Ujjain. केंद्र और राज्य सरकार के संयुक्त प्रयास से उज्जैन के कायाकल्प और महाकाल लोक के निर्माण के बाद महाकाल मंदिर में विदेशी पर्यटकों की संख्या में बड़ा इजाफा देखा जा रहा है। इस बात का सबूत मंदिर की दानपेटी में मिली विदेशी करंसी है। जी हां, मंदिर की दान पेटियों में बड़ी मात्रा में विदेशी करंसी पौंड, यूरो और डालर निकल रहे हैं। एक अनुमान के मुताबिक उज्जैन में 30 फीसद से ज्यादा विदेशी मेहमानों ने महाकाल लोक का भ्रमण किया।
पहले साल भर में बमुश्किल आते थे आधा सैंकड़ा विदेशी
उज्जैन के होटल संचालक बताते हैं उज्जैन में पहले साल भर में बमुश्किल 50 से 60 विदेशी पर्यटक ही आते थे। होटल कनिष्क के संचालक राममनोहर अग्रवाल ने बताया कि महाकाल लोक के निर्माण के बाद उनकी होटल में ही 4 माह में सवा दो सौ विदेशी पर्यटक आकर ठहर चुके हैं। यही हाल बाकी अच्छी होटलों का भी है। राजेंद्र सेन ने बताया कि पहले तो उज्जैन में महज थोड़े से विदेशी पर्यटक आते थे और उन्हें अपनी होटल में ठहराने के लिए वे लोग ललायित रहते थे लेकिन अब तो 4 माह में उनके यहां 25 विदेशी पर्यटक ठहर चुके हैं। जिसके चलते होटल संचालक क्वालिटी मेंटेन करने में लगे हुए हैं। ताकि ज्यादा से ज्यादा विदेशी पर्यटक उनके यहां आकर ठहरें।
ट्रैवल संचालक भी हैं खुश
विदेशी पर्यटकों के आने से शहर के ट्रैवल संचालक भी काफी खुश हैं। इस काम में लगे संजय राठौर ने बताया कि आजकल हर दूसरे दिन विदेशी पर्यटक शहर आ रहे हैं। जिससे ट्रैवलर्स की भी अच्छी खासी कमाई हो रही है। उन्होंने कहा कि भगवान महाकाल सब पर ऐसी ही कृपा बनाए रखें, सबका भला करें।
- यह भी पढ़ें
दानपेटी में सोने-चांदी के अलावा विदेशी करंसी
महाकाल लोक बनने से पहले महाकाल मंदिर की दानपेटी से यदा-कदा विदेशी करंसी निकलती थी। लेकिन अब महाकाल लोक बन जाने के बाद हाल दूसरा है। यहां जब भी दानपेटियां खुल रही हैं। पौंड स्टर्लिंग, डॉलर और यूरो निकल रहे हैं। इतना ही नहीं विदेशी करंसी की गड्डी भी बनानी पड़ रही है। मंदिर के प्रशासक संदीप सोनी ने बताया कि दानपेटी में श्रद्धालु अपनी इच्छा से सोने-चांदी के बने आभूषण और रुपया चढ़ाते हैं। मंदिर में विदेशी श्रद्धालुओं के आने में इजाफा हुआ है। पहले यह संख्या काफी कम होती थी। इसमें अब 30 से 40 फीसदी की बढ़ोतरी हो गई है।
काल भैरव मंदिर के भी यही हाल
उज्जैन के प्रसिद्ध कालभैरव के मंदिर के भी यही हाल हैं। यहां पहुंचने वाले भक्त वैसे तो काल भैरव को मदिरा का प्रसाद ही चढ़ाते हैं। लेकिन यहां की दानपेटी में विदेशी करंसी तो ज्यादा नहीं मिल रही, लेकिन विदेशी श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला लगा रहता है। विदेशी श्रद्धालु अपने पसंद की ब्रांड वाली मदिर कालभैरव को चढ़ाते हैं और पुजारी से कहकर कालभैरव को मदिरा का सेवन कराने भी ललायित रहते हैं।