SHEOPUR. श्योपुर के पालपुर कूनो नेशनल पार्क में चीतों का कुनबा बढ़ा है। 29 मार्च को मादा चीता सियाया ने 4 शावकों को जन्म दिया है। सियाया को नामीबिया से लाया गया था। पिछले साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 17 सितंबर को (जन्मदिन के दिन) 8 चीतों को कूनो के बाड़े में छोड़ा था। इन 8 चीतों में 5 नर और 3 मादा थीं। हालांकि, इनमें से एक मादा साशा की 27 मार्च को मौत हो गई थी। साशा किडनी की बीमारी से जूझ रही थी, नामीबिया में उसका ऑपरेशन भी हुआ था। हाल ही में साउथ अफ्रीका से भी चीते लाए गए हैं, जिन्हें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बाड़े में छोड़ा था।
साउथ अफ्रीका से लाए गए थे 12 चीते
18 फरवरी को साउथ अफ्रीका से 12 चीते कूनो लाए गए थे। इन्हें बाड़े में छोड़े जाने के दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र सिंह यादव व नरेंद्र सिंह तोमर मौजूद थे। इन 12 चीतों में 7 नर और 5 मादा हैं। कूनो में अब चीतों की कुल संख्या 19 है। जानकारी के मुताबिक, चारों शावक अच्छी स्थिति में हैं। चीता का गर्भकाल 90-98 दिनों का होता है। सूत्रों के अनुसार, एक अन्य आशा मादा चीता भी गर्भवती है।
CM शिवराज ने वीडियो शेयर किया, खुशी जताई
यह हमारे लिए अत्यंत आनंददायी है कि कूनो में चीता परिवार बढ़ रहा है। वन विभाग, कूनो नेशनल पार्क, स्थानीय प्रशासन के सफल प्रबंधन से सुखद परिणाम मिले हैं।
मैं वन विभाग की पूरी टीम को बधाई देता हूं, जिनकी देख रेख में भारत में चीता प्रोजेक्ट सफलतापूर्वक आगे बढ़ रहा है। ????????????????
— Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) March 29, 2023
वन विभाग देखरेख में थी सियाया
सियाया गर्भवती थी और उस पर वन विभाग के अधिकारी और डॉक्टर नजर रखे हुए थे। उसकी हर एक्टिविटी पर कैमरों के जरिए निगाह रखी जा रही थी। 29 मार्च को तड़के सियाया ने जैसे ही शावकों को जन्म दिया और बच्चे कैमरे में कैद हो गए। इसको देखते ही तलाशने के लिए टीम रवाना हुई।
75 साल बाद भारत की धरती पर जन्मे चीते
भारत की धरती पर 75 साल बाद यह मौका आया है, जब चीते के बच्चों का जन्म हुआ हो। 27 मार्च को किडनी की बीमारी से मादा चीता साशा की मौत होने से वन्य प्रेमियों में शोक छाया हुआ था। अब चार नए मेहमानों के आने से छाया मातम खुशी में बदल गया। 1948 के बाद (2022 तक) देश में चीते देखे जाने की कोई अधिकारिक सूचना नहीं थी। 1948 में तत्कालीन कोरिया रियासत (तब छत्तीसगढ़ नहीं था) के राजा रामानुज प्रताप सिंहदेव ने बैकुंठपुर से लगे जंगल में 3 चीतों का शिकार किया था। यही देश के आखिरी चीते थे। 1952 में सरकार ने शासकीय तौर पर चीतों को विलुप्त अथवा भारत से प्रजाति का खत्म होना मान लिया था।