HARSUD. खंडवा में हरसूद का जिक्र साल 13वीं सदी से भी पहले से होने की जानकारी है। इंदिरा सागर परियोजना के डूब क्षेत्र में आने के कारण 30 जून 2004 को हरसूद यह खाली हो गया। विस्थापितों का दुख राष्ट्रीय स्तर तक छाया रहा। इसके बाद पुनर्वास और कुपोषण के मामले को लेकर हरसूद अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में रहा। हरसूद विधानसभा सीट खंडवा जिले के अंतर्गत आता है। यह बेतूल (लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र) का एक खंड है। सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आराक्षित है। इस सीट पर फिलहाल बीजेपी का कब्जा है और कुंवर विजय शाह यहां से विधायक हैं।
सियासी मिजाज
पिछले 32 सालों से यहां बीजेपी का दबदबा रहा। साल 1957 में यह सीट वजूद में आई थी। 1990 से यहां पर लगातार बीजेपी के उम्मीदवार ही जीतते आ रहे हैं। कांग्रेस को आखिरी बार इस सीट पर जीत 1985 में मिली थी। हरसूद के बीजेपी का गढ़ बनने की नींव 1957 में रखी गई। साल 1990 से 2018 तक विजय शाह यहां से एकतरफा जीत दर्ज करते आ रहे हैं। यहां विजय शाह के मुकाबले में कांग्रेस का हर दांव फेल साबित हुआ।
सियासी समीकरण
विजय शाह इस सीट से 7 बार विधायक रह चुके हैं। इस क्षेत्र में विजय बीजेपी का पर्याय हैं। बीजेपी के एकमात्र अजेय आदिवासी विधायक विजय शाह जब जब सरकार बनी मंत्री पद संभालते नजर आए हैं। बीजेपी के बड़े आदिसावी चेहरे के रूप में विजय शाह जाने जाते हैं। उनके बारे में कहा जाता है कि इलाके की जिस सीट से वो चुनाव लड़ेंगे 'विजय' ही होंगे। तो वहीं कांग्रेस की तरफ से पिछली बार चुनाव लड़े सुखराम साल्वे एक बार फिर टिकट की चाह में खड़े हैं।
जातिगत समीकरण
हरसूद विधानसभा सीट एक आरक्षित विधानसभा सीट है। इस सीट पर मुद्दे से ज्यादा जातिगत समीकरण प्रभावी है। यहां आदिवासी गोंड और कोरकू समाज सबसे ज्यादा मतदाता है। यहां कुछ संख्या में सामान्य वर्ग के भी वोट हैं।
मुद्दे
हरसूद में मुद्दे आम विधानसभा इलाकों से थोड़ा अलग है। यहां सबसे बड़ा मुद्दा विस्थापितों के पुनर्वास से जुड़ा है। साल 2011 में नर्मदा विकास प्राधिकरण ने इस इलाके को न्यू चंडीगढ़ की तरह बसाने का सपना दिखाया था लेकिन इस इलाके के लोगों के आज भी अपने डूबे घर का जिक्र रोने पर मजबूर कर देता है। यहां मूलभूत सुविाधाओं का अभाव है। रोजगार की समस्या से जूझ रहा ये इलाका स्वास्थ्य सेवाओं और शिक्षा के क्षेत्र में भी पिछड़ा हुआ है।
इन तमाम मुद्दों पर जब द सूत्र ने राजनैतिक दलों के नुमाइंदों से बात की तो दोनों ही दलों के नेता एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाते नजर आए...
इसके अलावा द सूत्र ने इलाके के प्रबुद्ध नागरिकों, वरिष्ठ पत्रकारों और आम जनता से बात की तो कुछ सवाल निकल कर आए...
सवाल
- विस्थापितों के लिए आपने क्या कार्य किए ?
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