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BHOPAL. कोरोना के बहाने ही सही मध्यप्रदेश फाइव-डे वीक की तरफ आगे बढ़ चला है। 2020 में जब से प्रदेश में कोरोना की आमद हुई है तब से मध्यप्रदेश में सरकारी कर्मचारियों का फाइव-डे वीक ही चल रहा है। हाल ही में फिर एक बार फाइव-डे वीक का आदेश जारी हो गया, जो अगले आदेश तक चलेगा। पिछले 3 साल में 5 बार इस तरह के आदेश जारी किए जा चुके हैं। सरकार अब अपने कर्मचारियों को नए वर्क कल्चर की घुट्टी पिलाने की तैयारी कर रही है। अब कर्मचारियों को टारगेट ओरिएंटेड वर्कर बनाया जाएगा। सरकार भी मानती है कि सरकारी ढर्रे में कोई वर्क कल्चर ही नहीं है।
फाइव-डे वीक कल्चर चाहते हैं सरकारी कर्मचारी
कर्मचारी, सरकार की वो फौज हैं जो योजनाओं को क्रियान्वित करती है लेकिन सवाल अब वर्क कल्चर को लेकर खड़ा हो गया है। सरकारी ढर्रे में कर्मचारियों की कार्यशैली हमेशा सवालों के घेरे में रही है। साल में 150 से ज्यादा छुट्टियां पाने वाले कर्मचारियों को अब और छुट्टी की दरकार है। पिछले 3 साल से फाइव-डे वीक मना रहे कर्मचारियों को अब ये अपेक्षा बढ़ गई है कि अब प्रदेश में पांच दिन का सप्ताह ही होना चाहिए बदले में काम के कुछ घंटे बढ़ें तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं है। सरकारी कर्मचारी 2015 से इसकी मांग करते रहे हैं।
सरकारी कर्मचारियों की छुट्टियों का गणित
कोरोना के बहाने अब प्रदेश फाइव-डे वीक की तरफ आगे बढ़ रहा है। आइए आपको बताते हैं कि सरकारी कर्मचारियों को साल में कितनी छुट्टियां मिलती हैं। छुट्टियों के मौजूदा गणित के हिसाब से 52 रविवार, 24 दूसरा और तीसरा शनिवार, धार्मिक पर्व, त्योहार, जयंती और पुण्यतिथि की 20 छुट्टियां सालाना। ये सब मिलाकर 96 दिन की सरकारी छुट्टी।
कर्मचारियों को इनके अलावा भी छुट्टी की पात्रता
एक साल में 30 ईएल, 13 सीएल और 20 मेडिकल लीव शामिल हैं। साल में 57 दिन ऐच्छिक अवकाश होता है जिनमें से एक कर्मचारी को 3 ऐच्छिक अवकाश की पात्रता होती है। 3 स्थानीय अवकाश मिलते हैं यानी कुल 165 दिन की छुट्टी कर्मचारियों को साल में मिलती है। यदि फाइव-डे वीक हुआ तो साल के 29 शनिवार और जुड़ जाएंगे। इस तरह कुल छुट्टी 193 दिन हो जाएंगी।
फाइव-डे वीक में कर पाएंगे बेहतर काम
कर्मचारियों को लगता है कि फाइव-डे वीक से वे और बेहतर काम कर पाएंगे और वे अपने लिए कुछ वक्त भी निकाल पाएंगे और तनाव मुक्त रहेंगे। वे ये भी मानते हैं कि दो दिन और अतिरिक्त छुट्टी से बहुत अंतर नहीं आएगा क्योंकि काम के घंटे बढ़ जाएंगे जबकि सरकार का बड़े फंड की बचत होगी।
क्या बढ़ेगी सरकारी कर्मचारियों की प्रोडक्टिविटी
बात अब प्रोडक्टिविटी की करते हैं। सवाल यही है क्या इससे सरकारी कर्मचारियों की प्रोडक्टिविटी बढ़ेगी। जानकार मानते हैं कि सरकारी ढर्रा काम के लिहाज से चलताऊ ही माना जाता है। काम करने की जगह काम टालने की प्रवृत्ति ज्यादा होती है। यहां पर वर्क कल्चर सुधारा जाना चाहिए। कर्मचारियों को टारगेट ओरिएंटेड करना पड़ेगा। जितना काम उतना दाम की पॉलिसी अपनानी चाहिए। कर्मचारियों की प्रोडक्टिविटी बढ़ेगी तो सरकार की छवि सुधरने के साथ ही लोगों को समय पर योजनाओं का लाभ मिल सकेगा।
फाइव-डे वीक से सरकार को होगा 350 करोड़ का फायदा
खर्च के हिसाब से देखें तो फाइव-डे वीक में सरकार को सालाना 350 करोड़ से ज्यादा का फायदा होगा। पेट्रोल—डीजल पर 2 हजार करोड़, किराए के वाहनों पर 500 करोड़, टेलीफोन, इंटरनेट पर 700 करोड़, सफाई पर 500 करोड़, मीटिंग में चाय-पानी पर 60 करोड़ का सालाना खर्च होता है। फाइव-डे वीक से करीब 371 करोड़ रुपए का फायदा सरकार को होगा। सरकार का कहना है कि नया वर्क कल्चर तैयार करने की आवश्यकता है जिससे कर्मचारियों की प्रोडक्टिविटी बढ़ सके।
वीडियो देखें.. सरकारी कर्मचारियों की बल्ले-बल्ले लेकिन प्रोडक्टिविटी को लेकर उठ रहे सवाल
छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और दिल्ली में फाइव-डे वीक
इस समय मध्यप्रदेश के सीमावर्ती राज्यों में भी फाइव-डे वीक चल रहा है। छत्तीसगढ़ ने कोरोना के बाद स्थाई रूप से फाइव-डे वीक कर दिया है। महाराष्ट्र, तमिलनाडु और दिल्ली में भी फाइव-डे वीक का कल्चर है। सरकार इन राज्यों का अध्ययन कर ही आगे कोई फैसला लेगी।