आईडीए उपाध्यक्ष गोलू शुक्ला ने खुद को बताया राज्यमंत्री, पत्र जारी नहीं हुआ तो सोशल मीडिया से वापस हटाया टैग

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BP Shrivastava
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आईडीए उपाध्यक्ष गोलू शुक्ला ने खुद को बताया राज्यमंत्री, पत्र जारी नहीं हुआ तो सोशल मीडिया से वापस हटाया टैग

योगेश राठौर, INDORE. बीजेपी नेता राकेश उर्फ गोलू शुक्ला अपना रसूख दिखाने के चक्कर में खुद ही उलझ गए। शुक्ला 20 फरवरी को आईडीए (इंदौर विकास प्राधिकरण) के उपाध्यक्ष पद पर नियुक्त हुए। इसके बाद उन्होंने पद भी संभाल लिया। फिर कुछ दिनों बाद उन्हें एहसास हुआ कि वह तो राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त राजनीतिक व्यक्ति हो गए हैं। इसके बाद उन्होंने अपने सोशल मीडिया स्टेटस पर- उपाध्यक्ष इंदौर विकास प्राधिकरण (आईडीए), (राज्यमंत्री मप्र शासन) का दर्जा लिख डाला, लेकिन जब मप्र शासन की ओर से इस तरह का कोई पत्र ही जारी नहीं हुआ और उनके रसूख पर आंच आ गई तो उन्होंने चुपचाप सोशल मीडिया से यह टैग हटा लिया। 





चावड़ा को है कैबिनेट मंत्री का दर्जा,पर उन्होंने नहीं लिखा





आईडीए चेयरमैन जयपाल सिंह चावड़ा को कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त है। इसका पत्र भी जारी हुआ था, लेकिन उन्होंने इसे स्टेटस नहीं बनाया। इस बारे में द सूत्र को चावड़ा ने बताया कि जब हमारी नियुक्ति हुई थी, उसके दो घंटे बाद ही कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया था। मप्र शासन ने मंत्री दर्जा दिया था, लेकिन मैं इसे शो नहीं करता हूं। 





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गोलु शुक्ला बोले पता नहीं किसने डाला





गोलू शुक्ला से जब द सूत्र ने बात कर राज्यमंत्री का दर्जा देने पर सवाल पूछा तो उन्होंने कहा कि मेरी 10-12 आईडी चलती हैं, पता नहीं किसने क्या डाला? जब हमने मप्र शासन से पत्र जारी होने की बात पूछी तो उन्होंने कहा अभी पता करता हूं, मैं अभी आया हूं, पता नहीं है। जब फिर पूछा गया कि पत्र आया क्या तो बोले मैं बाद में मिलता हूं, बताता हूं। 





उपाध्यक्ष को पहले नहीं दिया था दर्जा





आईडीए में इसके पहले उपाध्यक्ष रहे और वर्तमान में नगर निगम एमआईसी सदस्य राजेश उदावत से जब राज्यमंत्री दर्जा देने को लेकर पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि यह तो पूरी तरह से सरकार पर निर्भर होता है, मेरे कार्यकाल के समय उपाध्यक्ष को यह दर्जा नहीं दिया गया था। 





पूरी तरह से सरकार पर निर्भर, कोई मानक तय नहीं





विभागीय अधिकारियों ने बताया कि किसे कैबिनेट मंत्री और किसे राज्यमंत्री का दर्जा देना है। यह पूरी तरह से सररकार पर निर्भर है। इसका कोई मानक नहीं है। कुछ समय पहले जब आईडीए और अन्य निगम, मंडलों में नियुक्ति हुई थी तब अध्यक्ष, चेयरमैन को कैबिनेट मंत्री का और उपाध्यक्ष को राज्यमंत्री दर्जा देने के पत्र भी दो घंटे बाद जारी हो गए थे। कुल 26 पत्र जारी हुए थे, लेकिन इस बार अभी यह पत्र जारी नहीं हुए हैं।





शुक्ला के जीजाजी भी धोखाधड़ी में उलझे





कुछ दिन पहले ही गोलु शुक्ला के जीजाजी प्रवीण तिवारी भी एक 420 के केस में उलझे हैं और कोर्ट में परिवाद के बाद थाने में उन पर केस दर्ज किया गया है। इस केस से बचाने की भी लंबी पहल चली और आरोपी तिवारी ने खूब रसूख दिखाया और कहा कि मेरा राजनीतिक संबंध हैं और उनके घराने से हूं, लेकिन कोर्ट के निर्देश के बाद पुलिस को यह केस दर्ज करना पड़ा और जीजाजी शिकंजे में आ गए।



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