संजय गुप्ता, INDORE. इंदौर के 300 साल पुराने होलकर राजवंश की 5 हजार करोड़ से ज्यादा की संपत्तियों की खरीदी-बिक्री, ट्रांसफर करने, लीज आदि पर हाईकोर्ट इंदौर बेंच ने रोक लगा दी है। होलकर घराने में करीब 60 साल से चल रहे पुराने संपत्ति बंटवारे के केस में रोक ये रोक लगी है। संपत्तियों में खासगी ट्रस्ट, अहिल्याबाई होलकर चेरिटेबल ट्रस्ट, आलमपुर छत्री ट्रस्ट आदि भी शामिल हैं।
संपत्तियों को लेकर स्टे जारी
जिला कोर्ट स्तर पर मामला नामंजूर होने के बाद याचिकाकर्ता अंशुमंतराव और गौतमराव होलकर हाईकोर्ट पहुंचे थे। इसमें मांग रखी गई है कि ट्रायल कोर्ट इस केस की सुनवाई करे। हाईकोर्ट में सुनवाई अभी चल रही है लेकिन तब तक हाईकोर्ट ने इसमें याचिका में उठाई गई संपत्तियों को लेकर स्टे जारी कर दिया है। बुधवार (15 मार्च) को भी सुनवाई होनी थी जिसे अब अप्रैल में निर्धारित कर दी गई है।
होलकर घराने में 2 वंशावली चलने से हुआ विवाद
होलकर घराना पेशवा की सेना में सूबेदार रहे मल्हारराव होलकर के समय 1721 में स्थापित हुआ। उनकी मृत्यु के बाद उनकी बहू देवी अहिल्याबाई होलकर ने 1767 से 1795 तक शासन किया। बाद में अलग-अलग शासक रहे। साल 1844 में महाराजा तुकोजीराव दितीय ने पद संभाला अब यहीं से होलकर घराने में दो वंशावली चलती रही, जिसमें एक को तो मान्यता मिली, लेकिन दूसरी वंशावली को कभी इतिहास में या अन्य मामलो में जगह नहीं मिली।
ये हैं 2 वंशावली
तुकोजीराव दितीय की 2 पत्नियां भागरीथी भाई और राधाबाई थीं। भागीरथी बाई की संतान वाली वंशावली ही अभी होलकर घराने में हर जगह मौजूद है, वहीं राधाबाई वाली वंशावली बंटवारे और हक के लिए कानूनी दरवाजा खटखटा रही है। भागीरथी बाई वाली वंशावली-भागीरथी बाई के पुत्र महाराजा शिवाजी राव (1866 से 1903 तक) फिर उनके पुत्र महाराजा तुकोजीराव तृतीय (1903 से 1936 तक), फिर यशवंतराव होलकर अंतिम राजा साल 1936 से देश की आजादी तक महाराजा रहे और साल 1961 में इनका निधन हुआ। इनके कोई पुत्र नहीं थे पुत्री उषादेवी थीं, जिन्हें होलकर घराने का वारिस घोषित किया गया। हालांकि यशवंतराव होलकर की 2 पत्नियां थी, पहली संयोगितादेवी जिनका निधन कम उम्र में हो गया, बाद में अमेरिकी लेडी फे से यशवंतराव ने शादी की, जिनके पुत्र रिचर्ड होलकर है। लेकिन विदेशी संतान होने के चलते वारिस का हक रिचर्ड की जगह उषादेवी का हुआ।
राधाबाई वाली वंशावली
तुकोजीराव दितीय की दूसरी पत्नी राधाबाई की संतान यशवंतराव उर्फ बाला साहेब थे, फिर उनके बाद गौतमराव उर्फ तात्या साहेब होलकर हुए, फिर मल्हारराव होलकर हुए। मल्हारराव ने पहले संपत्ति को लेकर 1973 में केस किया और अब उनके पुत्र अंशुमंतराव, गौतमराव और जगदीपेंद्र सिंह होलकर यह केस लड़ रहे हैं।
क्यों ये केस उठ रहा है?
