देव श्रीमाली, GWALIOR. वेतन, पदोन्नति और पेंशन सहित अन्य मांगों को लेकर प्रदेशभर के सरकारी डॉक्टर 17 फरवरी से हड़ताल पर जाने की तैयारी में हैं। ऐसा पहली बार होगा जब डॉक्टर रूटीन से लेकर इमरजेंसी सेवाएं बंद रखेंगे। अगर डॉक्टर हड़ताल पर जाते हैं तो इसका सीधा असर सामान्य और गंभीर मरीजों पर पड़ेगा, लेकिन चुनावी साल में अपनी मांगें मनवाने के लिए डॉक्टर आंदोलन की राह पर निकल पड़े हैं।
कल बांधी थी काली पट्टी आज दिया धरना
प्रदेश सरकार की वादाखिलाफी से नाराज डॉक्टर प्रदेश स्तर पर आंदोलन की तैयारी करने का मन बना चुके हैं। सरकार को फिल्म का ट्रेलर देते हुए डॉक्टरों 15 फरवरी को काली पट्टी बांधकर काम किया था और आज गुरुवार को डॉक्टर ग्वालियर के GRMC समूह के 1 हजार बिस्तर के नवीन अस्पताल परिसर में धरने पर बैठे। वहीं जिला और जयारोग्य अस्पताल के लगभग 1 हजार डॉक्टरों ने हड़ताल पर रहकर 2 घंटे के लिए अपनी सेवाएं बंद रखीं। हालांकि इसका असर ओपीडी और ऑपरेशन पर नहीं पड़ा।
ये हैं डॉक्टर्स की मांगें
आपको बता दें कि प्रदेश में वेतन प्रमोशन, पेंशन सहित अन्य मांगों को लेकर डॉक्टर्स की सरकार से कई दौर की बातचीत हो चुकी है लेकिन बात नहीं बनी। इसलिए डॉक्टरों ने चुनावी साल में सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने की तैयारी दिशा में एक कदम बढ़ा दिया है लेकिन डॉक्टरों की हड़ताल पर जाने से स्वास्थ सेवाएं लड़खड़ा सकती हैं। सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की हड़ताल से मरीजों को इलाज के लिए भटकना पड़ सकता है।
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कल से शुरू होगा कामबंद आंदोलन
मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन के सचिव डॉ. एम. एल. माहौर ने कहा कि हमारी लंबित मांगों को सरकार ने नहीं माना तो 17 फरवरी को पूरी तरह से रूटीन सेवाओं के साथ-साथ इमरजेंसी सेवाएं भी बंद रखेंगे। हड़ताल पर जाने से पहले डॉक्टरों ने ग्वालियर GRMC के डीन डॉक्टर अक्षय निगम को एक ज्ञापन भी सौंपा है। हड़ताली डॉक्टरों को जुड़ा के साथ-साथ स्वास्थ्य विभाग के चिकित्सक भी अपना समर्थन दे रहे हैं।