SATNA: पिछली बार से 4 फीसदी कम मतदान , सवर्ण की वोटिंग से दूरी, पढ़ी-लिखी महिलायें भी घर पर रहीं, इससे किसका नफा,  किसका नुकसान

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Sachin Tripathi
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SATNA: पिछली बार से 4 फीसदी कम मतदान , सवर्ण की वोटिंग से दूरी, पढ़ी-लिखी महिलायें भी घर पर रहीं, इससे किसका नफा,  किसका नुकसान

SATNA. मतदान के बाद शांति है लेकिन चर्चाओं का मध्यम शोर भी सुनाई दे रहा है। चर्चा इस बात की हो रही है कि अगला महापौर कौन बनेगा? इन चर्चाओं का आधार वोटिंग ट्रेंड है। जिस पर सबका अपना गुणा-गणित है।   सतना नगर निगम और 5 अन्य नगर निकाय में 6 जुलाई को वोट पड़ चुके हैं। इसमें से नगर निगम सतना चुनावी चकल्लस का बड़ा सब्जेक्ट है। यहां 63.5 फीसदी वोट डाले गए हैं जो कि पिछले नगर निगम चुनाव से 4 फीसदी कम है। 2017 के नगर निकाय चुनाव में नगर निगम सतना में 67 फीसदी मतदान हुआ है। इस कम मतदान का किसे नफा होगा किसे नुकसान उठाना पड़ेगा। यह परिणाम के दिन कन्फर्म हो जाएगा लेकिन चर्चाओं और चुनावों को लंबे समय से कवर कर रहे पत्रकारों ने वोटिंग ट्रेंड के आधार मानते हुए कहा कि सत्तारूढ़ दल चुनाव निकाल सकता है। वह बसपा को लेकर जाइंट किलर मान रहे हैं जबकि कांग्रेस की जान अभी भी सांसत में हैं। यह विश्लेषण में मतदान का प्रतिशत कमजोर होने के कारण, यह प्रतिशत किस ओर जा रहा है और मतदाताओं के मूड के आधार पर है। 







पोलिंग तक पहुंचने में सवर्णों की हिचकिचाहट







सतना नगर निगम में 63.5 फीसदी मतदान हुआ। इसमें 65 फीसदी पुरुष और 61.9 फीसदी महिला और 20 फीसदी अन्य का योगदान रहा। इस बारे में वरिष्ठ पत्रकार निरंजन शर्मा ने द सूत्र से कहते हैं कि बेशक, मतदान कम हुआ है लेकिन इससे बीजेपी को नुकसान होता नहीं दिख रहा। बसपा भी फायदे में रहेगी लेकिन हाथी के कारण कांग्रेस की सांस अटकी हुई है। असल में जो वोटिंग ट्रेंड है उस पर यही कहा जा सकता है कि सवर्ण का वोट बंटा हुआ है। इसमें ब्राह्मण समाज का जागरूक पक्ष वोट करने निकला है लेकिन जो राजनीति में रुचि नहीं रखते वह नहीं निकले। यह इसलिए भी हुआ कि महापौर की सीट पिछड़ा वर्ग को चली गई। श्री शर्मा आगे बताते हैं कि पूर्व के चुनाव में सामान्य वर्ग के प्रत्याशी थे इसलिए भी सवर्ण ने झोंक के वोट डालने पहुंचा था लेकिन इस बार मतदान प्रतिशत कम होने की वजह केवल सवर्णों की हिचक रही। 





पढ़ी लिखी महिलाओं ने दूरी बनाए रखी 





सतना नगर निगम में 6 जुलाई को सम्पन्न हुए मतदान में महिलाओं की संख्या अपेक्षाकृत कम रही। 1 लाख 35 हजार 963 कुल लोगों ने मतदान किया जिसमें 63 हजार 838 महिलाएं रहीं जबकि 72 हजार 1 सौ 23 पुरुषों ने मताधिकार का उपयोग किया। नगर निगम में कुल 2 लाख 14 हजार 1 सौ 88 मतदाता हैं इसमें 1 लाख 3 हजार 183 महिला और 1 लाख 10 हजार 9 सौ 95 पुरुष मतदाता हैं। इस बारे में कई सालों से इलेक्शन का विश्लेषण कर रहे वरिष्ठ पत्रकार केशव कांत तिवारी ने कहा कि हमेशा यही देखने में आया है कि जब भी मतदान कम होता है तो वह सवर्ण के कारण होता है। खासकर ब्राह्मण और ठाकुर समाज वोट करने नहीं निकलता। इस बार नगर निगम सतना में कम वोट होने का कारण इन समाजों की महिलाएं हैं वह घर से बाहर नहीं निकली जबकि बीजेपी ने पूर्व की योजनाओं के दम पर बीएसपी के कोर वोट पर गहरी छाप छोड़ी है। कांग्रेस गुटों में बांटी हुई थी। श्री तिवारी ने आगे कहा कि कौन जीतेगा यह अभी से कहना ठीक नहीं है लेकिन 70 प्लस वोटिंग परसेंट होता है तो माना जाता है कि बीजेपी बड़े मर्जिन से जीत दर्ज करेगी । 40 से 50 के बीच होता है तो लोअर कास्ट का वोट और 50 से 60 के बीच का वोट मिडिल कास्ट और लोअर मिडिल क्लास का वोट माना जाता है।



 



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