BHOPAL. बीजेपी का बीपी बढ़ाने के लिए किसी बाहरी ताकत की जरूरत नहीं है। इसके लिए पार्टी के अपने नेता ही काफी हैं जो बहुत जल्द बड़ा शक्तिप्रदर्शन करने वाले हैं। इस खबर ने ही बीजेपी के नेताओं के दिल की धड़कनें बढ़ा दी हैं। क्योंकि पार्टी ये खूब जानती है कि वो जातिगत और आंचलिक समीकरण भले ही साध ले लेकिन अपनी ही पार्टी के नाराज नेताओं को साधने में अब तक नाकाम रही है।
मिशन 2023 की तरफ तेज रफ्तार से बढ़ रही बीजेपी की गाड़ी में ब्रेक लगाने का काम उसके अपने असंतुष्ट नेता ही करने वाले हैं। पार्टी से किसी न किसी मसले पर खफा चल रहे नेता बहुत जल्द एकजुट होने वाले हैं। वैसे तो गाहे बगाहे ये खबर आती रही है कि मुट्ठीभर असंतुष्ट नेताओं ने एक जगह जमा होकर क्लोज डोर मीटिंग की है लेकिन अब की बार माजरा जरा अलग है। इस बार ये मीटिंग न क्लोज डोर है न नेताओं की गिनती बहुत कम होने वाली है। इस बार सारे असंतुष्ट नेता खुल्लम खुल्ला एक दूसरे के साथ होंगे एक मंच पर। इसका क्या असर होगा अंदाजा लगाया जा सकता है।
बीजेपी में असंतोष की आग सुलग रही
बीजेपी में असंतोष की आग किस कदर सुलग रही है इससे कोई अंजान नहीं है। इस आग के पनपने के बहुत से कारण है जिसमें सबसे बड़ा कारण है सिंधिया समर्थकों को मिली तवज्जो से मूल कार्यकर्ता या पुराने नेताओं की अनदेखी। दूसरा बड़ा कारण है टिकट देने के लिए कुछ ऐसे क्राइटेरिया का बनना जिससे उम्र दराज नेता अपनेआप ही रेस से बाहर हो गए। असंतोष की ये आग ऐसी पनपी कि एक अंचल से दूसरे अंचल तक दहकती चली गई। अब तो पार्टी को ही इन नेताओं के डर सताने लगा है। बीजेपी के आलानेता ये खूब जानते हैं कि मिशन 2023 की राह में पार्टी के ही कुछ पुराने और माटीपकड़ नेता कांटे बिछा सकते हैं। ये सभी असंतुष्ट नेता अलग अलग प्लेटफॉर्म पर अपनी नाराजगी जताते रहे हैं लेकिन अब एक साथ मिलकर एक ही मंच से एक ताकत दिखाने के मूड में आ चुके हैं.
जयंत मलैया का अमृत महोत्सव चढ़ाएगा सियासी पारा
मौका चुना है दमोह के नेता और शिवराज कैबिनेट के पूर्व मंत्री जयंत मलैया के जन्मदिन का। मलैया 15 नवंबर को 75 साल के हो चुके हैं। असंतुष्ट नेताओं ने 11 दिसंबर को उनका जन्मदिन मनाने का फैसला किया है। अमृत महोत्सव के रूप में इस दिन बड़ा आयोजन होगा। जिसमें न सिर्फ जयंत मलैया बल्कि हर अंचल के बड़े और पुराने नेता शामिल होंगे। इस आयोजन की जिम्मेदारी जिस पूर्व मंत्री ने संभाली है वो अपने असंतोष को जाहिर करने में काफी मुखर रहा है। सत्ता और संगठन में दोनों में हाशिए पर पहुंच चुके इन नेताओं का दावा तो ये है कि कार्यक्रम पूरा गैर राजनीतिक होगा, लेकिन उन सबका एक साथ एक मंच पर जुटना ही पार्टी के भीतर क्या गुल खिलाएगा ये सोचकर नींद काफूर होना लाजमी है.
