संजय गुप्ता, INDORE. इंदौर के श्री बेलेशवर महादेव झूलेलाल मंदिर में 30 मार्च, रामनवमी के दिन बावड़ी की छत ढह गई थी। बावड़ी हादसे में 36 लोगों की मौत हुई थी। इस मामले में हाईकोर्ट में तीन अलग-अलग याचिकाएं पहले ही लग चुकी हैं। अब इस मामले में 5 अप्रैल, बुधवार को चौथी याचिका भी दायर हो गई है। इसमें मांग की गई है दोषी अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक केस दर्ज होना चाहिए और सभी को सेवा से बर्खास्त किया जाना चाहिए। इसके पहले की याचिकाएं में हाईकोर्ट जज की अध्यक्षता में जांच कमेटी गठित करने से लेकर सीबीआई जांच कराने, प्रति व्यक्ति 25 लाख मुआवजा देने संबंधी मांग रखी गई है।
इन सभी अधिकारियों की भूमिका की हो जांच
हाईकोर्ट अधिवक्ता चंचल गुप्ता ने याचिका लगाए जाने की पुष्टि करते हुए कहा कि हमने याचिका में प्रदेश के मुख्य सचिव, कलेक्टर, पुलिस आयुक्त, निगम कमिश्नर, सीबीआई को पक्षकार बनाया गया है। उन्होंने बताया कि याचिका में हमने हाईकोर्ट से मांग की है कि उक्त दुर्घटना प्राकृतिक आपदा नहीं होकर जिम्मेदार व वरिष्ठ अधिकारियों एवं कर्मचारियों की लापरवाही एवं भ्रष्टाचार के परिणाम स्वरूप घटित हुई है। इसलिए उक्त दुर्घटना की जांच केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से करवाई जाए और दुर्घटना के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों एवं नगर पालिका निगम इंदौर, जिला प्रशासन इंदौर व आपदा प्रबंधक समिति में शामिल अधिकारियों की भूमिका की जांच हो। दोषियों के विरूद्ध योग्य दण्डात्मक एवं विभागीय कार्यवाही की जाना चाहिए।
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निगमायुक्त प्रतिभा पाल की भूमिका की जांच हो
निगमायुक्त को शिकायत करने के बावजूद अतिक्रमण नहीं हटाया गया। इस कारण से हुई दुर्घटना के लिए तत्कालीन निगमायुक्त प्रतिभा पाल की भूमिका की जांच की जाए। दोषी पाए जाने पर योग्य दण्डात्मक एवं विभागीय कार्रवाई की जाना चाहिए।
उम्र, आमदनी व निर्भरता के आधार पर दिया जाए उचित मुआवजा
एडवोकेट गुप्ता ने बताया कि दुर्घटना में मृत व्यक्तियों के परिजनों एवं आश्रितों को मृतक की उम्र, आय, भविष्य में होने वाली आय, उस पर आश्रितों की संख्या एवं परिजनों को हुई मानसिक एवं भावनात्मक क्षति के आधार पर गणना कर न्यायोचित क्षतिपूर्ति की राशि (जो कि न्यूनतम 10 लाख हो) विधि अनुसार गणना कर प्रदान की जाना चाहिए। याचिका में यह भी मांग की गई है कि निगम के पास लंबित अतिक्रमण और अवैध निर्माण की शिकायतों को सार्वजनिक किया जाना चाहिए। साथ ही उनके निराकरण की समय-सीमा तय होना चाहिए, जिससे भविष्य में इस तरह के हादसों की पुनरावृत्ति न हो।
इसके पहले यह भी लग चुकी हैं याचिकाएं
इस मामले में पूर्व पार्षद दिलीप कौशल और अधिवक्ता डॉ. मनोहर दलाल ने भी याचिका लगाई थी। इनमें घटना की जांच हाईकोर्ट के सिटिंग जज से कराने और दोषियों पर कठोर कार्रवाई की मांग की गई है। वहीं पूर्व पार्षद महेश गर्ग और कांग्रेस नेता प्रमोद द्विवेदी ने भी अलग-अलग दो जनहित याचिकाएं दायर की है। यह याचिकाएं अधिवक्ता मनीष यादव और अधिवक्ता अदिति मनीष यादव के माध्यम से दायर हुई हैं। इनमें उच्च न्यायालय से हस्तक्षेप कर इसकी जांच CBI से करवाने की मांग की गई है।