इंदौर में श्रद्धांजलि सभा में उद्योगपति बाहेती बोले- वह हमेशा इंदौर को लेकर करते थे बात, मंत्री ने कहा- इंदौर के गौरव थे अभय जी

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The Sootr
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इंदौर में श्रद्धांजलि सभा में उद्योगपति बाहेती बोले- वह हमेशा इंदौर को लेकर करते थे बात, मंत्री ने कहा- इंदौर के गौरव थे अभय जी

संजय गुप्ता, INDORE. नईदुनिया के पूर्व प्रधान संपादक और वरिष्ठ पत्रकार अभय छजलानी का 23 मार्च, गुरुवार सुबह निधन हो गया। शाम को रीजनल पार्क मुक्तिधाम पर अंतिम संस्कार हुआ। पुत्र विनय छजलानी द्वारा मुखाग्नि दी गई। वहीं उनके भाई स्वर्गीय विजय छजलानी की पत्नी का भी सुबह निधन हो गया था, उन्हें भी मुक्तिधान पर साथ में अंतिम विदाई दी गई। 



श्रद्धांजलि सभा में सैकड़ों लोग रहे मौजूद 



इस दौरान हुई श्रद्धांजलि सभा में सैकड़ों लोग उपस्थित थे, जिसमें राजनेता, जनप्रतिनिधि, पत्रकार साथियों के साथ ही समाजसेवी, उद्योगपति, कलाकर्मी आदि शामिल थे। सभी ने एकसुर में कहा कि उनका मन, आत्मा इंदौर में ही बसती थी, आज इंदौर ने अपना सबसे बड़ा शुभचिंतक खो दिया। 



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मेरा और अभयजी का याराना 53 साला पुराना था



उद्योगपति रमेश बाहेती ने कहा कि उनका और अभय जी का याराना 53 साल से था, पारिवारिक दोस्ती ऐसी थी कि हमने तय किया कि महीने में एक बार साथ में भोजन करेंगे। इस दौरान कई बातें होती थी, जिसमें इंदौर ही चर्चा का प्रमुख विषय होता था। बीते दो साल से यह सिलसिला उनके स्वास्थ्य खराब होने के बाद टूट गया था, उन्हें अल्जाइमर था और काफी परेशानी में थी। आज परिवार और हम सभी के लिए दुखद पल है, लेकिन ईश्वर ने उन पर दया की और शारीरिक कष्ट से मुक्ति प्रदान की। 



भाषाई पत्रकारिता की ईंट दरक गई



वरिष्ठ पत्रकार श्रवण गर्ग ने कहा कि आज हिंदी भाषाई पत्रकारिता की आखरी ईंट दरक गई। आज देश भर के मीडिया संस्थान में नईदुनिया से निकाला हुआ व्यक्ति मिल जाएगा, ना जाने कितने संपादक, पत्रकार यहां से आए हैं। हिंदी पत्रकारिता का पूरा आकाश, गैलेक्शी नईदुनिया में ही था। 



वह मन से अभी भी युवा थे



मंत्री तुलसी सिलावट ने कहा कि इंदौर का गौरव थे अभयजी। ना जाने इंदौर के लिए क्या कुछ नहीं किया। विधायक आकाश विजयवर्गीय ने कहा कि वह मन से अभी भी युवा थे, जब भी उन्हें मिलो तो लगातार इंदौर पर चर्चा करते थे, उनक पास बहुत कुछ था, जिसे वह साझा करते थे। 



उन्होंने पाठकों को पढ़ना सिखाया 



नरेंद्र नाहटा ने कहा कि उनका सबसे बड़ा काम था उनका पाठक तैयार करना। उन्होंने कई लोगों को पाठक बना दिया और अखबार से जोड़ दिया, जिससे जन जागरुकता आई। उनका हर रविवार आने वाला लेख गुजरता कारवां का हर पाठक इंतजार करता था।



ये भी रहे मौजूद 



मुक्तिधान पर जयदीप कार्णिक, अरविंद तिवारी, कीर्ति राणा, संजय पाठक, जयश्री पिंगले, अभिषेक चेंडके, स्वप्निल कोठारी, दीपक (टीनू) जैन, संदीप पारे, गौतम कोठारी, संदीप पारिख, मुकेश तिवारी सहित सैकड़ों लोग उपस्थित थे।


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