एक मंच पर दिखेगा शक्ति प्रदर्शन
एक मंच पर जमा होकर शक्तिप्रदर्शन करने वाले नेताओं में वो भी शामिल हैं जो खुद सीएम शिवराज सिंह चौहान को घेरने से नहीं चूके। खुलकर अपनी नाराजगी जताते हुए ट्वीट किए तो जरूरत पड़ने पर राष्ट्रीय अध्यक्ष को ही पत्र लिख डाला। इनके साथ मंच पर साथ निभाने कुछ ऐसे नेता भी आ रहे हैं जो सिंधिया समर्थकों के चलते सत्ता में बने रहने की रही सही आस भी खो चुके हैं। दलबदल के बाद बनी बीजेपी की ये सरकार ऊपर से तो स्थिर दिखती है लेकिन अंडर करंट का तापमान बढ़ा हुआ है। मतदाताओं के बीच लहर को संभालने में तो बीजेपी माहिर रही है। अब मुकाबला घर में है नए और पुराने नेताओं में स्थिति सिविल वॉर सा है जो खुलकर सतह पर आने वाला है।
पूर्व मंत्री अजय विश्नोई को दिया गया जिम्मा
जयंत मलैया के 75 साल के होने पर मन रहे अमृत महोत्सव का जिम्मा संभाला है पूर्व मंत्री अजय विश्नोई ने। इतना ही नहीं बेटों से पहले आमंत्रण पत्र पर भी विश्नोई का नाम ही दर्ज है। ये वही अजय विश्नोई हैं जो मौका मिलते ही मौजूदा सरकार औऱ सीएम को आड़े हाथों लेने से नहीं चूकते। सिंधिया समर्थकों को मिली जरूरत से ज्यादा तबज्जो पर भी विश्नोई नाराजगी जता चुके हैं। कैबिनेट में महाकौशल का दबदबा कम होने पर भी वो अपनी ही सरकार को कठघरे में खड़ा करने से नहीं चूके। विश्नोई जितनी ही नाराजगी उनके मित्र मलैया में भी हैं जो खुलेआम बेटे को टिकट देने की पैरवी कर चुके हैं।
कई असंतुष्ट नेता आएंगे नजर
राहुल सिंह लोधी के कांग्रेस से बीजेपी में आने पर मलैया के बेटे को टिकट नहीं मिल सका था। उस वक्त मलैया ने खुलकर कहा था कि उन्होंने जीवनभर पार्टी की सेवा की। बेटा बारह साल से पार्टी में है। इसमें परिवारवाद कहां से आ गया। हालांकि लोधी की दमोह सीट से हार का ठीकरा मलैया के बेटे पर ही फूटा। जिसे पार्टी से निलंबित कर दिया गया। इसी तरह दलबदलु, सिंधिया समर्थक और 70 पार को टिकट न मिलने के क्राइटेरिया से नाराज सारे नेता एकजुट होना शुरू कर चुके हैं। मलैया ये दावा जरूर कर रहे हैं कि ये सामान्य कार्यक्रम है लेकिन फेहरिस्त में जो नाम हैं वो इसके सामान्य न होने पर इशारा कर रहे हैं। जिनके नेताओं के इस अमृत महोत्सव में शामिल होने की संभावना है वो सब अपने क्षेत्र के कद्दावर नेता हैं या रहे हैं। उन्हें यूं नजरअंदाज कर पाना आसान नहीं होगा।
पुराने नेताओं की अनदेखी पड़ सकती है भारी
इस फेहरिस्त का एक नाम रघुनंदन शर्मा का है जो 2018 की हार का ठीकरा सीएम शिवराज पर फोड़ चुके हैं। दल बदलुओं की वजह से पार्टी के पुराने नेताओं की अनदेखी पर नाराजगी भी जता चुके हैं। दीपक जोशी भी इस कार्यक्रम का हिस्सा होंगे जिनकी सीट पर सिंधिया समर्थक काबिज हैं। अपनी सीट बचाने के लिए पूर्व सीएम कैलाश जोशी के इस बेटे ने भी खूब पापड़ बेले थे। इसके अलावा रूस्तम सिंह, अनूप मिश्रा, डॉ. गौरीशंकर शेजवार जैसे और भी चेहरे अमृत पान करने की उम्मीद से महोत्सव का हिस्सा बन सकते हैं। इस महोत्सव से असंतुष्टों के दिन फिरेंगे या नहीं कहा नहीं जा सकता लेकिन वो अपने अपने क्षेत्र में पार्टी को कमजोर जरूर कर सकते हैं।
दलबदलुओं के सामने कार्यकर्ता धर्मसंकट में
इन असंतुष्टों के साथ मंच साझा करें या न करें लेकिन नाम तो उमा भारती का भी ऐसे ही नाराज नेताओं में शुमार हैं। दल बदलने वाले उनके समर्थक प्रद्युम्न लोधी को नागरिक आपूर्ति निगम में अध्यक्ष पद मिलने के बाद ये मान लिया गया कि उमा की नाराजगी कम हो गई लेकिन शराब बंदी के बहाने वो भी अपना गुबार निकाल ही देती हैं। इन असंतुष्ट नेताओं के पास खोने के लिए कुछ नहीं है। ये लड़ाई तो बस इस बात की है कि जो बचा है वो हाथ से न निकल जाए। हालांकि बीजेपी ऐसे नेताओं के सामने कम ही घुटने टेकती है लेकिन मध्यप्रदेश में हालात अलग हैं। नेता तो नेता कार्यकर्ता भी इसी असंतोष का शिकार हैं जिसे दलबदलुओं की वजह से वाजिब हक नहीं मिल रहा। इसलिए यहां मुद्दे को थोड़ी चतुराई से ठंडा करना होगा। संभावनाएं ये भी हैं कि जिस मंच पर असंतुष्ट एक साथ जुटेंगे। वहां सीएम शिवराज समेत पार्टी के और भी बड़े नेता मौजूद रहें और डैमेज कंट्रोल की कवायद वहीं से शुरू हो जाए और पार्टी असंतुष्टों को मनाकर मिशन 2023 की राह आसान बना ले।