जबलपुर। मप्र आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय में छात्रों को आसानी से मार्कशीट और डिग्री नहीं मिल पा रही है। यहां जिस कम्पनी को मार्कशीट और डिग्री बनाने का काम दिया जाता है कुछ समय बाद बदल दिया जाता है।इस मामले में अधिकारियों का जबाव है कि कम्पनी को अनुभव नहीं है इसलिए बदल दिया लेकिन अजब बात यह है कि काम देते वक्त यह क्यों नहीं देखा गया।
कम्पनियां बदली
इस तरह का खेल मेडिकल यूनिवर्सिटी से एफिलेटेड कॉलेजों के छात्रों की मार्कशीट और डिग्री बनाने के ठेके में किया गया है। यूनिवर्सिटी में मार्कशीट बनाने वाली अब तक 4 कंपनियां बदली जा चुकी हैं।
5 सौ से ज्यादा डिग्री/मार्कशीट लंबित
बता दें कि विश्वविद्यालय में अब भी करीब 5 सैकड़ा विद्यार्थियों की अंकसूची और डिग्री लंबित हैं। छात्र चक्कर काट-काट कर परेशान हैं जबकि जिम्मेदार अधिकारी इसे नकार रहे हैं,वे कहते हैं कि सब कुछ समय पर हो रहा है,कुछ तकनीक समस्याएं डाक्यूमेंट अटैच करने की है,जिसमे कमी के कारण ऐसा हो रहा है।
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विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ पुष्पराज सिंह ने बताया कि विभिन्न कंपनियां आ रही हैंए कुछ कंपनियां अनुभवहीनता के कारण बदली गईं हैं। बीते दिनों में विश्वविद्यालय में दिन रात मेहनत करके डिग्री.डिप्लोमा और अंकसूची की समस्या का निराकरण हो चुका है। समस्त कॉलेजों को पत्र लिखकर लंबित अंकसूची और डिग्री के लिए पर्याप्त डाटा उपलब्ध कराने कहा है। 150.200 डिग्री और मार्कशीट ही लंबित हैं। कंपनी बदलने के पीछे की वजह यही थी कि उक्त कंपनी उतनी दक्षता से काम नहीं कर पा रही थी जितना विश्वविद्यालय को जरूरत थी।
जीएमएस पोर्टल में भी शिकायतों की झड़ी
विश्वविद्यालय प्रशासन ने स्टूडेंट्स की समस्या के समाधान के लिए ग्रीवेंस मैनेजमेंट सिस्टम पोर्टल बनाया है। इसे एमपी ऑनलाइन से जोड़ा भी गया है। इसके डेटा को ही देख लिया जाए तो इस पोर्टल में भी शिकायतों का अंबार लगा हुआ है। प्रबंधन दावा करता है कि अधिकांश शिकायतों का निराकरण हो चुका है, सीएम हेल्पलाइन को भी सूचना भेजी गई है। जल्द ही पेंडिंग शिकायतें दिखाई देना बंद हो जाऐंगी।