नौकरशाही के नियमों में उलझी बिजनेस वूमेन, 4 करोड़ के निवेश के बाद भी न मोटल मिली न पैसा; 3 साल से दफ्तरों के चक्कर काटने को मजबूर

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Arun Dixit
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नौकरशाही के नियमों में उलझी बिजनेस वूमेन, 4 करोड़ के निवेश के बाद भी न मोटल मिली न पैसा; 3 साल से दफ्तरों के चक्कर काटने को मजबूर

BHOPAL. सरकार ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में करोड़ों खर्च कर देश-विदेश के निवेशकों को निवेश के लिए रेड कारपेट बिछा रही है। वहीं प्रदेश की एक महिला उद्यमी परेशान है। परेशानी की वजह सिर्फ नौकरशाही का रवैया है। सीएम से गुहार लगाने के बाद भी ये महिला उद्यमी 3 साल से वल्लभ भवन और पर्यटन विकास निगम के चक्कर काट रही हैं। न इनको इनके हिस्से के तीन करोड़ रुपए मिले और न ही इनका मोटल पर कोई हक रहा। यहां तक कि निगम ने इनका 1 करोड़ का फर्नीचर भी बेच दिया। यानी सरकार ने इस महिला उद्यमी के 4 करोड़ रुपए डकार लिए। आइए आपको बताते हैं कि आखिर क्यों परेशान है प्रदेश की एक बिजनेस वूमेन।



खत्म नहीं हो रही बिजनेस वूमेन कविता की परेशानी



भोपाल की प्रतिष्ठित बिजनेस वूमेन कविता खन्ना ने धार जिले के पर्यटन स्थल खलघाट में 24 लाख रुपए सालाना की लीज पर पर्यटन विकास निगम की मोटल ली। पर्यटकों को लुभाने और सभी सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए डीके मोटल पर 4 करोड़ रुपए खर्च किए गए जिसमें मोटल का निर्माण काम और लग्जरी फर्नीचर शामिल था। 2017 तक निगम को 24 लाख रुपए सालाना के हिसाब से लीज रेंट चुकाया गया। 2016 में पर्यटन की नई नीति आई। कविता खन्ना ने निगम से इस पॉलिसी में उनको शामिल करने का निवेदन किया, लेकिन निगम ने उनके निवेदन पर कोई कार्रवाई नहीं की। यहां से कविता की परेशानी का सिलसिला शुरू हुआ जो आज तक खत्म नहीं हो रहा है।



2018 में कविता ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया



अपना हक पाने के लिए कविता ने 2018 में हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हाईकोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया कि किसी आईएएस को मध्यस्थ बनाकर इस मसले को हल किया जाए। आईएएस आईपीसी केसरी को मध्यस्थ बनाया गया और उन्होंने पर्यटन विभाग के प्रतिनिधि के रूप में आईएएस हरिरंजन राव के साथ बैठक कर 2019 में ये फैसला दिया कि कविता खन्ना से बकाया 21 लाख रुपए लेकर उनको नई नीति में शामिल कर लिया जाए। महिला उद्यमी होने के नाते सहानुभूति बरत कर न्याय किया जाए, लेकिन बात यहां भी नहीं बनीं और कविता की परेशानियां बढ़ती गईं।



निगम ने बेच दिया कविता का 1 करोड़ का फर्नीचर



कविता खन्ना की परेशानी को दूर करने के लिए 2020 में सरकार ने वरिष्ठ आईएएस अफसरों की कमेटी बनाई। इस कमेटी में आईएएस अनुराग जैन, मलय श्रीवास्तव, एचएस मोहंता, फैज अहमद किदवई, जीवी रश्मि, रमेश यादव और आशुतोष उपारिल शामिल थे। इस कमेटी ने फैसला दिया कि डीके मोटल में हुए निर्माण कार्य का मूल्यांकन कराया जाए और बकाया राशि काटकर कविता को बाकी राशि का भुगतान किया जाए। सरकार के मूल्यांकन में 3 करोड़ का निर्माण कार्य सामने आया, लेकिन इस फैसले पर आज तक अमल नहीं हो पा रहा है। कविता खन्ना कहती हैं कि पर्यटन निगम के अधिकारी इन वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों के फैसले को भी नहीं मान रहे हैं। न तो उनको 21 लाख रुपए काटकर बाकी के 2 करोड़ 79 लाख रुपए लौटाए जा रहे हैं और न ही उनको 18 लाख रुपए की डिपॉजिट राशि लौटाई जा रही है। यहां तक कि उस मोटल के नए टेंडर जारी किए गए हैं जिसमें 1 करोड़ 64 लाख रुपए देकर 30 साल की लीज पर मोटल दी जा रही है। इस टेंडर में भी उनको मिलने वाली राशि को समायोजित नहीं किया जा रहा है। कविता का कहना है कि उन्होंने जो 1 करोड़ रुपए का नया फर्नीचर लिया था वो भी निगम ने बेच दिया।



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सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रही कविता खन्ना



इस संबंध में कविता पर्यटन मंत्री उषा ठाकुर से लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान तक गुहार लगा चुकी हैं लेकिन उनकी दिक्क्तों का समाधान नहीं हो पाया। वे 3 साल से सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट-काटकर इस कदर परेशान हो चुकी हैं कि उनको जिंदगी भी बोझ लगने लगी है। वहीं पर्यटन निगम के अध्यक्ष विनोद गोटिया का कहना है कि कविता खन्ना के मामले में जो फैसला साधिकार समिति ने दिया है वही मान्य होगा और जल्द ही उसका पालन किया जाएगा। उनके साथ अन्याय नहीं होगा।


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