भोपाल। सरकार प्रदेश में माफिया को उखाड़ फेंकने के चाहे जितने दावे करे लेकिन हकीकत इसके उलट है। हालत यह है कि मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के विशेष प्रभाव (पूर्व में यहां से सांसद रहे हैं) वाले विदिशा जिले में वन विभाग को खनन और जमीन माफिया (Land mafia terror in vidisha) के आतंक के आगे घुटने टेकते हुए जंगल विकसित करने के लिए मिली करीब 2 हजार 471 एकड़ जमीन जिला प्रशासन को लौटानी पड़ी है।
वन विकास निगम (Forest Development Corporation) को विदिशा जिले की लटेरी तहसील में सामाजिक वानिकी के तहत नया जंगल विकसित करने के लिए साल 2004-05 में 1900 हेक्टेयर यानि 4695 एकड़ जमीन दी थी। निगम को यहां सागौन का पौधरोपण (land for Teak Plantation) कर जंगल तैयार करना था। लेकिन ये योजना माफियाओं के आतंक के आगे हार गई। निगम ने जब भी यहां पौधरोपण किया माफिया ने उन्हें उखाड़कर फेंक दिया और जमीन पर अतिक्रमण कर लिया। निगम का अमला जब भी अतिक्रमण हटाकर पौधरोपण करता, कुछ समय बाद उस जमीन पर वापस अतिक्रमण (Forest lanf Encroachment in lateri) हो जाता। यह सिलसिला सालों तक चलता रहा। आखिरकार परेशान होकर वन विकास निगम ने 1000 हेक्टेयर यानि 2471 एकड़ जमीन जिला प्रशासन को पिछले साल वापस कर दी। इन 16 सालों में वन विकास निगम को बार-बार पौधरोपण करने और अतिक्रमण हटाने में करीब 1.5 करोड़ रुपए का नुकसान उठाना पड़ा है।
निगम को और 1 करोड़ रुपए का नुकसान होने का अनुमान: वन विकास निगम के प्रबंध संचालक (MD) डॉ. एके पाटिल ने द सूत्र को बताया कि लटेरी में 8 कम्पार्टमेंट जिन्हें वन कक्ष (forest room) कहा जाता है, उसमें वन विकसित करने में दिक्कत आ रही है। अब तक 8 में से 4 वन कक्ष की ही जांच हुई है और उसमें निगम को 1.5 करोड़ का नुकसान हो चुका है। शेष बचे 4 वन कक्षों की जांच अभी चल रही है। इसमें भी अनुमानित 1 करोड़ रुपए तक का नुकसान हो सकता है।
सागौन के पेड़ लगाकर लकड़ी को बेचने की थी योजना: प्रदेश में नए वन विकसित करने की जिम्मेदारी वन विकास निगम की है। सरकार से लटेरी में मिली जमीन पर भी वन विकास निगम को सागौन का नया जंगल तैयार करना था। जब सागौन के पौधे पेड़ बन जाते तो निगम सागौन की लकड़ी बेचकर लाभ कमाता। लेकिन लटेरी में सक्रिय माफियाओं (Lateri mafia) के कारण ऐसा हो नहीं सका। जिस जमीन पर जंगल विकसित होना था, वहां अतिक्रमणकारियों ने फसल की बोवनी कर दी। जिसे वन अमले ने कई बार हार्वेस्टर से कटवाया। कई लोगों ने यहां जमीन पर अतिक्रमण कर मकान बना लिए थे, जिन्हें JCB से तुड़वाया गया। कई जगह अवैध खनन (Illegal mining) भी किया गया, जिसे बंद करवाया गया। लेकिन इन तमाम कार्रवाई के बाद भी जमीन पर अतिक्रमण होते रहे। इस कारण निगम ने यहां वन विकसित करने के लिए अपने हाथ खड़े कर दिए।
लोकायुक्त में शिकायत करने वाले सरपंच पति की हो चुकी है हत्या: प्रदेश में माफियाओं को किसी का खौफ नहीं इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पूरे मामले की लोकायुक्त में शिकायत करने वाले सरपंच पति की बर्बरता (Lateri sarpanch murder case) से हत्या कर दी गई। 