सुप्रीम फैसले से मालवा की सड़कों पर फिर सेक्स की तेज बयार

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Kamlesh Sarda
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सुप्रीम फैसले से मालवा की सड़कों पर फिर सेक्स की तेज बयार

Neemuch. अदालत ने देह व्यापार को अपराध नहीं प्रोफेशन मानते हुए पुलिस और प्रशासन को ताकीद किया है कि सेक्स वर्कर्स को भी सम्मान का अधिकार है। इस फैसले के बाद मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के मालवा अंचल (Malwa Zone) में बांछड़ा समुदाय (Banchhra Community) बहुल तीन जिलों में हलचल कई गुना बढ़ गई है। नीमच, मंदसौर और रतलाम (Mandsaur Ratlam) हाई—वे के किनारे ​​पहले से ही बांछड़ा ​जाति की महिलाएं देह व्यापार करती रही हैं, लेकिन लुक—छिप कर। मगर अब इन सड़कों पर खुलकर सेक्स की बयार चल रही है। चिंताजनक यह है कि इस आदेश की आड़ में कम उम्र की लड़कियां भी बड़ी संख्या में नजर आने लगी है, जो आते-जाते लोगों से बेहिचक सौदा करते भी नजर आने लगी हैं।



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आज इंटरनेशनल सेक्स वर्कर डे (International Sex Worker Day) है। इस दिवस पर द सूत्र की टीम ने अदालत के आदेश से सेक्स वर्कर (Sex Worker) को मिले सम्मान और अधिकार के बाद की स्थिति को परखा तो नजारा फिर शर्मनाक और चिंताजनक सामने आया। खासतौर से नीमच, मंदसौर और रतलाम में एक समुदाय की महिलाएं देह व्यापार को कुप्रथा के रूप पूरी तन्मयता से ढोती नजर आई अदालत के फैसले से मिली छूट को अपनी कमाई का जरिया बनाते हुए सड़क किनारे कई​ किलोमीटर देह व्यापार में लिप्त महिलाएं फिर से  मिलने लगी हैं। 



अब नहीं रहा पुलिस का डर 



नीमच, मंदसौर, रतलाम जिलों से गुजरने वाले अंतरराज्यीय राजमार्ग के किनारे लगभग 50 से अधिक ऐसे गांव, डेरे हैं जहां पर देह व्यापार खुले में होता है। बीते वर्षों में पुलिस ने कई छापामार कार्रवाइयों में इन ठिकानों से सैकड़ों ऐसी बच्चियों को मुक्त कराया है जिनसे देह व्यापार कराया जा रहा था। अब अदालत के फैसले की आड़ में फिर छोटी और कम उम्र की लड़कियों को सभ्य समाज के इस गंदे पेशे में उतारा जा रहा है। पहले जो डेरे या ढाबे शाम को गुलजार होते थे, अब दिन के उजाले में भी सड़कों पर सौदेबाजी के नजारे आम हो गए हैं। घरों के बाहर बैठकर महिलाएं ग्राहक का इंतजार करते दिखने लगी हैं। दरअसल बांछड़ा समाज की महिलाएं—युवतियां इस कुप्रथा को लंबे समय से ढोती आ रही है। शाम होते ही हाइवे के किनारे की बस्तियों, डेरे गुलजार हो जाते हैं। 



अब लड़कियां भी बड़ी संख्या में आ रहीं नजर 



द स़ूत्र की टीम जब राजमार्ग पर स्टिंग आपरेशन करने निकली तो हर 10—20 कदम पर नई और कम उम्र की लड़कियां सड़क किनारे खड़े होकर ग्राहकों को बुलाती मिलीं। गाड़ी में बैठे लोगों से ये लड़कियां खुलकर सौदेबाजी कर सेवा-सुविधाओं पर चर्चा करने में भी नहीं हिचकिचाईं। जब इन लड़कियों से पुलिस की रेड के बारे में पूछो तो तपाक से बोलती हैं, कोई चिंता मत करो, कुछ नहीं होगा। 



क्या थी अदालत की भावना



सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सेक्स वर्कर के संबंध में दिएअपने फैसले में स्पष्ट कहा कि इन्हें भी सम्मान से जीने का अधिकार है। सेक्स वर्कर्स को उनकी व्यवसायगत आजादी होनी चाहिए। पुलिस, प्रशासन या तंत्र उन्हें बिना वजह परेशान न करे। उन्हें भी सम्मान से जीने का हक है। इस फैसले के बाद इस समुदाय में खासी हलचल है।



सोशल वर्कर्स की बढ़ी चिंता 



बांछड़ा समुदाय की महिलाएं परंपरागत रूप से देह व्यापार में लिप्त हैं और वे इसे प्रथा के रूप में अपनाती चली आ रही हैं। लेकिन इसी समुदाय के जो सुधारवादी युवा हैं उनकी चिंता अदालती फैसले के बाद बढ़ गई है। युवा सोशल वर्कर की चिंता है कि इस फैसले की आड़ में नाबालिग बच्चियों का शोषण बढ़ सकता है। नाबालिग लड़कियको से मालवा में देह व्यापार कराने पर रोक लगाने के लिए समुदाय के एक युवा आकाश चौहान ने हाईकोर्ट में याचिका लगा रखी है जो अभी विचाराधीन है। इस कुप्रथा के खिलाफ अभियान चलाने वाले बांछड़ा समुदाय के युवा आकाश चौहान ने माना कि कोर्ट के इस फैसले के बाद नाबालिगों को इस व्यवसाय में जबरन ढकेलने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है। सालों से जो मेहनत चल रही थी, उस पर भी पानी फिर सकता है। वहीं पुलिस के सामने भी बड़ी चुनौती है कि इन मामलों में कैसे कार्यवाही करे। 



पुलिस ने ये कहा 



 दूसरी ओर जिले के एसपी सूरज कुमार वर्मा (Suraj Kumar Verma) ने कहा कि इस फैसले की अधिकारिक प्रतिलिपि उनके पास अभी तक नहीं आई है। निश्चित रूप से उसका पालन किया जाएगा। साथ ही उन्होंने कहा कि यदि किसी नाबालिग अथवा बालिग से जबरन देह व्यापार कराया जाता है तो वह अपराध की श्रेणी में आता है और उसमें नियमानुसार कार्यवाही की जाएगी। उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) के फैसले के बाद पुलिस मुख्यालय अथवा शासन के स्तर से कोई न कोई गाइड लाइन जारी होने पर अधिकारियों को इस संबंध में ट्रेनिंग देकर कोर्ट के फैसले का पालन कराया जाएगा। 


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