जितेंद्र सिंह, GWALIOR. गजराराजा मेडिकल कॉलेज (जीआरएमसी) ग्वालियर में फर्जी दस्तावेज लगाकर साइंटिस्ट के तीन पदों पर नौकरी पाने का मामला सामने आया है। नौकरी पाने वाला भी कोई और नहीं, बल्कि मेडिकल कॉलेज के तीन डॉक्टर में से दो की पत्नी और एक की भतीजी है। डॉक्टरों की पत्नी और भतीजी को नौकरी देने के लिए मेडिकल कॉलेज के कर्ताधर्ताओं ने आंख बंद कर ना सिर्फ नियमों की अनदेखी की, बल्कि दस्तावेजों की प्रामाणिकता जांचने की भी जहमत नहीं उठाई।
शिकायत के बाद जांच में फर्जीवाड़ा पता चला
जीआरएमसी में पैथोलॉजी विभाग के डॉक्टर अमित निरंजन की पत्नी शुभ्रा सिंह को साइंटिस्ट के ग्रुप-बी, फिजियोलॉजी विभाग में पदस्थ डॉ. विकास जैन की पत्नी ज्योति जैन को ग्रुप-सी तथा फार्माकोलॉजी विभाग में पदस्थ डॉ. एके जैन की भतीजी मीनू जैन को ग्रुप-डी में नौकरी दी गई है। मामले की जब शिकायत हुई और दस्तावेज की जांच पड़ताल चली तब फर्जीवाड़ा का पता चला। कमिश्नर दीपक सिंह ने जांच रिपोर्ट जीआरएमसी के डीन डॉ.अक्षय निगम को भेजी दी है।
ये भी पढ़ें...
अपनी पसंद के अनुसार बनाई अंकतालिका
जीआरएमसी प्रशासन ने ग्रुप-बी, ग्रुप-सी तथा ग्रुप-डी साइंटिस्ट के पद पर भर्ती के लिए 17 मई 2021 को विज्ञापन जारी किया था। तीन पदों पर कई आवेदन प्राप्त हुए थे, जिसमें डॉक्टर की पत्नी और भतीजी भी शामिल थी। जीआरएमसी प्रशासन ने अपने सहयोगी डॉक्टरों की पत्नी और भतीजी को नौकरी देने के लिए चयन प्रक्रिया में प्रोराटा (PRORATA) यानी अंकतालिका भी अपनी पसंद के अनुसार बना ली।
दस्तावेजों का सत्यापन किए बिना माना पात्र
भर्ती प्रक्रिया में अभ्यर्थियों के दस्तावेजों की जांच के लिए जीआरएमसी प्रशासन ने डॉ. केपी रंजन की अध्यक्षता में एक स्क्रूटनी कमेटी गठित की। कमेटी में डॉ. मनोज बंसल और डॉ. गजेंद्र पाल सिंह भी सदस्य थे, पर स्क्रूटनी कमेटी ने दस्तावेजों का वेरिफिकेशन कराने से पहले ही शुभ्रा सिंह, ज्योति जैन और मीनू जैन को पात्र मान लिया। चयन समिति के अध्यक्ष तत्कालीन डीन डॉ. समीर गुप्ता, जेएएच के अधीक्षक डॉ. आरकेएस धाकड़, डॉ राजकुमार आर्य, डॉ. अनिल सस्त्या ने भी स्क्रूटनी कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर तीनों को नियुक्त पत्र थमा दिए।
ऐसे सामने आया फर्जीवाड़ा
नियुक्ति पाने वाली तीनों महिलाओं के अलावा अन्य पात्र अभ्यर्थियों ने जीआरएमसी के इस फर्जीवाड़े की शिकायत की। शिकायत की जांच दिसंबर 2022 में संभागायुक्त दीपक सिंह तक जा पहुंची। संभागायुक्त का दावा है कि उन्होंने जांच करके रिपोर्ट डीन को भेज दी है।
किसने, कौन से दस्तावेज लगाए फर्जी
- डॉ. विकास जैन की पत्नी ज्योति जैन ने एथिक्स ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूट नाम की संस्थान का पीजीडीसीए का सर्टिफिकेट लगाया। जब जानकारी ली तो पता चला कि इस संस्थान को इस तरह की डिग्री या डिप्लोमा देने की ही पात्रता नहीं है, क्योंकि उसे किसी भी विश्वविद्यालय से संबद्धता ही नहीं है।
डीन ने नहीं देखी कमिश्नर की जांच रिपोर्ट
पूरे फर्जीवाड़ें पर ग्वालियर संभाग के आयुक्त दीपक सिंह ने बताया कि मेडिकल कॉलेज में साइंटिस्ट के ग्रुप बी, सी, डी पदों पर भर्ती हुई थी। भर्ती प्रक्रिया में अनियमतता की शिकायत मिली थी। जांच करके रिपोर्ट गजराराजा मेडिकल कॉलेज के डीन को भेज दी गई है। आगे की कार्रवाई उनको ही करना है। वहीं जीआरएमसी के डीन डॉ. अक्षय निगम का कहना है कि इस मामले में संभागायुक्त कार्यालय से जांच रिपोर्ट प्राप्त हुई है। मैंने अभी फाइल को देखा नहीं है। जांच रिपोर्ट देखने के बाद ही कुछ कह सकूंगा।