नेशनल खिलाड़ी के पास नहीं थी किट, शहर के व्यापारियों ने मदद के लिए 90 हजार जुटाए

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Akash Mishra
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नेशनल खिलाड़ी के पास नहीं थी किट, शहर के व्यापारियों ने मदद के लिए 90 हजार जुटाए

Indore. एक तरफ सरकार खेलों में प्रतिभाओं को तलाशने के लिए तमाम तरह की योजनाएं ला रही है। मुख्यमंत्री से लेकर खेल मंत्री तक इसके लिए कोशिशें करते रहतें हैं। बावजूद उसके नेशलन लेवल के खिलाड़ियों को सुविधाएं तक नहीं मिल पा रही है। ऐसे में स्टेट और डिस्ट्रिक्ट लेवल के खिलाड़ियों का हालत का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है। मधुमिता चौहान हॉकी प्लेयर है। नेशनल खेलती है। अभी हाल ही में 11 से 23 मई तक नेशनल टूर्नामेंट में भाग लिया। जिसमें मधुमिता ने कई गोल बचाए, जिससे उनकी टीम देशभऱ में चौथे स्थान पर पहुंच सकी। लेकिन गोलकीपर की किट अच्छी न होने से मधुमिता को चोट लग गई थी। अब मधुमिता का चयन देश की सबसे बड़ी एकेडमी साईं पटियाल में हुआ है। वहां पर मधुमिता को एक जून तक किट के साथ बुलाया गया है। गोलकीपर किट की बाजर में कीमत सवा लाख से डेढ़ लाख तक के बीच में है। लेकिन मधुमिता के पास किट के लिए पैसे नहीं है। ऐसे में मधुमिता के सामने संकट खड़ा हो गया है। 





कपड़े की दुकान में सैल्समेन है पिता





मधुमिता गरीब परिवार से है। उसके पिता राजेंद्र चौहान कपड़े की दुकान पर सैल्समेन का काम करते है। किराए के कमरे में रहते है। उनके पास इतने पैसे नहीं कि, मधुमिता को किट खरीद कर दे सकें। मधुमिता के पिता राजेंद्र चौहान का कहना है कि, पैसे न होने के चलते अभी मधुमिता को किट नहीं दिला सकता।  





प्रदेश की इकलौती खिलाड़ी जिसका चयन हुआ





आपको बता दें कि, मधुमिता का देश की 95 खिलाडियों के ट्रायल में उसका चयन हुआ है। वह मप्र की इकलौती महिला खिलाडी है। जिसे देश की सबसे बड़ी एकेडमी के लिए चयनित किया गया है। मधुमिता को वहां पर तीन साल तक ट्रेनिंग करनी है। 





इंदौर के व्यापारियों की अनोखी पहल





अब मधुमिता का चयन देश की सबसे बड़ी एकेडमी सांई पटियाल, पंजाब में हुआ है। देश की 95 खिलाडियों के ट्रायल में उसका चयन हुआ है और वह मप्र की इकलौती महिला खिलाडी है। मधुमिता को तीन साल की ट्रेनिंग के लिए बुलाया गया है। रहना-खाना सब कुछ वहीं पर होगा। लेकिन मजबूरी है कि उसे किट लेकर जाना है, जो डेढ लाख की आती है। उसके पिता अपोलो टावर में एक कपड़ा दुकान पर सेल्सेमैन हैं और किराए के मकान में रहते हैं। किट नहीं होने के चलते पिता राजेंद्र ने अभी एकेडमी वालों को कहा है कि तीन दिन बाद किट की राशि जुटाकर बेटी आएगी। अभी पैसे नहीं है। सरकार से कोई मदद नहीं लेकिन अपोलो टावर के व्यापारी ही अब राशि जमाकर किट खरीद रहे हैं। 90 हजार जुटा भी लिए हैं। व्यापारी संघ के सचिव सुनील गुप्ता ने बताया कि हमारी बेटी ट्रेनिंग कर देश की हॉकी टीम से खेले तो यह हम सभी के लिए गर्व की बात होगी। दो दिन में किट दिला देंगे। 14 साल की मधुमिता ने मीडिया से कहा कि किट अच्छी नहीं हो तो गोल रोकने में बहुत चोट लगती है। यह मिल जाए तो देश के लिए मैदान में होने वाले सारे आक्रमण रोक लूंगी।







 



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