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राजीव उपाध्याय, Jabalpur. नर्सिंग कॉलेज खोलने के लिए शासन ने नियम बनाए हैं लेकिन नियमों को किस तरह दरकिनार करके फर्जीवाड़ा किया जाता है, वह मध्य प्रदेश के नर्सिंग कॉलेजों में देखने मिला। यूं ही तो कोई नर्सिंग कॉलेज नहीं खोल लेता, जब तक कि उसके पास इंफ्रास्ट्रक्चर न हो, फैकल्टी न हो। लेकिन मध्य प्रदेश में ऐसा हुआ है। यहां ऐसे नर्सिंग कॉलेज चल रहे हैं जिनके पास न इंफ्रास्ट्रक्चर है और न फैकल्टी। इसके बाद भी इनको मान्यता मिली। यह संभव हुआ नर्सिंग काउंसिल के निरीक्षण दल के सदस्यों और नर्सिंग कॉलेज चलाने वाले माफिया की सांठगांठ से। वहीं यह संभव हुआ मेडिकल यूनिवर्सिटी के निरीक्षण दल के सदस्यों की इन कॉलेजों पर विशेष मेहरबानी से। जिन्होंने मापदंड पूरे नहीं होने के बाद भी मेडिकल यूनिवर्सिटी की ओर से मान्यता दे दी।
ये हैं नर्सिंग कॉलेज खोलने के पैरामीटर्स-
- करीब 22000 से 23000 वर्ग फुट का भवन
इस तरह मिलती है मान्यता
नर्सिंग कॉलेज की मान्यता के लिए नर्सिंग कॉलेज प्रबंधन मध्य प्रदेश नर्सिंग काउंसिल में आवदेन करते हैं। आवदेन में लिखा होता है कि वे निर्धारित मापदंड को पूरा कर रहे हैं। मध्य प्रदेश नर्सिंग काउंसिल निरीक्षण दल गठित करता है। दल के सदस्य कॉलेजों का भौतिक सत्यापन करके रिपोर्ट नर्सिंग काउंसिल को देते हैं। नर्सिंग काउंसिल जिसमें रजिस्ट्रार भी होता है वे जांच दल की रिपोर्ट की स्कूटनी करते हैं।इसके बाद नर्सिंग काउंसिल का रजिस्ट्रार कॉलेज को मान्यता देता है।
इसके बाद कॉलेज के मेडिकल यूनिवर्सिटी में एफिलेशन के लिए मेडिकल युनिवर्सिटी भी यही प्रक्रिया करती है। सब कुछ ठीक होने पर मेडिकल यूनिवर्सिटी नर्सिंग कॉलेजों को संबद्धता या एफिलेशन देती है। इसके लिए मेडिकल यूनिवर्सिटी की ओर से एक निरीक्षण दल गठित किया जाता है। यह दल उन कॉलेजों का भौतिक सत्यापन करता है जिनका कॉलेज प्रबंधन एफिलेशन के लिए आवदेन करता है।
ये हैं फर्जीवाड़ा के लिए ज़िम्मेदार
- नर्सिंग काउंसिल के निरीक्षण दल के सदस्य
इस तरह हुआ फर्जीवाड़ा
- सीधी कॉलेज ऑफ नर्सिंग व क्राइस्ट ज्योति कॉलेज ऑफ नर्सिंग की शिकायतें भी हुई थीं।जिसमें कहा गया था कि वहां न बिल्डिंग है, न लैब है।एक कमरे में कॉलेज चल रहा है। इसकी जांच हाईकोर्ट के निर्देश पर हुई। डायरेक्टर मेडिकल एजुकेशन ने टीम गठित कर भेजी।जिसमें नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज जबलपुर से डॉ रविंद्र विश्नोई भी शामिल थे। डॉ विश्नोई ने बताया कि जांच रिपोर्ट डीएमई को दे दी गई है। टीम में नायाब तहसीलदार को भी शामिल किया था। जिससे कॉलेज की नाप हो सके।
- एक अन्य मामला भोपाल के मेयो नर्सिंग कॉलेज में फर्जीवाड़े का है। जांच के दौरान यह पाया गया कि भोपाल के मेयो कॉलेज ऑफ नर्सिंग के प्रबन्धन ने कॉलेज में अध्ययनरत 10 छात्रों को ही कागजों में फैकल्टी बता रखा था। इसके बाद भी नर्सिंग काउंसिल ने मान्यता दे दी इसके बाद मेडिकल यूनीवर्सिटी के दल ने यहां दो बार निरीक्षण भी किया लेकिन बजाय इस खामी को गंभीरता से लेने के इसे नजरअंदाज कर एफिलेशान दे दिया।
