इंदौर में कई परिवारों की खुशियां छिनीं, शहर ने एक हंसमुख साइक्लिस्ट खोया; दवा व्यापारी की पत्नी पूजा करने गई और वापस ही नहीं लौटी

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Rahul Garhwal
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इंदौर में कई परिवारों की खुशियां छिनीं, शहर ने एक हंसमुख साइक्लिस्ट खोया; दवा व्यापारी की पत्नी पूजा करने गई और वापस ही नहीं लौटी

योगेश राठौर, INDORE. बेलेश्वर महादेव झूलेलाल मंदिर की हत्यारी बावड़ी ने जिन जिंदादिल लोगों को शव में बदल दिया, उनमें वे सुनील सोलंकी भी थे, जो इंदौर में रहकर भी विश्व स्तर पर साइकिलिंग के लिए जाने जाते थे। सेना, एनडीआरएफ, एसडीईआरएफ, पुलिस और प्रशासन जिसे पूरी रात शिद्दत से खोज रहे थे, शहर को पता नहीं था कि सुबह वो एक ऐसे शख्स का शव होगा, जिसने अपने पूरे जीवन में हर पल लोगों को जिंदगी ही बांटी है। सुनील सोलंकी अपने जीवन के आखिरी क्षणों में भी बावड़ी के भीतर लोगों को बचाकर जिंदगी बांट रहे थे, लेकिन मौत खुद झपट्टा मारकर उन्हें ले गई। बताया जा रहा है कि उन्होंने लोगों को बचाने की कोशिश की और कुछ को बचाया भी, लेकिन किसी ने बचने के लिए इन्हें पकड़ लिया, जिससे ये पानी में डूब गए।



हादसे में गई 36 लोगों की जान



इंदौर में रामनवमीं पर हुए हादसे में मरने वालों की संख्या 36 तक पहुंच गई है। हादसे के 24 घंटे बाद गुम एकमात्र व्यक्ति सुनील सोलंकी का शव शुक्रवार को करीब 12 बजे बावड़ी में मिला। उसे करीब 12.20 बजे बावड़ी से बाहर निकाला गया। इस बीच पूरे हादसे की सबसे मार्मिक तस्वीर सामने आई है। एक 5-6 साल का बालक मंदिर में पूजा करने गया था, लेकिन वापस नहीं लौटा।



हमेशा मुस्कुराने वाले साइकिलिस्ट काल के गाल में समा गए




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साइक्लिस्ट सुनील सोलंकी




सुनील सोलंकी इंदौर के प्रतिष्ठित साइकिलिस्ट थे। वे रोज औसतन 50 से 60 किलोमीटर साइकिल चलाते थे। सुबह 4 बजे घर से साइकिल लेकर निकलते थे और सुबह 9 बजे लौटते थे। वे बहुत अच्छे तैराक भी थे, इसलिए ही उन्हें बावड़ी में लोगों को बचाने का आत्मविश्वास रहा होगा, लेकिन यही आत्मविश्वास उनके लिए काल बन गया। सुनील सोलंकी कितने खुशमिजाज थे, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वे सदैव मुस्कुरा कर ही बात करते थे। यदि कोई उनसे पूछ भी लेता कि तुम इतना क्यों मुस्कुरा रहे हो, तो वे कहते कि मुस्कुराहट ईश्वर की देन है और इससे चेहरे की मांसपेशियों का व्यायाम भी हो जाता है। इतना कहकर वे जोर का ठहाका लगाते और सामने वाले को भी हंसने पर मजबूर कर देते थे।



13 साल की महक और 47 साल की मधु ने गंवाई जान



13 साल की महक और 47 साल की मधु भंबानी के शव घर पहुंचा। कपड़े के कारोबारी राजेश बम्बनी। कोठारी मार्केट में रेडीमेड कपड़ों की दुकान है। परिवार में 4 सदस्य थे। सास अपनी बेटी के घर गई थी। कल हादसे के दौरान मां ओर बेटी ही मंदिर गए थे।



भूमिका खानचंदानी की आखिरी पूजा



इस हादसे में भूमिका खानचंदानी भी काल का ग्रास बन गईं। भूमिका अपनी सास, देवरानी और अपनी 2 बेटियों के साथ मंदिर गई थी, भूमिका के लिए वो अंतिम पूजा रही। उनकी सासू रेखा खानचंदानी जिनका एप्पल हॉस्पिटल में इलाज चल रहा है और उनके पांव में रॉड डाली गई है और वो अभी आईसीयू में हैं। भूमिका की 2 मासूम बेटियां अलीना और वेदा को भी चोट आई और वो भी भर्ती हैं। भूमिका खानचंदानी की देवरानी भारती गुलानी भी अभी एप्पल हॉस्पिटल में भर्ती है। भूमिका के पति उमेश खानचंदानी ने बताया कि हम पिछले 13 सालों से इस मंदिर में आ रहे हैं। हम खण्डवा रोड पर बसे लिम्बोदी रहने चले गए थे। मैं दवा बाजार अपने मेडिकल पर था मेरी पत्नी मेरी दोनों बेटियों के साथ पूजा के लिए गई थी और वापस लौटकर नहीं आई।



रवि पाल पटेल की मां, पत्नी और बेटे की मौत



37 साल के रवि पाल पटेल नगर में रहते हैं। वो अपनी पत्नी वर्षा, मां पुष्पा और 8 साल के बेटे तनिष्क के साथ मंदिर गए थे। इस हादसे में रवि पाल की मां, पत्नी और बेटे तीनों की मृत्यु हो चुकी है। रवि पाल को गंभीर हालत में एप्पल हॉस्पिटल में भर्ती किया गया है। सुबह अंतिम संस्कार के लिए कुछ समय के लिए उनको घर और घर से मुक्तिधाम ले जाया गया और वापस उनको एप्पल हॉस्पिटल में भर्ती कर दिया गया।


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