तानसेन समारोह में पहली बार बटेश्वर के प्रागैतिहासिक मंदिर में गूंजी स्वर लहरियां, संगीतज्ञों ने ध्रुप, ख्याल, टप्पा की छेड़ी तान

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तानसेन समारोह में पहली बार बटेश्वर के प्रागैतिहासिक मंदिर में गूंजी स्वर लहरियां, संगीतज्ञों ने ध्रुप, ख्याल, टप्पा की छेड़ी तान

देव श्रीमाली, GWALIOR. तानसेन की याद में आयोजित संगीत महोत्सव का आज अंतिम दिन है, शास्त्रीय संगीत के उपासक आज उनकी जन्मभूमि बेहट में भगवान शिव की उसी मढिया तले बैठकर स्वरांजलि दे रहे हैं। गुरुवार का दिन गायन के नाम रहा जिनमें ध्रुपद,ख्याल और टप्पा पर सधी गायकी के जरिए देश के प्रसिद्ध शास्त्रीय गायकों ने तानसेन को नमन किया। 



विदेशी तहजीब से महकी संगीत की बगिया



 गुरुवार सुबह संगीत रसिक, हिंदुस्तानी, अफगानी व अमेरिकन तहजीबों के मिलन के साक्षी बने, शास्त्रीय प्रस्तुतियों के साथ अमेरिका से आए कलाकार मिस्टर विलयम रीस हॉफमैन ने जब पश्चिमी व अफगानी सुरों से श्रोता मंत्रमुग्ध हो उठे। राग "परमेश्वरी" को जहां श्रोताओं ने सराहा तो वहीं आज कार्यक्रम की शुरुआत शारदा नाद मंदिर ग्वालियर के छात्रों और आचार्यों के ध्रुपद गायन से हुई। के विद्यार्थियों व आचार्यों द्वारा प्रस्तुत ध्रुपद गायन से हुआ। 




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  • पाश्चात्य, अफगान लोक धुनों की प्रस्तुतियां श्रोताओं को पसंद आई



    विश्व संगीत समागम तानसेन समारोह में अमेरिका के प्रतिष्ठित रुबाब वादक विलयम रीस हॉफमैन ने  कार्यक्रम में पाश्चात्य और अफगान लोक धुनों से स्वरांजलि दी।  उन्होंने अफगानी वाद्य यंत्र रुबाब कावादन कर मैहर घराना एवं काबुल के उस्ताद नबी गोल की सांगीतिक परंपरा की धुनें सुनाकर गहरी छाप छोड़ी। विलियम रीस भारतीय सरोद वादन में भी निपुण हैं।



    नैना मोरे तरस गए आजा बलम परदेशी...



    सतना से आए युवा शास्त्रीय गायक विनोद मिश्रा की प्रस्तुति भी श्रोताओं को काफी पसंद आई, उन्होंने खयाल गायन के लिये राग “विलासखानी तोड़ी” चुना। इस राग में उन्होंने तीन बंदिशें पेश की । उन्होंने अपनी आवाज में प्रसिद्ध ठुमरी " नैना मोरे तरस गए आजा बलम परदेशी" सुनाकर गायन को विराम दिया।  उनके साथ तबले पर श्री शशांक मिश्रा, हारमोनियम पर  हितेन्द्र शर्मा और सारंगी पर उस्ताद अब्दुल मजीद खां ने कमाल की संगत की।



    पं ब्रजभूषण ने राग सामंत सारंग में गाईं ध्रुपद बंदिशें



    दानेदार, बुलंद एवं सुरीली आवाज में जब पण्डित ब्रजभूषण गोस्वामी ने राग 'सामंत सारंग' में नोम तोम के आलाप के बाद  ताल चौताल में तानसेन रचित बंदिश पेश की।विभिन्न प्रकार की लयकारियों का उन्होंने बहुत ही सुंदर प्रयोग किया। दिल्ली से तानसेन समारोह में प्रस्तुति देने आए पं ब्रजभूषण ने भी अपनी दमदार प्रस्तुति से लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। उनके साथ पखावज पर  विख्यात पखावज वादक श्री अखिलेश गुंदेचा व सारंगी पर श्री कुलभूषण गोस्वामी ने शानदार संगत की। 



    हर्ष नारायण ने किया राग “सरस्वती” में सारंगी वादन 



    समापन मुम्बई से आए युवा सारंगी वादक  हर्ष नारायण के सारंगी वादन के साथ किया। विख्यात सारंगी वादक पं. रामनारायण के प्रपौत्र और प्रख्यात सरोद वादक पं. बृजनारायण के सुपुत्  हर्ष नारायण ने राग “सरस्वती” में सारंगी वादन किया। उन्होंने इस राग में सारंगी वादन में अलाप के बाद तीन ताल में विलंबित गत प्रस्तुत की। उनके वादन में श्री रामेन्द्र सोलंकी ने बहुत ही दिलकश संगत की। 



    बटेश्वर की शिव वीथिका में स्वरों का मेला



    मुरैना में बटेश्वर में छठी शताब्दी के कई शिव मंदिर हैं, जो कालांतर में खत्म हो गए थे। पुरातत्व विभाग इन मंदिरों का पुनर्निर्माण कर रहा है। यहां सगीत सभा के आयोजन से इन मंदिरों का एक बार फिर से महत्व सिद्ध हुआ।  बटेश्वर में हुई संगीत सभा का शुभारंभ इंदौर के विवेक नवले के एकल तबला वादन से हुआ। 



    आज बेहट और गूजरी महल पर स्वरांजलि



    इस साल के विश्व संगीत समागम तानसेन समारोह का समापन 23 दिसम्बर को होगा। सुबह 10 बजे से संगीत सम्राट तानसेन की जन्मस्थली बेहट में संगीत सभा सजेगी। समारोह की अंतिम सभा का आयोजन महान कला पोषक राजा मानसिंह तोमर द्वारा बनवाए गए गूजरी महल प्रांगण में शाम 6 बजे से होगा।

     


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