अंकुश मौर्य, BHOPAL. कर्नाटक चुनाव के नतीजे 13 मई को आने वाले हैं और कर्नाटक के बाद सभी राजनीतिक दलों का फोकस उत्तर भारत के 3 बड़े राज्य मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान पर होने वाला है। वैसे चुनावी रणनीति तो अभी से तैयार हो रही है। मध्यप्रदेश में बीजेपी, कांग्रेस के दिग्गजों को उन्हीं की सीटों पर मात देने के लिए अमेठी प्लान का सहारा लेने की कोशिश कर रही है। अमेठी प्लान यानी वो प्लान जिसके सहारे राहुल गांधी को मात दी गई थी। मगर क्या मध्यप्रदेश में बीजेपी इस प्लान पर पूरी तरह से अमल कर पाएगी। बीजेपी की कितनी तैयारियां हैं और बीजेपी के मंसूबों को भांपकर कांग्रेस की कितनी तैयारी है। अमेठी प्लान कैसे होगा कामयाब?
क्या है अमेठी प्लान
साल 2019 के लोकसभा चुनाव में जितनी चर्चा बीजेपी की शानदार जीत की हुई उससे ज्यादा चर्चा में रहा अमेठी का लोकसभा चुनाव। एक ऐसी सीट जो 21 साल से कांग्रेस का गढ़ थी जिसे भेद पाना मुश्किल था, लेकिन स्मृति ईरानी ने इस गढ़ को ढहा दिया। अमेठी की जीत के बाद चर्चा में आया अमेठी प्लान। आखिरकार स्मृति ईरानी और बीजेपी ने कैसे अमेठी सीट को जीता।
अमेठी प्लान के कई सारे अहम बिंदु
बीजेपी की तरफ से एक दमदार चेहरा
उस चेहरे की 5 साल तक सक्रियता
लोगों के सुख और दुख में लगातार शामिल होना
क्षेत्र के विकास के लिए योजनाओं को लाना
विपक्ष के उम्मीदवार की कमजोरियों को भुनाना
संगठन और कार्यकर्ताओं को एक्टिव करना
दूसरे दलों के नेताओं को अपने पाले में करना
कांग्रेस के परंपरागत वोटर्स की मानसिकता बदलना
बीजेपी और स्मृति ईरानी ने ये सबकुछ किया और नतीजा सभी के सामने है। अब इसी अमेठी प्लान को बीजेपी मध्यप्रदेश में अमल में लाना चाहती है। अब सवाल ये है कि अमेठी प्लान को बीजेपी मध्यप्रदेश में जमीन पर कैसे उतारेगी। क्या बीजेपी के पास इतना समय बचा है और वो कौनसी सीटें हैं जहां बीजेपी इस प्लान पर काम करने की तैयारियों में जुटी है।
कांग्रेस के गढ़ में सेंध लगाएगी बीजेपी?
अमेठी प्लान को बीजेपी, कांग्रेस दिग्गजों की उन सीटों पर अमल में लाना चाहती है जो लंबे समय से कांग्रेस का गढ़ रही हैं और यहां कांग्रेस के दिग्गज नेता चुनावी मैदान में हैं। इसमें सबसे पहली सीट तो छिंदवाड़ा है। छिंदवाड़ा लोकसभा सीट के अलावा छिंदवाड़ा जिले की सातों विधानसभा सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है। नगर निगम भी कांग्रेस के कब्जे में है। छिंदवाड़ा कमलनाथ का गढ़ है इसमें कोई दो राय नहीं। 2019 लोकसभा चुनाव में बीजेपी की आंधी में भी कमलनाथ अपने बेटे नकुलनाथ के लिए अपनी सीट बचाने में कामयाब रहे।
अमेठी प्लान को छिंदवाड़ा में बीजेपी कैसे अमल में लाएगी?
