इंदौर में दो बिल्डरों की लड़ाई में जनता परेशान, बिल्डर शाह को गोरानी से लेना हैं 51 करोड़ और शाह को पीड़ितों को देना हैं 5.50 करोड़

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BP Shrivastava
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इंदौर में दो बिल्डरों की लड़ाई में जनता परेशान, बिल्डर शाह को गोरानी से लेना हैं 51 करोड़ और शाह को पीड़ितों को देना हैं 5.50 करोड़

संजय गुप्ता, indore. सुमेर सेफ्रॉन होम्स प्रोजेक्ट के पीड़ितों द्वारा अन्नपूर्णा थाने में दर्ज कराए गए धोखाधड़ी के मामले में यशवंत क्लब के सचिव संजय गोरानी के भाई और हाल ही में क्लब के सदस्य बने नरेंद्र गोरानी और मुंबई के बिल्डर रमेश शाह दोनों आरोपी बने हैं। दोनों ही आरोपियों से द सूत्र ने चर्चा की, तो सामने आया कि कोई भी अपनी जिम्मेदारी निभाने के तैयार नहीं है, हालांकि दोनों ही दावा कर रहे हैं कि वह तो पीड़ितों का भला चाहते हैं। 



दोनों बिल्डर की अपनी-अपनी कहानी, पीड़ित पिस रहे



दोनों का कहने का मतलब यही है कि सामने वाला पहले अपनी जिम्मेदारी निभाए तो फिर वह जिम्मेदारी निभाएंगे, यानी की पीड़ित बीच में झूलते रहेंगे। जबकि मामला केवल साढ़े पांच करोड़ राशि का है। केवल इसलिए क्योंकि हाल ही में गोरानी परिवार ने गोवा में करोड़ों खर्च कर परिवार में एक शादी आयोजित की, उधर शाह भी प्रोजेक्ट में 70-80 करोड़ खर्च कर चुके हैं लेकिन करीब 20 पीड़ितों की राशि देने को दोनों ही तैयार नहीं है।



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क्या कह रहे हैं मुंबई के बिल्डर रमेश शाह



पुलिस ने कोई केस दर्ज किया, मुझे इसकी जानकारी नहीं है। मैं तो इस मामले में बेवजह फंस गया हूं। मैंने निर्माण में 50 करोड़ लगाए। कुल खर्चा 80 करोड़ के करीब हो चुका है। यस बैंक से लिया हुआ 80 करोड़ का बैंक लोन भी मैंने चुका दिया है, लेकिन नरेंद्र गोरानी ने मुझे बदले में अभी तक एक भी टॉवर नहीं दिया है, जबकि आर्बिट्रेशन आर्डर दे चुका है कि गोरानी मुझे 51 करोड़ रुपए देंगे। यह राशि में या फिर निर्माण हिस्से के रूप में हो सकता है, गोरानी को एक टॉवर देना था। इसकी मुझे रजिस्ट्री करना थी लेकिन आज तक नहीं किया। वह यह देंगे तो मैं पीड़ितों को उनकी बुकिंग की राशि दे दूंगा। 



नरेंद्र गोरानी क्या कह रहे



सुमेर बिल्डर्स के रमेश शाह और मेरे बीच में डेवलपमेंट का एग्रीमेंट था, विवाद के बाद वह खत्म हुआ। मामला आर्बिट्रेशन में गया, उन्होंने 15-20 फ्लैट बेच रखे थे और राशि शाह ने ही ले रखी थी, वही उन्हें सेटल करेंगे। उन्होंने मल्टी बनाई और मुझे उन्हें 51 करोड़ देना है, लेकिन आर्बिट्रेशन क्लाज में लिखा है वह पीड़ितों को सेटल करेंगे। रुपए लेने की रसीद भी उन्होंने ही दी है। मेरा तो नाम बेवजह लिया गया है। आगे पीड़ितों को कुछ नहीं मिला तो वह तो मुझे बेवजह सूली पर लटका देंगे। मैं, यदि शाह को राशि दे दूंगा और उनका मामला सेटल कर दूंगा तो फिर वह पीड़ितों को कुछ नहीं देंगे, शिकायकर्ता के पेपर में ऐसा कोई दस्तावेज नहीं है कि मुझे उन्हें राशि देना है। हम तो पीडितों को बहुत समझाते हैं लेकिन उन्हें समझ कम आती है। शाह आ जाएं पीडितों की राशि सैटल कर दें तो मैं उनके 51 करोड का मामला दस मिनट क्या दस सेकंड में हल कर दूंगा। मैं तो उलटे पीडितों की सुरक्षा के लिए तीन साल से लड रहा हूं, मैं तो मदद कर रहा हूं, मैं हट जाउं तो उनकी स्थिति क्या होगी? शाह राशि देगा क्या? मैं तो मदद कर रहा हूं, आजकल मदद का जमाना ही नहीं रहा है। 



फ्लैट खरीदी एग्रीमेंट में शाह-गोरानी दोनों के हस्ताक्षर



उधर फ्लैट खरीदी के लिए साल 2010-12 के दौरान जो भी खरीदी एग्रीमेंट हुए थे, उसमें शाह और गोरानी दोनों के हस्ताक्षर हुए हैं। पीड़ितों का कहना है ग्रुप सुमेर बिल्डर्स दोनों का मिलकर था, इसमें गोरानी की जमीन और शाह का निर्माण करने की डील थी, जो रजिस्टर्ड थी। हमने जो भी राशि, चेक दिए वह ग्रुप के नाम पर ही दिए, यानी राशि तो दोनों के पास ही गई। अप्रैल 2022 में शाह मुंबई से आए थे, उनके बेटे राहुल शाह भी थे। हमारी गोरानी, शाह के साथ बैठक हुई, तय भी हो गया कि गोरानी शाह को सेटल करेंगे और शाह हमें राशि देंगे। राशि का हिसाब भी बना और हमें स्टाम्प पर लिखकर दिया गया। हर बुकिंग वाले को अलग-अलग यह शपथपत्र दिए गए कि राशि इतनी बनती है देंगे, लेकिन इसके बाद फिर कुछ नहीं हुआ। इसलिए हमने एफआईआर कराई है। दोनों ही एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डाल रहे हैं, जबकि आर्बिट्रेशन का फैसला हो चुका, कोर्ट में गोरानी का दावा भी खारिज हो चुका जिसमें उन्होंने खुद माना कि राशि 5.50 करोड़ देय बनती है। लेकिन किसी के देने की नियत ही नहीं है। 



यह है मामला



इंदौर के सर्वे न्ंबर 1487/1 और 1487/2 की 4.160 हेक्टेयर जमीन नरेंद्र पिता राम गोरानी निवासी 65-66 गुलमर्ग के नाम पर है। इस पर डेवलपमेंट के लिए गोरानी और मुंबई के सुमेर बिल्डर्स के बीच 28 फरवरी 2008 को एग्रीमेंट हुआ। 24 माह में काम करके पजेशन देने का वादा था। साल 2012 में ही गोरानी और सुमेर बिल्डर्स के बीच विवाद हो गया। साल 2018 तक प्रोजेक्ट का काम बंद रहा और पीड़ित परेशान होते रहे, काम भी अधूरा रहा।


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