BHOAPL. आईएएस अवॉर्ड के लिए 27 फरवरी को होने वाली डीपीसी सवालों के घेरे में आ गई है। दरअसल जो राज्य प्रशासनिक सेवा के अफसर आईएएस बनने की दौड़ में शामिल हैं, उन्हीं के हाथ में इस डीपीसी की कमान है। ऐसे में डीपीसी की दायरे में आ रहे अफसरों का कहना है कि ये लोग पदोन्नत होने के लिए किसी की पदोन्नति में बाधा बन सकते हैं।
दरअसल 2021 की डीपीसी एक साल बाद 2023 में हो रही है। इसमें 19 राज्य प्रशासनिक सेवा के अफसरों को आईएएस अवॉर्ड पारित होगा। 2022 की डीपीसी भी होना है, इस साल पदोन्नति के 14 पद मिले हैं। नियमानुसार 27 फरवरी को 2021 के 19 पदों पर आईएएस पदोन्नति की बैठक होना चाहिए, लेकिन 2006 बैच के अफसर चाहते हैं, कि 2021 और 2022 दोनों की डीपीसी एक साथ हो जाए। कारण कि 2006 बैच के दो अफसर अर्चना सोलंकी ओर जितेन्द्र चौहान जीएडी कार्मिक में उप सचिव के पद पर पदस्थ हैं। इन्हीं के हाथ में इस डीपीसी की कमान है। एक साथ दो डीपीसी कराने का प्रस्ताव बनाकर कार्मिक विभाग की प्रमुख सचिव दीप्ति गौड़ मुकर्जी को भेज दिया है। बताया जा रहा है कि अपने जूनियर को जल्द पदोन्नत करने के लिए यूपीएससी से चर्चा की जा रही है। यदि यूपीएससी तैयार हो जाता है तो 27 फरवरी को सिनियर और जूनियर राप्रसे अधिकारी की एक साथ डीपीसी हो सकती है।
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सीनियर का पत्ता न कट जाए
दरअसल कई राप्रसे अफसरों की शिकायतें कार्मिक में लंबित हैं, नाम न छापने की शर्त पर आईएएस की दौड़ में शामिल कुछ अफसरों ने बताया कि उन्हें डर है कि जूनियर अफसर पदोन्नत होने के लिए डीपीसी के ऐन पहले उनकी कोई जांच न खोल दें। उनका कहना है कि डीपीसी पूरी पारदर्शिता के साथ हो इसके लिए आईएएस डीपीसी के जोन ऑफ कंसीडरेशन में आने वाले राप्रसे अफसरों को डीपीसी की प्रोसेस से दूर रखा जाना चाहिए। सूत्रों की माने तो जयेंद्र विजयवत, कैलाश बुंदेला, सुनील दुबे, गजेंद्र नागेश, कमलेश भार्गव, कमल नागर की पुरानी शिकायतों की फाइलें खोली जा सकती हैं।
चौहान को दूर रखा है
राप्रसे से आईएएस की डीपीसी में जितेन्द्र चौहान का नाम जोन ऑफ कंसीडरेशन में है। इसलिए उन्हें शिकायतों की जांच के मामले से दूर रखा गया है। दीप्ति गौड़ मुकर्जी, प्रमुख सचिव जीएडी कार्मिक विभाग