MP: खाद की डिमांड और सप्लाई चेन गड़बड़ाई, किसान बहा रहे आंसू, मंत्री मॉडलिंग में व्यस्त

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MP: खाद की डिमांड और सप्लाई चेन गड़बड़ाई, किसान बहा रहे आंसू, मंत्री मॉडलिंग में व्यस्त

भोपाल. मध्यप्रदेश के ग्वालियर-चंबल (Gwalior-Chambal) संभाग में खाद के लिए घमासान जारी है। इलाके में सरसों की फसल (Mustard Crop) लगा चुके किसानों को खाद (Fertilizer) की जरूरत है। खाद सोसाइटियों में पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं है। प्रदेश में खाद की सप्लाई और डिमांड की पूरी चेन गड़बड़ा जाने के कारण किसानों (Farmers) में हाहाकार मचा हुआ है। वहीं, प्रदेश के कृषि मंत्री कमल पटेल (Kamal Patel) रैंप वॉक करने में व्यस्त है। कृषि मंत्री का दावा है कि प्रदेश में खाद की कोई समस्या नहीं है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या सोसाइटियों के बाहर लाइनों में लगकर आंसू बहा रहे किसान झूठ बोल रहे हैं।

पर्याप्त मात्रा में खाद उपलब्ध- कृषि मंत्री

मंत्री कमल पटेल का दावा है कि प्रदेश में खाद भरपूर मात्रा में उपलब्ध है। खाद के रैक पहुंचाए जा रहे हैं। मुरैना (Morena) में खाद की लूट पर मंत्री ने कहा कि असमाजिक तत्वों ने खाद की लूट कराई है। यह कांग्रेस (Congress) की साजिश है, सरकार को बदनाम करने की। कृषि मंत्री के इन दावों की हकीकत बयां करते हुए जिला प्रशासन ने कहा कि हमें खाद की चार रैक मिली थी। चारों रैक का वितरण हो चुका है। जैसे-जैसे हमें खाद मिल रहा है, हम सप्लाई करते जा रहे हैं। 

खाद के मैनेजमेंट में सरकार गड़बड़ाई

दरअसल, प्रदेश सरकार खाद की डिमांड केंद्र सरकार को भेजती है। केंद्र डिमांड के अनुसार कोटा अलॉर्ट करती है। इसके बाद मार्कफेड कंपनियों से टेंडर और कोटेशन बुलाकर खाद की खरीदी की जाती है, लेकिन इस पूरी प्रक्रिया में सरकार का मैनेजमेंट गड़बड़ा गया है।
1. सरकार ने जितनी डिमांड की उतनी सप्लाई नहीं हुई।
2. कृषि विभाग (Agriculture Department) के सूत्रों के मुताबिक मध्यप्रदेश को पूरे रबी सीजन में करीब 10 लाख मीट्रिक टन DAP की और करीब 20 से 22 लाख मीट्रिक टन यूरिया (Urea) की जरूरत है।
3. अक्टूबर के महीने में केंद्र की तरफ से 2 लाख मीट्रिक टन खाद का एलोकेशन किया गया है और पहुंचा है केवल 75 हजार मीट्रिक टन।
4. 5 लाख मीट्रिक टन यूरिया का एलोकेशन किया गया है और मिला है केवल 1.5 लाख मीट्रिक टन।
5. इस बार 1 अप्रैल से 30 सितंबर तक करीब 5 लाख मीट्रिक टन डीएपी सरकार ने कंपनियों से खरीदा है। जबकि पिछले साल करीब 9 लाख टन डीएपी खरीदा गया था। यानी पिछले साल की तुलना में 4 लाख मीट्रिक टन डीएपी की वैसे ही कमी है। 
6. एक रैक में ढाई से तीन हजार मीट्रिक टन खाद की बोरियां आती है ऐसे में करीब 400 रैक चाहिए। 

सरकार को हकीकत पता है

ये बात सरकार भी जानती है कि मैनेजमेंट गड़बड़ हो गया है इसलिए जब किसानों का हंगामा मचा और विपक्ष ने भी सरकार को आड़े हाथों लिया। इसके बाद आनन फानन में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (CM Shivraj) ने कलेक्टर्स की बैठक बुलाई और खाद की किल्लत को लेकर चर्चा की। मुख्यमंत्री ने दावा किया है कि कई जिलों में खाद की कमी नहीं है और जितना स्टॉक है उतना ठीक तरीके से किसानों तक पहुंचाया जाए। वहीं, किसान खाद की समस्या से ऐसे समय में जूझ रहे हैं, जब केवल सरसों की बुआई हुई है। प्रदेश के कई इलाकों में अभी गेहूं की बुआई होना बाकी है।

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