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BHOPAL. नगर पालिका और परिषद (Municipality and Council) में पार्षद (Councilors) बनने की उम्र 21 रखी गई है, लेकिन अध्यक्ष (President) बनने की उम्र 25 होने की जानकारी मिलने के बाद सरकार तत्काल सक्रिय हो गई है। नगरीय प्रशासन विभाग (Urban Administration Department) ने आनन-फानन में नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेन्द्र सिंह (Administration Minister Bhupendra Singh) को प्रस्ताव भेज दिया है। इसके अनुसार पालिका-परिषद अध्यक्ष की उम्र में बदलाव करने के लिए मध्यप्रदेश नगर पालिका निर्वाचन नियम 1961 की धारा 34 व 35 में संशोधन के लिए अध्यादेश लाया जाना है। लॉ डिपार्टमेंट (Law Department) की सहमति मिलने के बाद इसे कैबिनेट में लाया जाएगा। हालांकि अभी विभाग के सामने परेशानी ये है कि विधानसभा (Legislative Assembly) ने 25 से 29 जुलाई के मानसून सत्र (Monsoon Session) की अधिसूचना जारी कर दी है। ऐसे में अध्यादेश किस तरह लाए इसे लेकर उलझन बनी हुई है। इस संबंध में विभाग के उच्च अधिकारी विधानसभा के अधिकारियों से संपर्क कर रास्ता निकालने का प्रयास कर रहे हैं।
चर्चा कर रास्ता निकालने का प्रयास
दरअसल, अध्यादेश (Ordinance) उस समय लाया जाता है जब विधानसभा सत्र चालू न हो, ऐसे में जरूरी कानून और नियमों में बदलाव के लिए अध्यादेश लाया जाता है। इसे 6 माह में आगामी विधानसभा में विधेयक के रूप में पेश करना अनिवार्य होता है। यदि राज्य सरकार ऐसा नहीं करती है तो अध्यादेश का अस्तित्व स्वमेव समाप्त हो जाता है। विधानसभा की अधिसूचना जारी होने के बाद उसके कानूनी पहलू पर विचार किया जा रहा है। दूसरी उलझन राज्य चुनाव आयोग की है, नगरीय चुनाव की आचार संहिता लागू होने के बाद राज्य सरकार नगरीय चुनाव के संबंध में कोई निर्णय नहीं ले सकती, ऐसे में आचार संहिता का उल्लंघन होगा। इसे लेकर भी राज्य सरकार राज्य निर्वाचन आयोग के अधिकारियों से चर्चा कर रास्ता निकालने का प्रयास कर रही है।
अतिआवश्यक बताकर लाया जाएगा प्रस्ताव
सूत्रों का कहना है कि पूरा मामला नगरीय निकाय चुनाव से संबंधित है, यदि नियमों में बदलाव नहीं हुआ तो नगर पालिका और परिषद में चुन कर आने वाले 25 वर्ष से कम उम्र के पार्षद अध्यक्ष के चुनाव में शामिल नहीं हो सकेंगे। इससे समानता के अधिकार का उल्लंघन होगा। इसलिए सरकार नियम में किए जाने वाले संशोधन को अतिआवश्यक बताते हुए विधानसभा और राज्य निर्वाचन आयोग से मंजूरी लेगी। संभावना है कि मतगणना से पहले राज्य सरकार पालिका और परिषद में अध्यक्ष के लिए चुनाव की उम्र 21 करने का अध्यादेश कैबिनेट से मंजूर करवा लेगी।
25 मई को अध्यादेश लाई थी सरकार
नगरीय निकाय चुनाव के लिए मध्यप्रदेश सरकार 25 मई को अध्यादेश लेकर आई थी। इसमें महापौर का चुनाव प्रत्यक्ष और पालिका और परिषद का चुनाव अप्रत्यक्ष तरीके से होना था। पिछले चुनावों में अध्यक्ष भी प्रत्यक्ष रूप से चुने गए थे। निकाय चुनाव के अध्यादेश को लाते वक्त अफसरों ने ध्यान ही नहीं दिया कि पार्षद की उम्र 21 और अध्यक्ष की उम्र 25 है। अफसरों की जल्दबाजी आज सरकार के लिए परेशानी का कारण बन गई है।
मानसून सत्र की तैयारी के दौरान मालूम पड़ी भूल
सूत्रों के मुताबिक विधानसभा के मानसून सत्र की तैयारी के दौरान जब नगर निगम और नगर पालिका निर्वाचन संशोधन अध्यादेश 2022 को सदन में पेश करने की बात आई, तब अफसरों का ध्यान गया कि पार्षद और अध्यक्ष के चुनाव की उम्र में अंतर है। 21 साल का पार्षद जीत भी गया तो अध्यक्ष नहीं बन पाएगा। क्योंकि अध्यक्ष के चुनाव की उम्र 25 साल है।