Ujjain. प्रदेश में सरकारी कर्मचारियों के जीपीएफ का घोटाला सामने आया है, जिसके बाद प्रशासन में हड़कंप है। उज्जैन के भेरूगढ़ सेंट्रल जेल के कर्मचारियों के पीएफ खाते से 10 करोड़ रुपए निकल गए, जबकि उनमें से कई ने जीपीएफ निकालने का आवेदन ही नहीं दिया था। और तो और यह खयानत करने वाला जेल प्रहरी फरार है। पुलिस उसे ढूंढ रही है। दरअसल मामले का खुलासा खुद जेल अधीक्षक ने किया है और पुलिस को कार्रवाई के लिए रिपोर्ट दर्ज करवाई है।
जेल अधीक्षक ऊषा राजे ने बताया कि साल 2018 से कर्मचारी जीपीएफ की राशि को फर्जी ढंग से निकाल रहा था। जब मामले पर शक हुआ तो जेल के लेखा विभाग में कार्यरत जेल प्रहर रिपुदमन रघुवंशी पर नजर रखना शुरू कर दी। मामले का बारीकी से परीक्षण हुआ तो पता चला कि रघुवंशी ने कर्मचारियों के नाम पर जीपीएफ की राशि में हेरफेर किया है।
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10 करोड़ से ज्यादा की खयानत
जेल अधीक्षक ने बताया कि जेल प्रहरी कर्मचारी के जीपीएफ निकाले जाने के आवेदन आने पर दशमलव हटा देता था। मसलन किसी ने 1 लाख 30 हजार रुपए की राशि निकालने का एप्लीकेशन दिया तो रघुवंशी उसके जरिए कर्मचारी के एकाउंट से ही 13 लाख रुपए निकाल लेता था। अभी तक उज्जैन कलेक्टर की ओर से 8 कर्मचारियों के नाम आए हैं जिनके नाम पर यह गड़बड़ की गई। वहीं आरोपी रिपुदमन रघुवंशी फरार है।
लेखा शाखा में काम करने वाले जेल प्रहरी रिपुदमन रघुवंशी जीपीएफ निकालने की लंबी प्रक्रिया को फर्जी तरीके से शॉर्टकट के जरिए करोड़ों रुपए की हेराफेरी कर दी। जेल अधीक्षक उषा राजे के मुताबिक कई कर्मचारियों का बिना आवेदन दिए ही जेल प्रहरी ने राशि निकालकर गबन कर दिया। उन्होंने बताया कि जीपीएफ निकालने के लिए आवेदन दिया जाता है, जो आवक जावक शाखा से होते हुए जेलर के पास पहुंचता है। इसके बाद अधीक्षक के पास आता है और फिर पात्रता के लिए लेखापाल के पास नोटशीट जाती है। किसी भी कर्मचारी को निर्धारित सीमा में ही जीपीएफ निकालने की अनुमति होती है, मगर बिना आवेदन के ही लेखापाल गड़बड़ी करते हुए कई कर्मचारियों का पैसा निकाल लिया.
यह भी बताया गया कि आरोपी जेल प्रहरी ने कर्मचारियों की फर्जी आईडी के जरिए भी यह कृत्य किया है। मामले की विस्तृत जांच के बाद यह सामने आएगा कि इस हेराफेरी में उसके साथ कौन-कौन लोग शामिल हैं।