बिलासपुर में ''स्मार्ट पॉलिटिक्स''... पूर्व मंत्री ने लगाए केंद्रीय योजना के कामों में लेटलतीफी और केंद्रीय नेताओं की अनदेखी के आरोप

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The Sootr CG
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बिलासपुर में ''स्मार्ट पॉलिटिक्स''... पूर्व मंत्री ने लगाए केंद्रीय योजना के कामों में लेटलतीफी और केंद्रीय नेताओं की अनदेखी के आरोप

BILASPUR. बिलासपुर में चुनावी सरगर्मी के बीच एक बार फिर शहर के स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट्स को लेकर सियासत शुरू हो गई है। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट्स की धीमी रफ्तार और प्रोजेक्ट्स के लोकार्पण और शिलान्यास में केंद्रीय नेताओं की उपेक्षा के आरोप लग रहे हैं। विपक्ष और सत्ता पक्ष, इसे लेकर आमने-सामने है। शहर में अब इसे श्रेय लेने की राजनीति से जोड़कर देखा जा रहा है।



स्मार्ट सिटी के कामों पर सियासत



दरअसल, बिलासपुर में स्मार्ट सिटी के तहत करोड़ों रुपए के कई बड़े प्रोजेक्ट्स पर काम चल रहा है। इनमें कई प्रोजेक्ट पाइप लाइन में हैं, तो कई प्रोजेक्ट्स का काम पूरा कर लिया गया है। इसमें मल्टीलेवल पार्किंग, ITMS कंट्रोल यूनिट जैसे- प्रोजेक्ट का बीते दिनों सीएम भूपेश बघेल ने लोकार्पण भी किया है। हालांकि, इन प्रोजेक्ट्स के लोकार्पण के साथ ही अब इस पर सियासत भी शुरू हो गई है। विपक्ष केंद्रीय योजनाओं के धीमे रफ्तार, लोकार्पण और शिलान्यास में केंद्रीय नेताओं के उपेक्षा को लेकर सवाल खड़े कर रहा है। 



स्मार्ट सिटी के पैसे का अपव्यय- अमर अग्रवाल



पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल का कहना है कि केंद्र सरकार ने पूरे देश में स्मार्ट सिटी के लिए 100 शहरों को चुना। जिसमें बिलासपुर भी शामिल है। योजना के तहत करीब 4000 करोड़ रुपए स्मार्ट सिटी के डेवलपमेंट के लिए दिए गए, लेकिन इसमें से राज्य सरकार 200 करोड़ का काम भी नहीं करा सकी है। स्मार्ट सिटी के पैसे का अपव्यय हो रहा है। यही नहीं स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के लोकार्पण और शिलान्यास में केंद्रीय नेताओं तक को नहीं पूछा जा रहा है। केंद्र के पैसे में राज्य सरकार लोकार्पण शिलान्यास कर केवल श्रेय लूटने में लगी हुई है। 



केंद्रीय योजनाओं में केंद्रीय नेताओं की उपेक्षा



पूर्व मंत्री ने कहा कि जब कार्रवाई की बात आती है, तब राज्य सरकार संघीय व्यवस्था का हवाला देती है। लेकिन ऐसे समय में जब केंद्र के प्रोजेक्ट पर श्रेय लेने की बात आती है, तो राज्य सरकार इस संघीय व्यवस्था को भूल जाती है। पूर्व मंत्री ने केंद्रीय योजनाओं में केंद्रीय नेताओं की उपेक्षा के लिए प्रशासन को भी जिम्मेदार बताया है। 



सत्ता पक्ष ने विपक्ष के आरोपों को बताया निराधार



इधर, सत्ता पक्ष विपक्ष के इन आरोपों को निराधार बता रहा है। सत्ता पक्ष के जनप्रतिनिधियों का कहना है कि सरकार हर कार्यक्रम में स्थानीय और क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों के साथ केंद्रीय सांसदों को सम्मान देने का काम कर रही है। विपक्ष ने 15 साल सत्ता में रहते हुए क्या किया, उन्हें इसे देखना चाहिए। अब जब चुनाव का समय है बीजेपी जानबूझकर इसे मुद्दा बना रही है।


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