अमेठी प्लान का पहला बिंदु - दमदार चेहरा
क्योंकि इस प्लान का पहला ही अहम बिंदु है दमदार चेहरा। जैसे अमेठी में स्मृति ईरानी। कमलनाथ के मुकाबले छिंदवाड़ा में बीजेपी के पास कोई दमदार चेहरा इस वक्त नजर नहीं आता। 1997 के छिंदवाड़ा उपचुनाव को छोड़ दिया जाए जिसमें सुंदरलाल पटवा ने कमलनाथ को शिकस्त दी थी। इससे पहले यानी 1980 से लेकर 1996 तक और इसके बाद 1998 से लेकर 2014 तक कमलनाथ के सामने बीजेपी ने कभी दमदार चेहरा खड़ा नहीं किया। 1998 में जरूर प्रहलाद पटेल को मैदान में उतारा था, लेकिन वो भी हार गए। चौधरी चंद्रभान सिंह 3 बार बीजेपी के टिकट पर कमलनाथ के सामने चुनाव लड़ चुके हैं। मगर हर बार हार का मुंह देखना पड़ा।
सांसद कविता पाटीदार को चेहरा बनाने की कोशिश कर रही बीजेपी
अब बीजेपी राज्यसभा सांसद कविता पाटीदार को चेहरा बनाने की कोशिश कर रही है। हालांकि ये तय नहीं है कि वो चुनाव लड़ेंगी, लेकिन कविता पाटीदार को संगठन की तरफ से छिंदवाड़ा का प्रभार सौंपा गया है। पाटीदार छिंदवाड़ा में सक्रिय भी हैं और बैठकें ले रही हैं। यानी प्लान के पहले बिंदु दमदार चेहरे पर बीजेपी ने अमल तो किया मगर बेहद देरी से।
अमेठी प्लान का दूसरा बिंदु - 5 साल तक सक्रियता
2014 के लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद स्मृति ईरानी चुप नहीं बैठी वो लगातार अमेठी का दौरा करती रहीं। 5 साल में उन्होंने 60 से ज्यादा दौरे किए। यानी महीने में औसतन एक दौरा। अब कविता पाटीदार सक्रिय तो हैं, मगर वैसी नहीं जैसे कमलनाथ। कमलनाथ बीजेपी नेताओं से ज्यादा सक्रिय नजर आते हैं। हर महीने अपनी विधानसभा सीट का दौरा करते हैं। सांसद नुकलनाथ भी सक्रिय रहते हैं। दूसरे बिंदु पर भी बीजेपी ने देरी से अमल किया। कविता पाटीदार 2019 लोकसभा के बाद से ही सक्रिय हो जातीं तो अमेठी प्लान में जान आ जाती।
अमेठी प्लान का तीसरा बिंदु - लोगों के सुख दुख में लगातार शामिल होना
इस बिंदु पर भी कमलनाथ, बीजेपी के नेताओं पर भारी पड़ते हैं। मान लीजिए कि कविता पाटीदार को ही बीजेपी अपना चेहरा बनाने जा रही है तो वो कार्यकर्ताओं के लिए जाना-पहचाना चेहरा हो सकती हैं मगर जनता के लिए नहीं। छिंदवाड़ा की जनता के बीच पाटीदार की वैसी पैठ नहीं कही जा सकती जैसी स्मृति ईरानी ने अमेठी में बनाई थी।
अमेठी प्लान का चौथा बिंदु है - क्षेत्र के विकास के लिए विकास योजनाएं लाना
इस बिंदु पर कमलनाथ बीजेपी पर कई गुना भारी हैं। 2018 का चुनाव ही कांग्रेस ने छिंदवाड़ा विकास मॉडल पर लड़ा और यही वजह है कि बीजेपी इसी मॉडल को पहले ध्वस्त करना चाहती है। रीवा में पीएम मोदी के कमलनाथ को लेकर दिए बयान से ये संकेत भी मिलते हैं।
मौका मिलते ही अपने काम गिनाते हैं कमलनाथ
रीवा में ही पीएम ने 3 ट्रेनों को हरी झंडी भी दिखाई थी। तीनों ट्रेन छिंदवाड़ा से होकर गुजरती हैं। इसलिए बीजेपी ने विकास के इस मॉडल पर अब काम करना शुरू किया है, लेकिन कमलनाथ इससे कहीं ज्यादा काम कर चुके हैं। इसमें कोई दो राय नहीं है और तो और कमलनाथ मौका मिलते ही अपने कामों को गिनाते हैं और बीजेपी पर उन्हें रोकने का आरोप भी लगाते हैं।
