इंदौर कलेक्ट्रेट में फर्जीवाड़ा, क्लर्क ने पत्नी-कंपनी के खातों मे डाले 1 करोड़ निकाल भी लिए, जांच के घेरे में 7Cr के ट्रांजैक्शन

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Pratibha Rana
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इंदौर कलेक्ट्रेट में फर्जीवाड़ा, क्लर्क ने पत्नी-कंपनी के खातों मे डाले 1 करोड़ निकाल भी लिए, जांच के घेरे में 7Cr के ट्रांजैक्शन

संजय गुप्ता, INDORE. इंदौर कलेक्ट्रेट के लेखा शाखा के अकाउंटेंट मिलाप चौहान की एक करोड़ की हेरा फेरी की जांच शुरू हो गई है। प्रारंभिक जानकारी के अनुसार अकाउंटेंट ने यह राशि पत्नी और कंपनी के नाम पर खातों में केवल शिफ्ट ही नहीं की, बल्कि इसे विड्रा भी कर लिया है। यानि सरकारी राशि के गबन का पूरा मामला है, जिसमें पहले शासकीय राशि अपने फर्जी खातों में शिफ्ट की और वहां से धीरे-धीरे करके निकाल भी ली। वहीं पूरा मामला केवल एक करोड़ का नहीं है, बीते चार सालों में सात करोड़ के ट्रांजैक्शन जांच के दायरे में आ गए हैं। यह वही ट्रांजैक्शन है जो विविध खातों में फेल होकर रिफंड हुए थे और जिन पर दावा करने के लिए कोई हितग्राही सामने नहीं आया था। इसी का फायदा चौहान ने उठाया और इन रिफंड को अपने खुलवाए खातों की ओर मोड़ दिया। यानि घोटाला और गबन एक नहीं सात करोड़ तक का हो सकता है। मिलाप चौहान अनुकंपा नियुक्ति मे लगा था। पहले वह लेखा शाखा में,सहयोगी अकाउंटेंट रहा और फिर पदोन्नत होने के बाद लेखा शाखा का प्रभार संभालने लगा।



किस तरह से किया घोटाला



जानकारी के अनुसार शासन द्वारा हितग्राहियों को कई तरह की योजनाओं की राशि सीधे खातों में भेजी जाती है। एक-दो साल पहले कोविड पीड़ित पांच हजार से ज्यादा हितग्राहियों को ही 25 करोड़ की राशि का भुगतान दावा मंजूर हुआ था (प्रति पीड़ित 50 हजार)। इसके साथ ही किसानों को उनकी फसल नुकसानी साथ ही कई तरह की योजनाओं का भुगतान किया गया। बीते चार सालों में करीब सात करोड़ की राशि सामने आई है, जो हितग्राहियों के खातों में नहीं पहुंची और रिफंड हो गई। इसकी कई वजह होती है, जैसे हितग्राही के खाते की जानकारी गलत हो,ट्रांजैक्शन करने में कोई चूक हुई हो। अकाउंटेंट मिलाप ने इन रिफंड में यह देखा कि कहीं कोई हितग्राही क्लेम तो नहीं कर रहा है और खाते में पड़ी रही हो।



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खुलवाए खाते और राशि शिफ्ट करना शुरू कर दिया



जब यह राशि क्लेम करने के लिए लंबे समय तक कोई नहीं आता था, तब अकाउंटेंट मिलाप ने अपनी पत्नी मनीष भाई और एक प्राइवेट कंपनी एक्स्ट्रीम के नाम पर खाता खुलवाया। फिर इस तरह के फेल ट्रांजैक्शन की राशि इन खातों में शिफ्ट करना शुरू कर दिया। साथ ही इन राशि को धीरे-धीरे कर खातों से निकलवा भी लिया।  



जांच के घेरे में सात करोड़ के ट्रांजेक्शन



कलेक्टर डॉ. इलैयाराजा टी. ने इस मामले में जांच कमेटी बना दी है, जिसे अपर कलेक्टर राजेश राठौड लीड कर रहे हैं। उन्होंने लेखा शाखा से सभी ट्रांजैक्शन की जानकारी जुटाकर जांच शुर कर दी है। वहीं कलेक्टर ने आरोपी अकाउंटेंट मिलाप पर एफआईआर के आदेश दे दिए हैं। हालांकि जांच कमेटी इन सभी दस्तावेजों को जुटाकर फिर पुलिस थाने में केस कराएगी, ताकि मजबूत केस बन सके और सभी दस्तावेजी प्रमाण भी जुटाकर पुलिस को दिए जा सकें।


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