दमोह के जटाशंकर धाम में मकर संक्रांति पर लगा मेला, 200 वर्षों से चली आ रही मेला भरने की परंपरा

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Rajeev Upadhyay
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दमोह के जटाशंकर धाम में मकर संक्रांति पर लगा मेला, 200 वर्षों से चली आ रही मेला भरने की परंपरा

Damoh. दमोह शहर के जटाशंकर धाम में मकर संक्रांति के मौके पर रविवार को तीन दिवसीय मेले का आयोजन किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में लोग मेले में शामिल हुए और भगवान भोलेनाथ के दर्शन कर उनका पूजन अर्चन किया।  यह मेला करीब 200 सालों से आयोजित हो रहा है। पहले मेले की भव्यता काफी अधिक थी, लेकिन अब आधुनिकता की दौड़ के कारण मेले का स्वरूप छोटा होता जा रहा है। हालांकि इस मेले में आज भी लोगों की काफी भीड़ पहुंची है। शहर के अलावा ग्रामीण क्षेत्र के लोग भी इस मेले में पहुंचते हैं और मेले का आनंद उठाते हैं। 



सुबह से ही जटाशंकर धाम के शिवालय में बड़ी संख्या में महिला, पुरुष, बच्चे, बुजुर्ग भगवान भोलेनाथ का पूजन अर्चन करने के लिए पहुंचे। मंदिर के पुजारी राजश्री पाठक ने बताया कि मेला करीब 200 साल पहले से आयोजित हो रहा है। मकर संक्रांति का पर्व महत्वपूर्ण होता है। लोग भगवान भोलेनाथ का पूजन कर अपनी मनोकामना पूर्ण करने के लिए भगवान भोलेनाथ से प्रार्थना करते हैं। इस दिन लोग सुबह से ही नदी तालाबों में स्नान करने के बाद भगवान का पूजन अर्चन करते हैं। 




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  • इस मेले में दमोह जिले के अलावा दूसरे जिले के लोग भी अपने दुकान लेकर पहुंचते हैं। मेले में कई प्रकार के झूले भी लगाए जाते हैं और कई मनोरंजन की सामग्रियां उपलब्ध रहती हैं। मंदिर के पुजारी मोनू पाठक ने बताया की अंग्रेजों के समय में इस मेले हाथी, घोड़े, ऊंट, बैल व अन्य जानवर भी बिक्री के लिए आते थे, लेकिन बदलते परिवेश के साथ मेले का स्वरूप भी बदल गया।


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