अमेठी प्लान का 5वां बिंदु - विपक्ष के नेताओं की कमजोरियों को भुनाना
बीजेपी अब इसके लिए कांग्रेस के उन वादों पर मुखर है जो सरकार में आने से पहले किए गए थे। मसलन किसान कर्ज माफी बीजेपी ने कमलनाथ को नया नाम देते हुए एक नैरेटिव भी सेट किया है झूठनाथ।
अमेठी प्लान का 6वां बिंदु - संगठन और कार्यकर्ताओं को एक्टिव करना
सातंवा बिंदु है दूसरे दलों के नेताओं को अपने पाले में करना।
आठवां बिंदु है कांग्रेस के परंपरागत वोटर्स की मानसिकता बदलना
ये तीनों बिंदुओं पर बीजेपी वैसे काम करती नजर नहीं आती, जैसे अमेठी में किया। छिंदवाड़ा में जमीनी प्लानिंग की जिम्मेदारी बीजेपी ने केंद्रीय मंत्री गिर्राज सिंह को सौंपी है। छिंदवाड़ा के जानकार बताते हैं कि गिर्राज सिंह ने तीन से चार बार ही छिंदवाड़ा का दौरा किया है। प्रदेश स्तर पर जिम्मेदारी कविता पाटीदार और कमल पटेल को सौंपी गई है। कमल पटेल प्रभारी मंत्री तो हैं मगर उनके दौरे वैसे नहीं जैसे छिंदवाड़ा में होना चाहिए। कविता पाटीदार ही छिंदवाड़ा में सक्रिय है और कार्यकर्ताओं की मीटिंग ले रही हैं। बीजेपी नेताओं का कहना है कि इस बार कमलनाथ को परेशानी आने वाली है।
छिंदवाड़ा में बीजेपी सक्रिय
बीजेपी किस प्लान पर काम कर रही है ये कमलनाथ को भी पता है इसलिए कमलनाथ छिंदवाड़ा में बीजेपी से ज्यादा सक्रिय अभी से हो चुके हैं। जानकार बताते हैं कि कमलनाथ और नकुलनाथ ने पूरी संसदीय सीट का एक बार का दौरा पूरा कर लिया है। अब तो उनकी बहू प्रियानाथ भी बेहद सक्रिय हैं। नारी सम्मान जैसी योजना भी कमलनाथ ने छिंदवाड़ा से ही शुरू की जबकि वो इसकी शुरूआत प्रदेश में कहीं से भी कर सकते थे। कमलनाथ ने बीजेपी के अमेठी प्लान के उस आठवें बिंदु की काट की है जिसमें कांग्रेस के वोटर्स की मानसिकता बदलना शामिल है। यानी बीजेपी ने अमेठी प्लान तो तैयार किया है मगर इस पर अमल वैसा नहीं जैसा अमेठी में हुआ और कांग्रेस नेताओं का कहना है कि बीजेपी कितने ही प्लान तैयार कर ले। जनता कमलनाथ के साथ रहेगी।
वीडियो देखने के लिए क्लिक करें.. MP में अमेठी प्लान की एंट्री! क्या कामयाब होगा बीजेपी का ये प्लान ?
कई सीटों पर बीजेपी और कांग्रेस की नजरें
नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह की लहार, जयवर्धन सिंह की राघौगढ़, केपी सिंह की पिछोर, जीतू पटवारी की राऊ, लाखन सिंह की भितरवार, सज्जन सिंह वर्मा की सोनकच्छ , विजयलक्ष्मी साधौ की महेश्वर, कमलेश्वर पटेल की सिंहावल और एनपी प्रजापति की गोटेगांव सीट शामिल हैं। ये ऐसी सीटें है जहां बीजेपी या तो जीत ही नहीं सकी या फिर जीती तो बेहद कम समय के लिए। यहां भी इन नेताओं को घेरने के लिए बीजेपी अमेठी प्लान पर काम करेगी, लेकिन अमेठी प्लान के सबसे पहले बिंदु चेहरे का संकट इन सीटों पर बना हुआ है। दूसरा कांग्रेस के सभी नेता अपनी सीटों पर सक्रिय हैं। लोगों से संवाद कायम है। ऐसे में बीजेपी का अमेठी प्लान एमपी में पूरी तरह से कामयाब होगा, ऐसा नजर आता नहीं है।