BHOPAL: मशहूर अर्थशास्त्री और संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) सरकार के वक्त केंद्रीय योजना आयोग (अब नीति आयोग) के उपाध्यक्ष रहे मोंटेक सिंह अहलूवालिया रविवार को भोपाल में रहे। वे यहाँ भारत भवन में चल रहे भोपाल लिटरेचर फेस्टिवल (BHOPAL LITERATURE FESTIVAL/BFL) के पांचवें संस्करण के तीसरे और अंतिम दिन अपनी किताब 'बैकस्टेज : द स्टोरी बिहाइंड इंडिया हाई ग्रोथ ईयर्स' ले बारे में बातचीत करने आए थे। उन्होंने में सेशन के दौरान नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष राजीव कुमार से अपनी किताब और भारत के आर्थिक और नीतिगत परिदृश्य पर चर्चा की।
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'सरकारों का सही नीतियाँ बनाने से ज्यादा नारे बनाने पर ध्यान'
एक सवाल कि - सरकार सिर्फ नीतियाँ बनाने में तो अच्छी है पर उनके सफल संचालन में फेल क्यों हो जाती है? - के जवाब में चुटकी लेते हुए मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने कहा: "मैं तो इस बात पर भी शंकित हूँ कि जो नितियाँ बनती हैं वो भी पूरी तरह सही होती है। हम सिर्फ नारे बनाने में अच्छे है। मैं UPA या मौजूदा सरकार की बात नहीं कर रहा। स्लोगन्स बनाना ठीक है लेकिन उन स्लोगन्स को टारगेट में बदलना ज्यादा जरुरी है। जैसे जय जवान-जय किसान एक अच्छा नारा है।पर इसमें टारगेट सैनिक और किसानों के उत्थान पर ज्यादा होना चाहिए। ऐसा होगा तभी कोई नीति, स्कीम या नारा भी सफल हो पाएगा।
'ऐसी नीतिया बनाने का क्या फायदा जो जमीन पर जाकर धराशाही हो जाएं'
अहलूवालिया ने इस बात पर भी जोर दिया कि कोई भी नीति तभी सफल हो सकती है जब उस नीति को जमीनी स्तर पर सफलता से लागू किया जा सके...ऐसी नीतिया बनाने का क्या फायदा जो जमीन पर जाकर धराशाही हो जाएं....अहलूवालिया ने 1991 के आर्थिक रिफॉर्म्स के बारे में बात करते हुए कहा कि हमने उस वक़्त इम्पोर्ट को आसान बनाने के मकसद से इम्पोर्ट लाइसेंसिंग को ख़त्म करने पर जोर दिया था, जिससे जो भी इम्पोर्ट करना चाहता है डायरेक्टली कर सके। अगर हम उस वक़्त इम्पोर्ट को आसान बनाने के लिए पूरी तरह से कम्प्युटराइज़्ड सिंगल विंडो सिस्टम बनाने की कोशिश करते तो वो निर्धारित ही फेल होता।
'नए श्रम कानून की सख्त जरुरत, कृषि कानून राजनैतिक पचड़े में होने से आगे राह मुश्किल'
मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने कहा कि समय हमारे श्रम कानून इतने ज्यादा पुराने हो चुके है कि उन्हें तो बिलकुल ही बदला जाना चाहिए। रही बात कृषि कानूनों की तो हमें मॉडर्न कृषि कानूनों की बेहद जरुरत है। उन्हें लाया जाना चाहिए। पर क्युँकि वो मुद्दा अब राजनैतिक फसादों में फँस गया है। तो पता नहीं सरकार अब उन्हें कब और कैसे लागू कर पाएगी।
'ब्यूरोक्रेसी का स्ट्रक्चर पुराने ढर्रे पर चल रहा, अधिकारयों को अपडेट होने की जरुरत'
अहलूवालिया ने एक सवाल के जवाब में कहा कि देश और राज्यों में नौकरशाही के मौजूदा स्ट्रक्चर को बदलाव की जरुरत है। साथ ही सिस्टम में मौजूद आईएएस/आईपीएस ऑफिसर्स को अपने-आप को मौजूदा समय के अनुसार शैक्षिक और वैचारिक रूप से अपडेट करते रहने की जरुरत है। जिसके लिए इन अफसरों के लिए भी रिफ्रेशर कोर्सेज होने चाहिए जो उन्हें अपडेट रखें।
'मध्य प्रदेश की अर्थव्यवस्था आने वाले दौर में मजबूत होगी'
द सूत्र के साथ बातचीत में मोंटेक सिंह अहलूवालिया कहा कि मध्य प्रदेश देशभर के राज्यों की अर्थव्यवस्थाओं के लिहाज़ में ठीक ही कर रहा है। और आने वाले दौर में मध्य प्रदेश की अस्थ्व्यवस्था और मजबूत होगी। मोटे तौर पर मध्य प्रदेश राष्ट्रीय स्तर से भी अच्छा करेगा।
'भारत में आर्थिक नीतियों पर विचार करने के लिए थिंक टैंक्स की जरुरत'
केंद्रीय योजना आयोग (अब नीति आयोग) के पूर्व उपाध्यक्ष ने कहा कि भारत में आर्थिक नीतियों पर और उनके सही क्रियान्वन पर नज़र रखने और उनपर विचार करने के लिए स्वतंत्र थिंक टैंक्स की बेहद ज़रूरत है। बड़ी संख्या में शिक्षाविदों और रिसर्च स्कॉलर के रूप में हमारे पास एक और टैलेंट पूल है जो दुनियाभर की लगभग हर घटना पर नजर रखते हैं। पर राष्ट्रीय स्तर पर मुश्किल से आधा दर्जन थिंक टैंक ही हैं उन्होंने कहा कि जब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हमारी पहुंच और वैश्विक मामलों में दखल बढ़ा है तो उसके अनुपात में ऐसे थिंक टैंक और रिसर्च स्कॉलर की संख्या में भी वृद्धि होनी चाहिए जो प्रशासनिक नेटवर्क को इनपुट मुहैया कराए।
मोंटेक सिंह अहलूवालिया 2.0 भारत की पॉलिसीस में क्या बदलाव चाहेंगे?
"इस बात पर में एक किताब अभी लिखना चाह रहा हूँ कि अर्थव्यवस्था की दृष्टि से भारत के लिए आने वाले 20 सालों में सबसे जरुरी चीज़ें क्या रहेंगी। पर अभी इस किताब को आने में 1 से डेढ़ साल लगेगा....तो अभी में इस बात का जवाब नहीं दे सकता।"