की। उन्होंने बताया कि एनजीओ के पास जमीन के मालिकाना हक के तमाम दस्तावेज मौजूद हैं। सभी दस्तावेजों की जांच करने के बाद ही स्कूल के लिए बिल्डिंग परमीशन जारी की गई है। वहीं बीडीए के अधिकारियों ने इस मामले में फिलहाल चुप्पी साध ली है।



हाईकोर्ट जाने की तैयारी



शाहपुरा रहवासी संघ की अध्यक्ष विमला जाजू ने बताया कि मामले में महापौर मालती राय से लेकर नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह तक से शिकायत की गई है। निर्माण कार्य नहीं रुका तो वें हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगी। वहीं एनजीओ के सचिव शरद जायसवाल का कहना हैं कि उनके पास सारे लीगल दस्तावेज मौजूद हैं। वें हर स्तर पर जवाब देने को तैयार हैं। उन्होंने मामले को लेकर पहले से ही हाईकोर्ट में कैविएट दायर कर रखी है।


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