गौरीशंकर बिसेन नाम के अध्यक्ष: OBC लिस्ट में जातियों को जोड़ने की अनुशंसा नहीं कर सकेंगे

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गौरीशंकर बिसेन नाम के अध्यक्ष: OBC लिस्ट में जातियों को जोड़ने की अनुशंसा नहीं कर सकेंगे

भोपाल. मध्यप्रदेश में पिछड़ा वर्ग (OBC) को लेकर दो-दो आयोग बन गए है। एक बीजेपी (BJP) का है तो दूसरा कांग्रेस का है। बीजेपी का आयोग है पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग (Backward Classes Welfare Commission)। इस आयोग का ऐलान सीएम शिवराज (CM shivraj) ने 15 अगस्त के दिन किया था। उन्होंने कहा था कि यह आयोग पिछड़ा वर्ग के भाई बहनों को स्थितियों का अध्ययन करके सुधार के लिए अपनी अनुशंसा देगा। इस आयोग का अध्यक्ष पूर्व मंत्री गौरीशंकर बिसेन (Gaurishankar Bisen) को बनाया गया है। लेकिन खास बात यह है कि गौरीशंकर बिसेन पिछड़ा वर्ग के लिए अनुशंसा कर ही नहीं पाएंगे। क्योंकि अनुशंसा करने का संवैधानिक अधिकार तो कमलनाथ (Kamalnath) सरकार द्वारा बनाए गए आयोग के अध्यक्ष जेपी धनोपिया (JP Dhanopia)के पास है।

शिवराज सरकार धनोपिया को हटा नहीं सकती

दूसरा आयोग मप्र राज्य पिछड़ा वर्ग है। इसका गठन भारत सरकार के आदेश पर 1993 में किया गया था। यह आयोग एक संवैधानिक संस्था है। कमलनाथ सरकार ने जेपी धनोपिया को दो साल के लिए इसके अध्यक्ष पद पर नियुक्त किया था। चूंकि ये संवैधानिक पद है इसलिए शिवराज सरकार हटा नहीं सकती है। इसी कारण सरकार ने नए आयोग का गठन किया गया है। दूसरे आयोग के अध्यक्ष धनोपिया का कार्यालय दो साल तक रहेगा। यानी मध्यप्रदेश विधानसभा चुनावों तक। अब इसका असर यह होगा कि बीजेपी सरकार ओबीसी (OBC list) में नई जातियों को जोड़ने की अनुशंसा नहीं कर पाएगी। अगर बिसेन वाला आयोग इसकी अनुशंसा करता है तो धनोपिया कोर्ट में इस फैसले को चुनौती दे पाएंगे। 

नए आयोग के गठन पर धनोपिया ने उठाए सवाल

धनोपिया ने कहा कि इस संस्था का उद्देश्य बीजेपी के एक नेता को पद देना है और दूसरा उद्देश्य है ओबीसी वर्ग को गुमराह करना है। सरकार गलत कह रही है कि ओबीसी वर्ग की समस्याओं का निराकरण करेगी। गौरीशंकर बिसेन किसी आयोग के नहीं बल्कि एक संस्था के अध्यक्ष बनाए गए है। यह संवैधानिक संस्था नहीं है। वहीं, धनोपिया के आरोपों पर सरकार में चिकित्सा स्वास्थ्य मंत्री विश्वास सारंग ने पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि हम पिछड़ा वर्ग के लिए कमिटेड है। इसलिए हमने ओबीसी को आरक्षण (obc reservation) का फायदा दिलाने के लिए आयोग का गठन किया है।

दोनों आयोग के अधिकारों में अंतर

मप्र राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के अधिकार
1.
राज्य की पिछड़ा वर्ग की सूची में जातियों को जोड़ने या विलोपित करने की अनुशंसा कर सकता है।
2. पिछड़े वर्ग के लिए संचालित कार्यक्रमों और योजनाओं की मॉनिटरिंग कर सकता है।
3. क्रीमीलेयर की सीमा के सम्बन्ध में अनुशंसा कर सकता है।
4. लोक सेवाओं एवं शैक्षणिक संस्थाओ में आरक्षण के सम्बन्ध में सलाह दे सकता है।
5. पिछड़े वर्गों के संरक्षण के लिए हितप्रहरी के रूप में कार्य कर सकता है।
शिवराज सरकार द्वारा गठित पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग के अधिकार

1. पिछड़े वर्ग की मौजूदा सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक स्थिति का अध्ययन
2. सरकार की योजनाओं में पिछड़े वर्ग की भागीदारी
3. शैक्षणिक संस्थाओं में पिछड़े वर्ग के छात्रों को मिलने वाले लाभ का अध्ययन
4. पिछड़े वर्ग के युवाओं के लिए रोजगार के अवसरों का आंकलन और वृद्धि के उपाय
5. पिछड़े वर्ग के युवाओं के लिए कौशल उन्नयन कार्यक्रम सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक कल्याण के लिए उपाय और अनुशंसाएं कर सकेगा। 

ओबीसी लिस्ट तैयार करने का अधिकार धनोपिया के पास

केंद्र सरकार ने हाल ही में 127 वां संविधान संशोधन विधेयक पास किया है। इस संशोधन से राज्यों को ओबीसी लिस्ट करने का अधिकार मिलेगा। लेकिन उसकी अनुशंसा भी बिसेन साहब का आयोग नहीं कर सकेगा। इसके साथ ही क्रीमी लेयर के संबंध में भी कोई अनुशंसा राज्य सरकार को नहीं कर पाएगा। क्योंकि ये अधिकार तो धनोपिया के अध्यक्ष वाले आयोग के ही पास है। यानी एक तरह से माना जाए कि केवल राजनीतिक नियुक्ति और दिखावे के लिए इस आयोग का गठन किया गया है।

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