याचिकाकर्ताओं अंशुमंतराव, गौतमराव का कहना है कि मराठा, राजपूत साम्राज्य और हिंदू परंपरा में भी बेटी को वारिस नहीं घोषित किया जाता है। इंदौर के अंतिम महाराजा यशवंतराव होलकर उनके पिता मल्हारराव चचेरे भाई थे, जब यशवंतराव ने ऊषादेवी जो अब होलकर नहीं होकर मल्होत्रा है, उनकी जगह वारिस उनके पिता मल्हाराव को बनना था, ये नहीं बनाया गया और सभी संपत्तियां उषादेवी मल्होत्रा और उनके पति सतीश मल्होत्रा, उनके वारिसों के पास चली गई, जो कायदे से हमे मिलना थी, इस संपत्ति का कभी बंटवारा तक नहीं हुआ और इन सभी ने ट्रस्ट बनाक संपत्ति अपने कब्जे में लेकर बेचना भी शुरू कर दिया और इससे एस्पायर इंडस्ट्री आदि खड़ी की। जबकि संपत्ति पर हमारा अधिकार था।
इन सभी को बनाया गया है पार्टी
याचिकाकर्ताओं ने इस मामले में उषादेवी मल्होत्रा, सतीश मल्होत्रा, उनके बेटे रणजीत और दिलीप मल्होत्रा के साथ, कबीर पिता रणजीत, अंजलि पिता रणजीत, मनोज मालवीय (देवी अहिल्या होलकर एजुकेशनल ट्रस्ट), रजिस्ट्रार पब्लिक ट्रस्ट, संभगायुक्त इंदौर, कलेक्टर इंदौर, कार्यपालन यंत्री पीडब्ल्यूडी, देवी अहिल्याबाई एजुकेशनल ट्रस्ट, खासगीदेवी अहिल्याबाई होलकर चेरिटीज ट्रस्ट और आलामपुर छत्री ट्रस्ट को पार्टी बनाया है।
साल 1973 से चल रही है बंटवारे और संपत्ति की लड़ाई
राधाबाई की वंशावली वाले मल्हारराव ने संपत्ति में हिस्सा नहीं मिलने पर 1973 में जिला कोर्ट में केस लगाया, इस केस के चलते रहने के दौरान साल मई 2001 में उनका निधन हो गया, बाद में उनके पुत्र इसमें शामिल हुए। ये केस साल 2003 में खारिज हो गया। इसके बाद फिर जिला कोर्ट में दूसरा केस लगा, जिसे अप्रैल 2022 में जिला कोर्ट ने समय सीमा के बाहर होने चलते नामंजूर कर दिया। जिला कोर्ट का कहना था कि ये 3 साल के भीतर ही केस किया था, जबकि उषादेवी को वारिस बने तो 59 साल हो चुके हैं। अब तो लंबा समय हो गया है। याचिकाकर्तओं ने फिर हाईकोर्ट में फर्स्ट अपील की है, जिसमें मांग की गई है कि जिला कोर्ट हमारी याचिका पर सुनवाई कर हमारा पक्ष सुने और न्याय मिले। इसकी सुनवाई अब हाईकोर्ट इंदौर बेंच में होगी फिलहाल याचिका दायरे में आई संपत्तियों की खरीदी-बिक्री पर रोक लगाई गई है।
होलकर घराने की यहां फैली है संपत्तियां
इंदौर, महेश्वर, पुणे, नासिक, मुंबई, मंडलेश्वर, ओंकारेश्वर, बड़वाह, सनावद, खंडवा, बुरहानपुर, खरगोन आदि जगह पर 5 हजार करोड़ की संपत्तियां हैं।
उषादेवी परिवार की ओर से कोर्ट में रखे गए तर्क
मल्होत्रा परिवार की ओर से निचली कोर्ट में तर्क रखे गए थे कि राष्ट्रपति ने मई 1962 में उषादेवी को होलकर राज्य इंदौर का उत्तराधिकारी घोषित किया था। गृह विभाग द्वारा भी फरवरी 1962 में निजी संपत्ति के संबंध में एनओसी दी गई है। शिवाजीराव और यशवंतराव सौतेले भाई थे और कभी भी संयुक्त नहीं रहे और उनकी शाखाएं अलग-अलग चलीं। राजा-महाराजा की संपत्तियों में सावर्जनिक और निजी वाली बात नहीं होती थी और यह राजाओं के ऊपर होता था कि वह अपनी संपत्ति का कैसे उपयोग करते हैं।
इधर हक मांगने वालों का तर्क
वहीं हक मांगने वालों का तर्क है कि ये यशवंतराव होलकर की निजी संपत्ति का बंटवारे का केस नहीं, बल्कि होलकर रजावंश की अविभक्त हिंदू परिवार की संपत्ति के बंटवारे का वाद है। उषा देवी मल्होत्रा परिवार की हो चुकी है, फिर वह कैसे उत्तराधिकारी हो सकती है? केंद्र ने 1971 में 363-ए अनुच्छेद में संशोधन कर राजा महाराजा पदवी की मान्यता, उत्तराधिकारी सभी खत्म कर दिए थे, फिर उषा मल्होत्रा के महारानी होने और उत्तराधिकारी की बात भी खत्म हो जाती है, हमें भी संपत्ति मिलनी चाहिए।
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