- नर्सिंग कॉलेजों के फर्जीवाड़े में एक किरदार का नाम काफी उछला। यह नाम था लीना नाम की एक शिक्षिका का। जांच में यह पता चला कि लीना नाम की यह शिक्षिका अपना रजिस्ट्रेशन नंबर बदल-बदलकर 10 कॉलेजों में पदस्थ थी लेकिन न तो नर्सिंग काउंसिल और न ही मेडिकल यूनीवर्सिटी ने इस बात पर कोई आपत्ति उठाई और न ही संबंधित कॉलेजों पर कोई कार्रवाई की।
- लीना नाम की शिक्षिका के अलावा 13 और ऐसे फैकल्टी पाए गए जो एक के बजाय कई कॉलेजों में पदस्थ पाए गए। यह सब कागजों पर बताया गया था।
- कई नर्सिंग कॉलेजों ने नर्सिंग काउंसिल और मेडिकल यूनीवर्सिटी के निरीक्षण के दौरान जिस स्थान को कॉलेज भवन बताया जांच में यह बात सामने आई कि उन स्थानों का तो किसी और काम के लिए व्यापारिक उपयोग हो रहा था।
241 नर्सिंग कॉलेज डीरिकग्नाइजड
इंडियन नर्सिंग काउंसिल ने मध्य प्रदेश के 241नर्सिंग कॉलेजों की लिस्ट जारी की है,जिन्हें मध्य प्रदेश नर्सिंग काउंसिल ने डीरिकगनाइज कर दिया है। इंडियन नर्सिंग काउंसिल ने भी इन कॉलेजों से नर्सिंग प्रोग्राम को विड्रा कर दिया है।
फैकल्टी का खेल
फर्जी कॉलेजों में दूसरे राज्यों से 4000 फैकल्टी बुलाई गई। इनका वर्ष 2021-22 में फैकल्टी का जीवित पंजीयन मध्य प्रदेश में नहीं हुआ। शासन ने इस 4000 फैकल्टी को वर्ष 2022-23 में उपयोग करने के लिए अपात्र घोषित किया है। इससे शासन ने भी माना कि अपात्र फैकल्टी से कॉलेज चलाए जा रहे थे।
अमान्य कॉलेजों में प्रवेश
कुछ ऐसे नर्सिंग कॉलेज हैं जिनको मान्यता नहीं है वे फिर भी वर्ष 2022-23 के सत्र के लिए कॉलेजों में छात्रों को प्रवेश दे रहे हैं,जोकि गलत है। एडवोकेट वा लॉ स्टूडेंट्स एसोसियेशन मध्य प्रदेश के अध्यक्ष विशाल बघेल का कहना है कि मध्य प्रदेश नर्सिंग काउंसिल अपनी वेबसाइट में वर्ष 2022-23 के लिए मान्यता प्राप्त कॉलेजों की सूची जारी करेगी। जिसके आधार पर ही छात्रों को प्रवेश लेना चाहिए।
सबसे बड़ा सवाल एफआईआर क्यों नहीं
एडवोकेट व लॉ स्टूडेंट्स एसोसियेशन मध्य प्रदेश के अध्यक्ष विशाल बघेल का कहना है कि नर्सिंग कॉलेजों के निरीक्षण दल के सदस्यों और कॉलेज माफियाओं की मिलीभगत से यह फर्जीवाड़ा हुआ। निरीक्षण दल के सदस्यों ने गलत रिपोर्ट नर्सिंग काउंसिल को दी और नर्सिंग काउंसिल की रजिस्ट्रार ने अपात्र कॉलेजों को मान्यता दे दी। वर्ष 2020-21वा वर्ष 2021-22 में दो रजिस्ट्रार चंद्रकला दिमकैया और सुनीता शिजू रही हैं। इनको इस गड़बड़ी में शामिल होने के कारण निलंबित किया गया है।दूसरी रजिस्ट्रार सुनीता शिजू को हाईकोर्ट ने निलंबित किया है,उन्होंने झूठा शपथ पत्र पेश किया था। इसके बाद भी अभी तक निरीक्षण दल के सदस्यों और उन कॉलेजों पर एफआईआर नहीं की गई है, जिन्होंने गलत तरीके से मान्यता ली थी।
नए कुलपति का कहना
मध्य प्रदेश मेडिकल यूनिवर्सिटी के नए कुलपति डॉ. अशोक खण्डेलवाल ने पिछले माह अगस्त में पदभार संभाला है। कुलपति का कहना है कि कोर्ट से जो निर्देश मिलेंगे उसका पालन किया जाएगा। जो गाइड लाइन है उसका पालन किया जाएगा।