17 मार्च 2021 को लटेरी के मुरवास गांव (Murbas village) में ही सरपंच आशादेवी वाल्मिकी के पति संतराम की रिजवान नाम के आरोपी ने ट्रैक्टर चढ़ाकर हत्या कर दी थी। इस जघन्य वारदात को लेकर लटेरी में प्रदर्शन भी हुआ था। घटना के विरोध में सिरोंज से बीजेपी विधायक उमाकांत शर्मा (Umakant sharma) ने भी धरना दिया था। दरअसल संतराम ने वन विकास निगम के अधिकारियों की अतिक्रमणकारियों से मिलीभगत की शिकायत राज्यपाल, लोकायुक्त और कलेक्टर से की थी। संतराम की शिकायतों का असर ये हुआ कि 12 मार्च 2021 को जिला वन मंडल अधिकारी राजवीर सिंह ने अपने रेंजर को एक पत्र भेजा। पत्र में लिखा था कि वन विकास निगम 16 मार्च से बड़े पैमाने पर अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई शुरू करने वाला है। निर्धारित तारीख यानि 16 मार्च से कार्रवाई शुरू नहीं हुई और इधर 17 मार्च को शिकायतकर्ता संतराम की ही हत्या हो गई।
विधानसभा में भी गूंज चुका है वन विभाग की जमीन पर अतिक्रमण का मुद्दा: सिरोंज से बीजेपी विधायक उमाकांत शर्मा ने जुलाई 2019 में मुरवास क्षेत्र में वन विकास निगम की जमीन पर अतिक्रमण का मामला विधानसभा में भी उठाया था। शर्मा के प्रश्न के जवाब में तत्कालीन वन मंत्री उमंग सिंघार (Umang singar) ने जो जवाब दिया था, उसमें भारी अतिक्रमण को स्वीकार करते हुए बताया गया था कि मामले न्यायालय में है या इनकी जांच चल रही है। इसके बाद विधायक उमाकांत शर्मा ने 16 मार्च 2021 को ही मप्र विधानसभा में ध्यान आकर्षण सूचना भेजकर वन विकास निगम लटेरी में भारी भ्रष्टाचार (Corruption in lateri) का जिक्र किया था। सूचना में विधायक ने कहा था कि एक ओर मुख्यमंत्री ने रोजाना एक पौधा रोपने का संकल्प लिया है। वहीं, लटेरी में वन विकास निगम वनों का विनाश कर रहा है। हजारों बीघा पर वन माफिया ने खेत बना लिए हैं।
बीट गार्ड, डिवीजनल मैनेजर के खिलाफ चल रही विभागीय जांच: संतराम ने अपनी शिकायत में अतिक्रमणकारियों से वन विकास निगम के अधिकारियों की सांठगांठ का आरोप लगाया था। जब संतराम की हत्या हुई तो निगम ने जमीन वापस करने की कवायद शुरू कर दी। साथ ही अधिकारियों पर कार्रवाई भी शुरू की। वन विकास निगम के MD डॉ. एके पाटिल ने कहा कि जिन 4 वन कक्षों की जांच पूरी हुई है, उस मामले में बीट गार्ड से लेकर डिवीजनल मैनेजर को चार्जशीट में शामिल किया। इन पर विभागीय जांच अभी चल रही है। अन्य 4 वन कक्ष की जांच पूरी होने के बाद कोई दोषी पाया जाता है तो उस पर भी कार्रवाई की जाएगी।
अवैध उत्खनन के 258 मामलों में एक पर भी कार्रवाई नहीं: CM के विशेष प्रभाव वाले जिले विदिशा का अब आपको एक और मामला बताते हैं। द सूत्र के पास अपर मुख्य वन संरक्षक भोपाल का 8 जुलाई 2021 का एक पत्र है, जिसमें गंजबासौदा के वन परिक्षेत्र 2008 से 2018 के बीच दर्ज किए गए अवैध उत्खनन के 258 मामलों का जिक्र है। पत्र में लिखा है कि इन मामलों में एक भी आरोपी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई नहीं की गई, मतलब एक भी केस में कोर्ट में चार्जशीट पेश नहीं की गई। 243 मामलों में आरोपियों से 15 लाख 21 हजार 899 रु. जुर्माना वसूलकर ये सभी केस खत्म कर दिए गए। जबकि नियमानुसार इन सभी मामलों की चार्जशीट कोर्ट में पेश की जानी थी और फैसला भी वहीं से होना था। 2014-15 के 15 मामलों का अभी भी निराकरण किया जाना बाकी है। इनमें से 12 मामलों के दस्तावेज तो गंजबासौदा की भिलाय चौकी प्रभारी ने गुमा दिए। भोपाल अंचल के अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वर्क प्लान) एचयू खान के हस्ताक्षर से जारी पत्र में लिखा गया है कि अवैध उत्खनन के गंभीर मामलों में भी 10 साल में सरकार के हित को ध्यान में रखते हुए कोई कार्रवाई नहीं की गई।
(राहुल शर्मा के साथ विदिशा से कमलेश शर्मा।)